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Last Modified: बैंकॉक , रविवार, 28 जून 2015 (20:45 IST)

संस्कृत से दिमाग का शुद्धीकरण : सुषमा स्वराज

संस्कृत से दिमाग का शुद्धीकरण : सुषमा स्वराज - Sushma Swaraj
बैंकॉक। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को कहा कि संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए क्योंकि ‘यह लोगों के मष्तिष्क को शुद्ध करती है और इस तरह से पूरे विश्व को पवित्र करती है। यहां 60 देशों के संस्कृत विद्वानों के 5 दिवसीय सम्मेलन की रविवार को शुरुआत हुई।
इस सम्मेलन में उद्घाटन भाषण में सुषमा ने संस्कृत को ‘आधुनिक और सार्वभौमिक’ भाषा करार दिया और कहा कि इसकी परंपरा गंगा नदी के तुलनीय है। 600 से अधिक संस्कृत विद्वानों की मौजूदगी वाले इस सम्मेलन में सुषमा ने अपना पूरा भाषण संस्कृत में दिया।
 
उन्होंने कहा कि गोमुख से निकलने और गंगा सागर जहां यह समुद्र में गिरती है, तक पहुंचने में गंगा पवित्र बनी रहती है। उसने सहायक नदियों को पावन बनाया जिनको गंगा की प्रकृति मिली। इसी तरह संस्कृत है जो स्वयं तो पवित्र है ही और अन्य जो भी उसके संपर्क में आया, उन सभी को पवित्र बनाया। 
 
विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे में संस्कृत को प्रचारित-प्रसारित किया जाना चाहिए ताकि यह लोगों के मस्तिष्क को शुद्ध करे और इस तरह से पूरे विश्व को पवित्र करे। आप संस्कृत के विद्वान लोग संस्कृत की पवित्र गंगा में स्नान करते हैं और सौभाग्यशाली हैं।
 
‘16वें विश्व संस्कृत सम्मेलन’ में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने संबोधन में सुषमा ने यह भी ऐलान किया कि विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (संस्कृत) का पद तैयार किया गया है।
 
उन्होंने कहा कि मौजूद समय में आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों का विचार है कि भाषा पहचान, अनुवाद, साइबर सुरक्षा और कृत्रिम खुफिया सेवा के दूसरे क्षेत्र के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने में संस्कृत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। (भाषा)