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Last Modified: सोमवार, 26 जून 2017 (13:04 IST)

पुतिन ने किया था गंभीर अपराध, जानें क्या है यह....

vladimir putin | पुतिन ने किया था गंभीर अपराध, जानें क्या है यह....
वॉशिंगटन। अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने दावा किया है कि उनके पास हाथ कुछ ऐसे पुख्ता सबूत मिले हैं जिससे यह साफ होता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रीय समिति से जुड़ी जानकारियों को रूस ने हैक करके विकीलीक्स को मुहैया कराया था, जहां से यह जानकारी सार्वजनिक हो गई।  
 
पिछले अगस्त की शुरुआत में व्हाइट हाउस में एक लिफाफा पहुंचा जिसको लेकर बहुत और असाधारण प्रतिबंध नत्थी थे। इसे सीआईए के कूरियर ने भेजा था। इसके साथ 'केवल देखने के लिए' निर्देश थे और कहा गया था कि इस लिफाफे की विषय-वस्तु को मात्र चार लोगों को दिखाने का निर्देश था। इन चार लोगों में राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके तीन वरिष्ठ सहायक थे।
 
इस लिफाफे में एक खुफिया बम था जिसमें गोपनीय जानकारी थी जो कि रूसी सरकार की अंदरूनी रिपोर्ट थी जिसमें कहा गया था कि अमेरिका के राष्ट्रपति की दौड़ में रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन का सीधा हस्तक्षेप था और साइबर प्रचार में अमेरिकी राष्ट्रपति की चुनावी दौड़ को बदनाम करने और इसमे बाधा डालने के निर्देश थे।  
 
लेकिन, इन निर्देशों का पालन होता रहा और खुफिया सूत्रों ने पुतिन की विशेष हिदायतों के दुस्साहस भरे उद्देश्यों को चिन्हित किया था। इस ऑपरेशन का उद्देश्य डेमोक्रेटिक प्रत्याशी की हार या कम से कम डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाना और उनके विरोधी उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के चुने जाने में मदद करना था।  
 
इस समय तक अमेरिकी चुनाव पर रूसी हमले की रूपरेखा लगातार स्पष्ट होती जा रही थी। रूसी खुफिया सूत्रों से जुड़े हैकर्स डेमोक्रेटिक पार्टी के कम्प्यूटर नेटवर्क्स में और कभी-कभी रिपब्लिकन सिस्टम्स में एक से भी अधिक वर्ष से जानकारी को खंगाल रहे थे। जुलाई माह में एफबीआई ने रूसी अधिकारियों और ट्रंप के सहयोगियों के सम्पर्कों की जांच शुरू कर दी थी। और 22 जुलाई को डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के करीब 20 हजार ई मेल्स को चुरा लिया गया था और इस जानकारी को विकीलीक्स को ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया गया था। 
 
व्हाइट हाउस में सीआईए की गोपनीय रिपोर्ट आई। विदित हो कि सीआईए के निदेशक जॉन ब्रेनन अगस्त के शुरुआती दिनों में सबसे पहले व्हाइट हाउस को आगाह कर दिया था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुति‍न ने एक ऑपरेशन का आदेश दिया था जिसके तहत हिलेरी क्लिंटन को हराने या उनकी छवि को नुकसान पहुंचाना था। साथ ही, डोनाल्ड ट्रंप को जिताने में सहयोग करने को कहा गया था।  
 
राष्ट्रपति ने अपने सहयोगियों को आदेश दिया था कि वे चुनाव व्यवस्था की कमजोरियों, खामियों का पता लगाएं। साथ ही राष्ट्रपति ने खुफिया एजेंसी से इस जानकारी पर काम करने कहा गया था कि वे अपनी सूचनाओं से यह बात साबित करें कि पुतिन चुनावों में अवांछित प्रभाव डाल रहे थे।  
 
इसके बाद ब्रेनन रूस की प्रमुख सुरक्षा एजेंसी के डायरेक्टर अलेक्जेंडर बोर्तनिकोव से मिले और उनको चेतावनी दी थी कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करें। होमलैंड सुरक्षा के सचिव जेह जॉन्सन को कहा गया कि वे अमेरिका के वोटिंग सिस्टम्स को चारों ओर से सुरक्षित बनाएं लेकिन कुछ राज्यों के बड़े अधिकारियों के इस योजना को खारिज कर दिया। उनका कहना था कि वे अमेरिकी वोटिंग सिस्टम्स की विश्वसनीयता को जमीन पर ला देंगे लेकिन राज्यों के कुछ अधिकारियों ने इस योजना को खारिज करते हुए संघीय घुसपैठ करार दिया।  
 
सरकार के उच्चतम स्तर के जो लोग इस तरह के संकटों को निपटाते हैं, लेकिन इस संकट को निपटाने के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए पहले क्षण सीआईए को संकट का आभास हुआ कि रूस का वास्तविक संकेत क्या है? यह सामग्री इतनी संवेदनशील थी कि सीआईए के डायरेक्टर जॉन ब्रेनन ने राष्ट्रपति को डेली ब्रीफ में यह बात नहीं बताई। इस मामले 'प्रतिबंधित रिपोर्ट का वितरण' बहुत अधिक हो गया था। इसके साथ ही सीआईए की ओर से हिदायत दी गई। कहा गया कि जब इसे संबंधित व्यक्त‍ि पढ़ लें तो इसे तुरंत ही वापस भेज दिया जाए। रिपोर्ट की किसी प्रकार के लीक रोकने के लिए  इसे सिचुएशन रूम में बैठकों का स्तर वही था, जैसा कि ओसामा बिन लादेन पर हमले के लिए प्रोटोकोल्स का पालन किया गया था। 
 
हालांकि खुफिया मामलों से जुड़े लोगों ने सीआईए के इस विचार का देरी से समर्थन किया। प्रशासन ने अपने ‍ऑफिस के अंतिम सप्ताहों में लोगों को जानकारी दी। इस रिपोर्ट के बारे अगस्त में ब्रेनन को मिली जानकारी अधिकारियों को मिल गई कि पुतिन ट्रंप को चुनाव जिताने के लिए काम कर रहे हैं।  पांच महीने से अधिक के अंतराल के बाद ओबामा प्रशासन ने रूस को रोकने के लिए या दंडित करने के लिए योजना बनाई कि रूस पर इबर हमले किए जाएं। एक विकल्प यह भी था कि सीआईए की जानकारी से पुतिन को शर्मिंदा किया जाए। इसी के साथ आर्थिक प्रतिबंध लगाकर रूसी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी जाए।   
 
पिछले दिसंबर के अंत में अंतत: ओबामा ने एक नरम सा पैकेज तैयार किया जिसमें अन्य मुद्दों पर रूस को दंडित करने का खाका तैयार किया। इसी योजना के तहत 35 राजनयिकों का निष्कासन और दो रूसी अहातों को बंद करवा दिया। इसके जरिए जिस तरह आर्थिक प्रतिबंधों को लगाया गया उससे इसका प्रभाव बहुत प्रतीकात्मक था।  
ओबामा ने एक और अघोषित छद्म उपाय को स्वीकृति दी जिसके तहत रूसी बुनियादी संरचनाओं पर साइबर वेपन्स को लगाने की बात रखी। यह बमों का डिजिटल रूप था और इसे तब चलाया जाना था जब अमेरिका को लगे कि मॉस्को के साथ बढती गोलाबारी को रोकना मुश्किल हो गया है। ओबामा का प्रोजेक्ट अभी भी विकसित हो रहा है, जबकि ओबामा अपना पद छोड़ चुके हैं। अब यह बात ट्रंप पर निर्भर करेगी कि वे इसे प्रयोग करने के लिए विकसित करते हैं या नहीं।   
 
राजनीतिक संदर्भों में रूस के इस हस्तक्षेप को सदी का सबसे बड़ा अपराध माना जा सकता है जिसके तहत अमेरिकी लोकतंत्र को अस्थिर और अपूर्व बताया था। इस मामले को सुलझाने में कोई समय नहीं लगा। क्रेमलिन ने साइबर- फॉरेंक्सि और खुफिया सूत्रों की मदद से मामले में पुतिन की सम्बद्धता का पता लगा लिया। इसके बाद भी, हालांकि इस मामले को सुलझाने के लिए ओबामा और ट्रंप ने अलग-अलग तरीके से मामले को निपटाने का प्रयास किया लेकिन इससे ऐसा लगता है, मॉस्को को परिणामस्वरूप समानता का नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा। 
 
ओबामा प्रशासन के करीबी लोगों ने रूस की दखलंदाजी पर एक अलग विचार दिया। उनका कहना है कि अगस्त महीने तक विकीलीक्स और अन्य ग्रुपों के आंकड़ों के ट्रांसफर को रोकने में बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि आगामी महीनों इतनी भारी संख्या में ईमेल का खुलासा चलता रहता। उनका मानना है कि ओबामा ने बहुत सी धमकियां दी थीं और ऐसी ही एक चेतावनी में ओबामा ने पुतिन को सितम्बर में दी थी। अमेरिकी चेतावनियों से डरकर मॉस्को ने आक्रामकता की सभी योजनाओं पर विराम लगा दिया था। ऐसे उदाहरणों में अमेरिकी वोटिंग सिस्टम्स में तोड़फोड़ करना भी शामिल है।  
 
इस मामले में व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ मैकडोनोफ को खुफिया विवरण की सबसे पहले जानकारी दी गई थी। वे उन अधिकारियों में से पहले थे जिन्होंने खुफिया विभाग की विस्तृत रिपोर्ट कहा था कि ओबामा प्रशासन में रूस के इस प्रयास को सिस्टम के दिल पर हमला था। उन्होंने कहा कि 'हमने अपने महत्वपूर्ण सिद्धांतों में कहा कि हम वोट की ईमानदारी की रक्षा कर सके। अब ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं कि दोबारा ऐसी कोई घटना न हो। हालांकि प्रशासन के अधिकारियों ने रूस के साथ रिश्तों को घृणा के साथ ही याद किया।
 
चुनाव बाद के समय में जांच का काम ऊपर-नीचे होता रहा लेकिन जांच जारी रही। यह भी कहा जा रहा है कि क्या ट्रंप के सहयोगियों ने चुनाव पूर्व साठगांठ कर ली थी। इसके अलावा, पहले एफबीआई जांच का आदेश दिया गया और बाद में जांच को रोकने का प्रयास किया गया। चुनाव बाद के दृश्य में मॉस्को के प्रयासों से एक महत्वपूर्ण प्रयास, अमेरिका की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को हाइजैक करने का प्रयास किया। 
 
प्रचार के दौरान आरोपों से घिरे ट्रंप पर आरोप लगे लेकिन उन्होंने इस मामले को दुबारा उठाने की जरूरत नहीं समझी और कहा कि उनकी ओर से रूस से किसी प्रकार की साठगांठ करने या उनकी ओर से कोई बाधा डालने से इनकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप राजनयिकों का निष्कासन और हल्के आर्थिक प्रतिबंध ही ओबामा का सबसे ताकतवर जवाब बना रहा। 
 
इस मामले में रूस में अमेरिका के राजदूत रहे माइकल मैकफोल का कहना है कि 'अपराध के अनुरूप दंडित नहीं किया गया। मैकफोल वर्ष 2012 से 2014 तक रूस में अमेरिका के राजदूत रहे हैं।' मैकफोल ने कहा कि इस हमले के लिए क्रेमलिन को बहुत अधिक कीमत चुकानी चाह‍िए। उनका कहना था कि रूस ने हमारी राज्य सत्ता पर हमला किया है। इसीलिए व्हाइट हाउस और कांग्रेस के नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में रूसी हमले रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।      
 
जबकि रूसी हस्तक्षेप पर ओबामा प्रशासन का जवाब तीन दर्जन से अधिक वर्तमान और पूर्व अमेरिकी अधिकारियों के साथ इंटरव्यू पर आधारित था। इनमें से ज्यादातर लोगों ने नाम गुप्त रखे जाने की ‍शर्त रखी थी क्योंकि वे यह जानते थे कि यह मुद्दा बहुत अधिक संवेदनशील है। जबकि व्हाइट हाउस, सीआईए, एफबीआई और नेशनल सिक्यूरिटी एजेंसी ने किसी प्रकार की कोई टिप्पणी नहीं की थी। 
 
सीआईए को यह अहम जानकारी तब मिली थी जब राष्ट्रपति चुनावों के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार को पार्टी की ओर से प्रत्याशी बना दिया था जबकि इस तरह की स्थिति को दूर की कौड़ी समझा जा रहा था। बड़े चुनावों में जहां क्लिंटन ने महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर ली थी। उन्होंने सोचा था कि वे अपनी शक्तियों को बड़ी आसानी से किसी दूसरे को बांट देंगे। दूसरी ओर, पुति‍न की कार्रवाई कई मोर्चों पर बहुत आगे थी।  
 
जासूसी एजेंसियों ने विदेशी नेताओं की मंशा को जान लिया लेकिन पुतिन का किसी को भी पता नहीं था कि वे कहां हैं। अपनी ओर से पुतिन की चौकसी बहुत अभेद्य थी। वे कम्प्यूटर और फोन पर बहुत कम बात करते हैं और क्रेमलिन के सरकारी दफ्तर में राज्य के कामकाजों पर ध्यान देते रहे। खुफिया जानकारी और निगरानी को संभालकर रखने के लिए अमेरिकी सरकार के ऐसा करने को कहा गया था। इस खुफिया जानकारी को सरकारी अनुरोध पर रोका गया और इससे आधार पर कुछ ‍खुफिया जानकारी वाशिंगटन पोस्ट के पास मौजूद हैं।  
 
रूस के खिलाफ यह नई जानकारी काफी अहम थी क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा पर उनके पार्टी के ही नेताओं ने सवाल उठाया कि उनके प्रशासन को इसे पता करने में इतना समय क्यों लगा? इस मामले में रिपब्लिकन नेताओं और संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने भी इस मामले की गहन जांच की मांग की है। हैकिंग के खिलाफ ओबामा प्रशासन ने पिछले दिनों रूस से जुड़े 35 संदिग्ध जासूस और दो जासूस एजेंसियों, चार खुफिया अधिकारियों और तीन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करके उन्हें देश छोड़ने को कहा था।    
 
इससे पहले अमेरिकी इंटेंलिजेंस अधिकारियों ने माना था कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के कैंपेन के दौरान हुई हैकिंग में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन खुद शामिल थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक पुतिन ने खुद निर्देश दिए थे कि हैकिंग को कैसे अंजाम देना है और इसे कैसे इस्तेमाल करना है। एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक दो सीनियर ऑफिसर ने यह बात मानी थी कि पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डेमॉक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ अमेरिकी इलेक्शन कैंपेनिंग के दौरान हैकिंग में भूमिका निभाई थी। 
 
अधिकारियों ने एनबीसी को बताया कि हैकिंग के पीछे पुतिन का इरादा कथित तौर पर हिलेरी क्लिंटन से बदला लेना था। अधिकारियों ने बताया कि उन्हें काफी खोजबीन करने के बाद पूरा भरोसा है कि पुतिन हैकिंग में शामिल थे। अधिकारियों के मुताबिक केवल रूस के सबसे वरिष्ठ अधिकारी इन गतिविधियों के लिए अधिकृत हो सकते हैं। यह खुफिया रूसी प्रणाली पुतिन के नियंत्रण में हैं। इस आधार से पता चलता है कि पुतिन के निर्देश पर ही ये सब हुआ था लेकिन दुनिया के सामने यह जानकारी देने में अमेरिकियों को काफी देर हो चुकी थी। (वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित लेख के आधार पर) 
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