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Last Updated : बुधवार, 26 नवंबर 2014 (21:57 IST)

मुंबई आतंकी हमले की बरसी पर शरीफ मोदी के पास होकर भी साथ नहीं थे

मुंबई आतंकी हमले की बरसी पर शरीफ मोदी के पास होकर भी साथ नहीं थे - Mumbai terror attack
-शोभना, अनुपमा जैन
 
काठमांडू। मुंबई आतंकी हमले की बरसी पर आज यहां 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के उदघाटन सत्र के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पास-पास तो थे लेकिन साथ-साथ कतई नहीं थे। दोनों के बीच दूरियां साफ नजर आईं। मोदी की जुबान से आज जब दक्षेस मंच से मुंबई आतंकी हमले का दर्द छलक रहा था, तब नवाज शरीफ निर्लिप्त भाव से मंच पर बैठे रहे। उनका चेहरा भाव विहीन था, दर्द में साझीदारी का कोई भाव उनके चेहरे पर नही था।
जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान के इस नकारात्मक अड़ियल रवैये से दूरिया कम होने की बजाय आज तल्खियां बढ़ी सी लगी। करीब तीन घंटे तक चले दक्षेस शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एक मंच पर आए लेकिन उनके बीच दूरी बनी रही। दोनों के बीच दुआ-सलाम की बात तो दूर दोनों की नजरें तक नही मिली। 
 
मोदी ने आज शिखर बैठक में कहा 'पास होने से, साथ होने से कई गुना ताकत मिलती है। जरूरत है पास होने के साथ-साथ होना' लेकिन नवाज उस वक्त पास होकर भी मोदी के साथ नहीं थे। प्रधानमंत्री ने कहा 'अच्छा पड़ोसी विकास में सहायक होता है, सभी को अच्छा पड़ोसी मिलना चाहिए' लेकिन पाकिस्तान शायद पड़ोसी धर्म जानता नहीं है।
 
मोदी और शरीफ के बीच दो राष्ट्राध्यक्ष, मालदीव और नेपाल के नेता बैठे थे, दोनों ने एक-दूसरे की तरफ नहीं देखा। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) की 18वीं शिखर बैठक में जब शरीफ के भाषण देने जाने और लौटने के वक्त मोदी के सामने से गुजरने पर भी एक दूसरे की तरफ नहीं देखा। भले ही दोनों नेताओं के बीच कोई बैठक तय नहीं थी लेकिन आज के सम्मेलन और कल होने वाले रिट्रीट के दौरान दोनों के बीच नमस्कार, दुआ-सलाम की उम्मीद की जा रही थी।  
 
शरीफ ने कल वार्ता की पहल के लिए गेंद भारत के पाले में डालते हुए कहा था, वार्ता को रद्द करना नई दिल्ली का एकतरफा निर्णय था और दोनों देशों के बीच वार्ता के लिए गेंद अब भारत के पाले में है लेकिन जानकारों का मानना है कि शरीफ अगर आज अपनी भाव-भंगिमा से ही सही माहौल कुछ हल्का कर सकते थे। भारत ने कहा कि वह सार्थक वार्ता चाहता है।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने शरीफ की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कहा 'हम हमेशा कहते रहे हैं कि हम सार्थक वार्ता के लिए तैयार हैं। हमने 'सार्थक' पर जोर दिया है। कूटनीति में सार्थक वार्ता का 'अर्थ' होता है। पाकिस्तान में वे जानते हैं कि हमारे सार्थक वार्ता का क्या मतलब है क्योंकि वे हमें जानते हैं और हमें समझते हैं। वे हर बात जानते हैं।'
 
जानकारों का कहना है कि भारतीय नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को शपथ ग्रहण समारोह के लिए न्यौता भेजकर संबंध सुधारने की पहल की, शपथ ग्रहण समारोह में दोनों ने खिली मुस्कराहट से हाथ मिलाए थे।
   
उम्मीद की जा रही है कि इस कदम से भारत-पाक रिश्तों में सुधार आएगा, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से इस सकारात्मक पहल का कोई जबाव नहीं आया, लेकिन आज न केवल वह मुस्कराहट गायब थी बल्कि नजरें तक नहीं मिली। 
 
मुबंई आंतकी हमले का सरगना हाफिज सईद आज भी खुले आम घूम रहा है। पाकिस्तान युद्ध विराम का लगातार उल्लघंन कर रहा है। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र मे कश्मीर राग अलापने लगा। ऐसे में गत मई में मोदी ने नवाज़ को उनकी मां के लिए जो शॉल और पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपयी की कविताओं का जो संग्रह भेंट किया था, छह महीने में पाकिस्तान की याददाश्त से वह सब गायब हो चुका है। डॉ. अमीर रजा का यह शेर लगातार इस माहौल मे  गूंजता सा क्यों लग रहा है...
 
'गमों में डूबे हुए सोगवार चेहरों में तुम्हे खुद अपनों के चेहरे नज़र नहीं आते,
सुनाई देती नहीं नन्ही इल्तज़ाएं तुम्हे कि जिनके गुमशुदा मां बाप घर नहीं आते' 
(वीएनआई)