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Written By भाषा

नाजियों से बचे 'बच्चे' दोहराएँगे अपनी यात्रा

Chech children to relive history | नाजियों से बचे ''बच्चे'' दोहराएँगे अपनी यात्रा
नाजियों के कब्जे वाले चेकोस्लोवाकिया को खाली करने की 70वीं बरसी के मौके पर मंगलवार को उन 669 यहूदी बच्चों में से 22 भाप इंजन से चलने वाली रेलगाड़ी से प्राग से रवाना हुए जो नरसंहार से बच गए थे।

ये बच्चे उस ब्रिटिश नागरिक की मदद से बचे थे जिसे ‘इंग्लिश शिंडलर’ कहा गया। यह रेलगाड़ी अपनी चार दिन की यात्रा के दौरान जर्मनी, नीदरलैंड के रास्ते लंदन तक उसी रास्ते से जाएगी जिस पर चलकर 1939 में वह पहुँची थी।

रेलगाड़ी के लंदन पहुँचने के बाद ये लोग अब सौ साल के हो चुके निकोलस विंटन से मिलेंगे। विंटन ने ही बच्चों को नाजियों के कब्जे वाले चेकोस्लाविया से सुरक्षित रास्ता दिलाया था।

उस समय कहर से बचीं और इस यात्रा में शामिल हाना फ्रैंकलोवा ने कहा, ‘मैं कुछ भावुक महसूस कर रही हूँ और थोड़ा दुःख भी क्योंकि वह अंतिम अवसर था जब मैंने अपनी माँ को देखा था।'

मार्च और सितंबर 1939 के बीच विंटन ने करीब सात सौ बच्चों को ब्रिटिश परिवारों की सरपरस्ती दिलाकर मौत के मुँह में जाने से बचाया था और उसके बाद नाजियों से बातचीत कर उनकी रवानगी सुनिश्चित की थी।

यह ऐसा अभियान था जिसे कई लोगों ने असंभव माना था। इस काम की वजह से विंटन को ऑस्कर शिंडलर की तर्ज पर ‘इंग्लिश शिंडलर’ कहा गया। ऑस्कर ने सैकड़ों पोलिश यहूदियों को बचाया था और उनके कार्य पर स्टीवन स्पीलबर्ग ने ‘शिंडलर्स लिस्ट’ फिल्म बनाई थी।

विंटन की कहानी संयोगवश 50 साल बाद उस समय सामने आई जब उनकी पत्नी ने एक पुराने ब्रीफकेस में इससे जुड़े कागजात पाए।