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Last Modified: वॉशिंगटन , मंगलवार, 30 सितम्बर 2014 (23:28 IST)

भारत-अमेरिका रक्षा समझौते के नवीकरण पर राजी

भारत-अमेरिका रक्षा समझौते के नवीकरण पर राजी - Narendra Modi, Barack Obama
वॉशिंगटन। भारत और अमेरिका अपने रक्षा समझौते को अगले दस सालों के लिए बढ़ाने पर मंगलवार को सिद्धांतत: राजी हो गए जिससे दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग को गति मिलेगी।
रक्षा विभाग के सूत्रों ने बताया, हम अभी समझौता प्रारूप (रक्षा) पर बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी यह काम समाप्त नहीं हुआ है। पेंटागन सूत्रों ने बताया कि यह हो रहा है। अगले साल समाप्त होने जा रहे समझौते पर तत्कालीन रक्षामंत्री प्रणब मुखर्जी और उनके अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड रूम्सफील्ड ने वर्ष 2005 में हस्ताक्षर किए थे।
 
इससे पूर्व अमेरिकी रक्षामंत्री चक हेगल ने यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और रक्षा सहयोग तथा आतंकवाद से निपटने संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
 
इस समझौते ने एक मजबूत आधारशिला रखी थी जिस पर दोनों देशों के बीच सुरक्षा वार्ता, सेवा स्तर के आदान-प्रदान, रक्षा अभ्‍यास तथा रक्षा व्यापार एवं तकनीकी सहयोग के जरिए दोनों देशों के लिए लाभकारी रक्षा सहयोग का मार्ग प्रशस्त हुआ।
 
रक्षामंत्री अरुण जेटली की अपने अमेरिकी समकक्ष चक हेगल के साथ पिछले महीने नई दिल्ली में हुई बैठक में समझौते के नवीकरण का मामला उठा था।
 
इस बैठक में दोनों पक्षों ने रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन एवं विकास में आपसी सहयोग को बढ़ाने पर सहमति के अलावा समझौते को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाने का भी फैसला किया था। 
 
अमेरिका भारत के साथ 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक के रक्षा सौदे करने को प्रयासरत है जिनमें हमलावर अपाचे हेलीकॉप्टर, भारी मालवाहक विमान चिनुक और टैंकरोधी निर्देशित मिसाइल जेवलिन शामिल हैं। 
 
अमेरिका पहले ही पिछले दस सालों में भारत को 60 हजार करोड़ रुपए मूल्य के उपकरण बेच चुका है, लेकिन इनमें से कोई भी हथियार बिक्री कार्यक्रम संयुक्त उत्पादन या सह विकास के बारे में नहीं हैं तथा इसमें तकनीक का हस्तांतरण भी शामिल नहीं है।
 
भारत ने हाल ही में रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी किया है जिसका मकसद स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है। भारत अपनी रक्षा जरूरतों का करीब 70 फीसदी विदेशी स्रोतों से आयात करता है।
 
आतंकवाद से निपटने के लिए सहमति बनी : मोदी ने कहा कि दक्षिण और पश्चिम एशिया सहित विश्व में पनप रहे आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत और अमेरिका में आतंकवाद निरोधक पहल और इस संदर्भ में खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान करने पर सहमति बनी है।
 
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभर रही चुनौतियों के बारे में भी दोनों देशों के विचारों में समानताएं हैं। एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता दोनों देशों की नीतियों का अभिन्न हिस्सा है।
 
प्रधानमंत्री ने हालांकि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच पूरी तरह सहमति नहीं बनने का संकेत देते हुए कहा, डब्ल्यूटीओ के मुद्दे पर हम दोनों के बीच खुलकर बातचीत हुई। 
 
उन्होंने कहा कि व्यापार सरलीकरण के समर्थक हैं, पर साथ ही हम चाहते हैं कि हमारी खाद्य सुरक्षा की चिंताओं का समाधान हो। उम्मीद है कि शीघ्र ही इस बारे में कोई रास्ता निकलेगा। (भाषा)