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Last Updated :नई दिल्ली , शनिवार, 21 जनवरी 2017 (09:19 IST)

भारत को ट्रंप से क्या है उम्मीद...

भारत को ट्रंप से क्या है उम्मीद... - India expectations from President Trump
नई दिल्ली। अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जहां अमेरिका में अधिकतर स्थानों पर खुशी का माहौल था और कुछ स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किए गए वहीं भारत उनके साथ नई उम्मीदों के दौर की प्रतीक्षा कर रहा है।
              
पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने शुक्रवार की रात को विशेष बातचीत में कहा कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से काफी हद तक एक अनिश्चितता का माहौल दिखाई पड़ता है क्योंकि भारत और इस क्षेत्र के लिए ट्रंप की नीतियां अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा से थोड़ी हटकर हैं। कई बार उनकी ओर से मनोनीत महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने कुछ ऐसे बयान भी दिए हैं जो काफी विरोधाभासी प्रतीत होते हैं। फिर भी इस बात के संकेत हैं कि वह रूस के साथ संबंधों को बेहतर करना चाहते हैं और यह बात भी भारत के लिए अच्छी होगी क्योंकि रूस पिछले कुछ समय से चीन के नजदीक जा रहा था। 
              
उन्होंने कहा कि अब यह देखना है कि आतंकवाद से लड़ने खासकर इस्लामिक स्टेट, हक्कानी समूह और पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए ट्रंप, रूस के साथ मिलकर क्या रणनीति अपनाते हैं। माना जा रहा है कि ट्रम्प चीन पर दबाव बनाने की दिशा में काम करेंगे। चाहे वह व्यापार का क्षेत्र हो या दक्षिणी चीन सागर का मामला हो, कुल मिलाकर यह भारत के पक्ष में होगा। 
               
उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए बेहतर मानक स्थापित किए थे लेकिन अब ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से यह प्रक्रिया थोड़ी धीमी पड़ सकती है क्योंकि वह व्यापार विरोधी हैं। जहां तक एच1बी वीजा के मानकों को कड़ा करने की बात है तो इसे लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह प्रस्ताव बराक ओबामा के कार्यकाल में ही लाया गया था। 
                
विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय फाउंडेशन की वरिष्ठ फैलो और अमेरिकी मामलों पर नजदीकी से नजर रखने वाली हरिंदर सेखों का कहना है कि अभी भारत-अमेरिकी संबंधों के बारे में कुछ भी कहना ज्यादा जल्दबाजी होगा। उन्होंने कहा कि ओबामा जब 2008 में सत्ता में आए तो उनके लिए भारत बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता था क्योंकि वह पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन पर ध्यान केंद्रित किए हुए थे लेकिन वर्ष 2011 में ओबामा ने अपने दृष्टिकोण में काफी बदलाव किया और यह महसूस किया कि इस क्षेत्र में भारत का स्थान महत्वपूर्ण है और उन्होंने भारत को दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एक मजबूत, सकारात्मक सहयोगी के रूप में मान्यता दी। (वार्ता) 
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