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Last Modified: गुरुवार, 18 मई 2017 (23:29 IST)

मौत की सजा के मामले में 'आईसीजे' के पुराने फैसले

मौत की सजा के मामले में 'आईसीजे' के पुराने फैसले - Kulbhushan Jadhav Case, International Court of Justice
द हेग। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की तरफ से पेश हुए भारत के शीर्ष वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान वैश्विक अदालत में लड़े गए मौत की सजा एवं वियना संधि से संबंधित तीन पुराने मामलों का हवाला दिया।
 
ये तीन मामले- मैक्सिको बनाम अमेरिका, जर्मनी बनाम अमेरिका और पराग्वे बनाम अमेरिका हैं।
 
मैक्सिको बनाम अमेरिका : 2003 में मैक्सिको अमेरिका में अपने 54 नागरिकों को मिली मौत की सजा के संबंध में वियना संधि के कथित उल्लंघन से जुड़े विवाद को लेकर अमेरिका को आईसीजे में ले गया।
 
मैक्सिको ने अदालत से सुनिश्चित करने को कहा कि अमेरिका अदालत का आदेश आने तक उसके किसी भी नागरिक को फांसी ना दे या उनकी तारीख तय ना करे। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला दिया कि उसका न्याय क्षेत्र केवल यह स्थापित करने तक सीमित है कि अमेरिका ने वियना संधि के पैराग्राफ एक के अनुच्छेद 36 के तहत सूचीबद्ध अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है या नहीं और साथ ही कहा कि वह आपराधिक अपीलीय अदालत के तौर पर काम नहीं करता।
 
हालांकि अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आईसीजे का आदेश तब तक बाध्यकारी नहीं है जब तक अमेरिकी कांग्रेस इसके कार्यान्वयन के लिए कानून लागू नहीं करती या संधि खुद में स्व कार्यान्वित नहीं होती।
 
जर्मनी बनाम अमेरिका : दूसरा मामला 1982 में सशस्त्र लूटपाट और हत्या के संदेह में एरिजोना राज्य में जर्मन नागरिक वाल्टर लाग्रैंड और उसके भाई कार्ल की गिरफ्तारी से संबंधित है।
 
1999 में जर्मनी ने दोनों आरोपियों को वियना संधि द्वारा सुनिश्चित किए जाने के बावजूद दूतावास तक पहुंच के बारे में कथित रूप से जानकारी ना देने के लिए अमेरिका के खिलाफ कार्यवाही शुरू की।
 
दोनों भाइयों की फांसी से एक दिन पहले अपील दायर की गई। हालांकि मामला शुरू होने से पहले ही कार्ल को फांसी दे दी गई  और जर्मनी ने मांग की कि अमेरिका उसके परिवार को मुआवजा दे तथा कार्यवाही लंबित होने तक वाल्टर की फांसी रोक दे। 
 
इसके अगले दिन आईसीजे ने अपने आदेश में अमेरिका से सुनिश्चित करने को कहा कि वाल्टर को कार्यवाही के दौरान फांसी ना दी जाए। फैसले के बाद एरिजोना के एक गैस चेंबर में उसकी मौत की सजा की तामील कर दी गई।
 
पराग्वे बनाम अमेरिका : तीसरे मामले में पराग्वे यह आरोप लगाते हुए अमेरिका को आईसीजे में ले गया कि 1998 में अमेरिकी राज्य वर्जीनिया ने उसके नागरिक फ्रांसिस्को ब्रिअर्ड को उसकी गिरफ्तारी के बाद मदद के लिए पराग्वे के महावाणिज्य दूतावास से संपर्क करने के अधिकार की सूचना ना देकर वियना संधि का उल्लंघन किया।
 
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पराग्वे द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में अंतिम फैसला आने तक अमेरिका से ब्रिअर्ड की फांसी को रोकने के लिए अपने पास मौजूद सभी उपाय करने को कहा, लेकिन ब्रिअर्ड को फैसले के पांच दिन बाद 14 अप्रैल को फांसी दे दी गई। पराग्वे ने बाद में मामला वापस ले लिया। (भाषा)
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