विलियम, सतोशी और यूयू को मिला चिकित्सा का 'नोबेल'
स्टॉकहोम। आयरलैंड के विलियम कैम्पबेल, जापान के सतोशी ओमुरा और चीन के युयु तु को परजीवी से होने वाली बीमारियों पर शोध के लिए संयुक्त रूप से चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है।
कैम्पबेल और ओमुरा को एक नई दवा ‘एवरमेक्टीन’ की खोज के लिए पुरस्कार का आधा हिस्सा संयुक्त रूप से दिया गया है और युयु को ‘आर्टेमिसिनीन’ नामक दवा के ईजाद के लिए पुरस्कार का शेष आधा हिस्सा प्रदान किया गया है। इस पुरस्कार के तहत 80 लाख स्वीडिश क्राउन (9,60,000 डॉलर) की रकम प्रदान की जाती है।
एवरमेक्टीन से परजीवी से होने वाली बीमारियों रिवर ब्लाइंडनेस और लिंफैटिक फायलेरिएसिस के इलाज में मदद मिलती है। रिवर ब्लाइंडनेस में तेज खुजली, त्वचा का रंग बदलना, चकत्ते और आंखों की बीमारी होती है, जो बाद में स्थायी नेत्रहीनता में तब्दील हो सकती है, वहीं लिंफैटिक फायलेरिएसिस में पैरों में सूजन आदि की दिक्कत रहती है लेकिन कई बार इसके लक्षण नजर नहीं आते।
आर्टेमिसिनीन ने मलेरिया के इलाज में मदद मिलती है। इस दवा की खोज में मलेरिया के कारण होने वाली मौतों की दर में कमी आई है।
नोबेल असेम्बनर ने स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में एक बयान जारी करके कहा कि इन दो खोजों ने मानव जाति को इन कमजोर कर देने वाली बीमारियों से लड़ने की ताकत दी है जिससे प्रतिवर्ष लाखों लोग प्रभावित होते हैं। (वार्ता)