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Last Updated :सिंगापुर , रविवार, 29 मार्च 2015 (22:03 IST)

सिंगापुर ने दी 'ली' को अंतिम विदाई

सिंगापुर ने दी 'ली' को अंतिम विदाई - Lee Kuan Yew
सिंगापुर। सिंगापुर में तेज बारिश के बावजूद हजारों लोगों ने रविवार को अपने प्रिय नेता ली कुआन येव को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। ली का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित विश्व के कई प्रमुख नेता उपस्थित रहे। मोदी ने उन्हें ‘हमारे समय का सबसे बड़े नेताओं में एक’ करार दिया।
 
आधुनिक सिंगापुर की बुनियाद रखने वाले 91 वर्षीय ली 31 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे। उन्हें  सिंगापुरवासियों के बीच बहुत सम्मान हासिल है, क्योंकि इस देश को समृद्धि की बुलंदी पर पहुंचाने  का श्रेय उनको जाता है। बीते 23 मार्च को न्यूमोनिया के कारण ली का निधन हो गया था।
 
कई राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दूसरे वैश्विक नेताओं के अलावा हजारों सिंगापुरवासी ली की इस अंतिम  यात्रा में शामिल हुए। उनके अंतिम संस्कार का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया और सोशल  मीडिया में इसको देखा गया।
 
पूरे सिंगापुर के आवासीय परिसरों में सायरन बजाए गए जिसके बाद 1 मिनट का मौन रखकर लोगों  ने अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी रविवार सुबह सिंगापुर पहुंचे और अंतिम  संस्कार में शामिल हुए।
 
सिंगापुर के ध्वज में लिपटे ली के पार्थिव शरीर को संसद से सिंगापुर की सड़कों से होते हुए जब ले  जाया गया, तब लोग अपने नेता के अंतिम दर्शन और भावभीनी विदाई देने के लिए सड़कों के किनारे  कतारबद्ध होकर खड़े हुए थे।
 
ली की अंतिम यात्रा 15.4 किलोमीटर तक होकर नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर तक पहुंची, जहां  उनका अंतिम संस्कार किया गया। ली का पार्थिक शरीर अंतिम दर्शन के लिए संसद परिसर में रखा गया था। इस सप्ताह के दौरान  4,50,000 से अधिक लोगों ने ली को श्रद्धांजलि दी। 
 
सिंगापुर सशस्त्र बल ने ली को 21 तोपों की सलामी दी तथा वायुसेना के विमानों और नौसेना की  नौकाओं के जरिए श्रद्धांजलि दी। ली ने इस सशस्त्र बल की स्थापना की थी। ली के पुत्र और मौजूदा प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने कहा कि उनके पिता ने अपनी पूरी जिंदगी सिंगापुर के लिए समर्पित की।
 
उन्होंने कहा कि जिस प्रकाश ने हमारा वर्षों तक मागदर्शन किया अब वह बुझ गया है। ली कुआन  को ‘वैश्विक चिंतक’ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके योगदान की प्रशंसा की और कहा कि  भारत अपनी आर्थिक प्रगति में उनके सहयोग और उनकी मित्रता को काफी महत्व देता है।
 
मोदी ने अक्टूबर 2006 में गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए सिंगापुर का दौरा किया था। उन्होंने  कहा कि ली हमारे समय के सबसे बड़े नेताओं में से एक थे।
 
यहां प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी  एबट, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो, दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क गुयेन हे, मलेशिया के  शाह अब्दुल हलीम शाह और इसराइली राष्ट्रपति रूवे रिवलिन सहित कई वैश्विक नेता उपस्थित थे।
 
ली को सिंगापुर को तीसरी दुनिया के एक देश को महज एक पीढ़ी में आधुनिक एवं समृद्ध राष्ट्र में  परिवर्तित करने का श्रेय जाता है। ली ने सिंगापुर को एक वैश्विक वित्तीय एवं वाणिज्यिक केंद्र बनाने  में भी बड़ा योगदान दिया। साल 1959 में वे सिंगापुर के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 1990 में  प्रधानमंत्री का पद छोड़ा।
 
मोदी ने कहा कि सिंगापुर में पीढ़ीगत बदलाव का श्रेय ली के नेतृत्व को जाता है और उनके निधन  से एक युग का अवसान हो गया। उन्होंने न केवल दक्षिण-पूर्व एशिया को बल्कि पूरे एशिया को  अपनी खुद की नियति में विश्वास करने के लिए प्रेरित किया।
 
उन्होंने कहा कि सिंगापुर की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर मुझे विश्वास है कि वे (ली) सिंगापुर की उपलब्धियों एवं उसके भविष्य को लेकर संतुष्ट रहे होंगे। (भाषा)