'पैरासीटामॉल' से बच्चों में दमे का खतरा
लंदन। बुखार और दर्द से पीड़ित बच्चों को हम डॉक्टर की राय पर 'पैरासीटामॉल' देकर चैन की सांस लेते हैं और आशा करते हैं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है, तात्कालिक आराम से खिलते बच्चों का चेहरा आगे जाकर दमा की गिरफ्त में आने से कुम्हला सकता है।
ब्रिस्टोल विश्वविद्यालय के डॉक्टर मारिया मागुंस की टीम ने नए शोध में यह खुलासा किया है कि शिशुओं को बुखार में दी जाने वाली सर्वाधिक प्रचलित दवा कैलपॉल और डिस्प्रॉल में पैरासीटामॉल होता है और ये दवाएं लेने वाले बच्चों में तीन साल की उम्र में पहुंचते-पहुंचते दमा की चपेट में आने की आशंका 29 प्रतिशत बढ़ जाती है।
इसके अलावा शोध में यह भी बात सामने आई है कि यदि गर्भवती महिलाएं इन दवाओं का इस्तेमाल करती हैं तो उनके बच्चों में तीन साल की अवस्था में पहुंचने तक दमा की शिकायत होने की आशंका 13 प्रतिशत तक बढ़ जाती है और सात की उम्र तक यह आशंका 27 प्रतिशत तक पहुंच जाती है।
ब्रिस्टोल विश्वविद्यालय और ओस्लो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक लाख 14 हजार 500 गर्भवती महिलाओं के डॉटा का अध्ययन और उनके सात साल तक की उम्र के बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की।
इस अध्ययन के बाद डॉक्टर इस नतीजे पर पहुंचे कि पैरासीटामॉल की वजह से शरीरमें फ्री रैडिकल्स बढ़ जाते हैं और इससे बच्चों को एक तरह की एलर्जी होती है, जो आगे जाकर दमा का रूप ले लेती है। (वार्ता)