मजेदार बाल कविता : चिट्ठी पढ़...
बिट्टी पढ़ री बिट्टी पढ़,
आई गांव से चिट्ठी पढ़।
चिट्ठी आई पांव से,
नदी पार कर नाव से।
नहीं आगरा से आई,
न ही ये उन्नाव से।
पूछ रहे हैं दादाजी,
क्या कुछ वहां हुआ गड़बड़।
चिट्ठी जब-जब आती है
बिट्टी ही पढ़ पाती है।
अजब लिखावट दादी की,
वही समझ भर पाती है।
बिट्टी को चिट्ठी न दो,
तो वह पड़ती है लड़-लड़।
चिट्ठी में फरमाइश है,
दादा मोबाइल लाएं।
पहले बच्चों से सीखें,
फिर वे मुझको सिखलाएं।
कहतीं हैं सब सीखूंगी,
बुद्धि अभी नहीं हुई जड़।
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