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Last Modified: ब्रिस्बेन , शनिवार, 15 नवंबर 2014 (16:29 IST)

क्या है जी-20 और इसका काम

क्या है जी-20 और इसका काम - G20, Brisbane, Australia
रोजगार के प्रचुर अवसर वाले आर्थिक सुधारों को प्रश्रय देने तथा दुनिया को आतंकवाद के कहर से मुक्ति दिलाने की प्रतिबद्धता के साथ दुनिया के आर्थिक रूप से विकसित और विकासशील देशों के संगठन जी-20 के नेताओं की 2 दिवसीय शिखर बैठक आज (शनिवार) से ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन शहर में शुरू हुई।

इस बैठक में शिरकत कर रहे राजनेता दुनिया के उन देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जिनमें दुनिया की कुल आबादी का दो-तिहाई हिस्सा बसता है और जिनकी अर्थव्यवस्था वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 85 फीसदी का योगदान करने के साथ वैश्विक व्यापार में 75 फीसदी का दखल रखती है। इस बार की बैठक में विशेष रूप से आर्थिक सुधार, मुक्त व्यापार, इबोला संक्रमण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही यूक्रेन में रूस की बढ़ती दखलअंदाजी पर भी सदस्य देशों की तीखी प्रतिक्रिया आने की संभावना है। यहां भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। वे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत इस विश्व मंच पर कालेधन का मुद्दा जोर-शोर से उठाना चाहता है। बैठक के पूर्व आज ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं के साथ अनौपचारिक बैठक में मोदी ने कहा कि विदेशी बैंकों में जमा कालाधन वापस लाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। मोदी के इस रुख से यह साफ हो गया है कि भारत जी-20 देशों से बैंक खातों की जानकारी स्वत: साझा करने की प्रणाली पर काम करने की पुरजोर अपील कर सकता है।

विदित हो कि दुनिया के 20 देशों के वित्तमंत्रियों और इसके सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स का समूह (जी-20, ग्रुप-20 या 20 के समूह) के रूप में जाना जाता है। इसमें विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वित्तमंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नर्स को शामिल किया जाता है। इस संगठन में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं जिसका प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा किया है। इस संगठन की स्थापना 1999 में की गई थी, लेकिन वर्ष 2008 में इसके सम्मेलन में सरकार और राष्ट्र प्रमुखों ने भाग लिया था। उस समय भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भाग लिया था।

उल्लेखनीय है कि जी-20 की स्थापना का मुख्य उद्देश्य समूची वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रणालीबद्ध महत्वपूर्ण औद्योगिक सुधार करना है और सभी विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं को एकसाथ लाने के लिए इसके सम्मेलनों में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना है। वर्तमान में इस संगठन के अध्यक्ष ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट हैं। यह संगठन विश्व के विभिन्न भू-भागों, उनकी अर्थव्यवस्था और उनके सकल वार्षिक उत्पादन आदि से भी जुड़ा हुआ है।

इसमें अफ्रीका महाद्वीप से दक्षिण अफ्रीका शामिल है तो उत्तरी अमेरिका की ओर से कनाडा, मैक्सिको और संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका की ओर से इसमें अर्जेंटीना और ब्राजील जैसे देश शामिल हैं। पूर्व एशिया की ओर से इसमें 3 देश शामिल हैं जिनमें चीन, जापान और दक्षिण कोरिया हैं। दक्षिण एशिया से भारत इसका प्रतिनिधित्व करता है। पूर्व एशिया की ओर से इंडोनेशिया और मध्य-पूर्व एशिया की ओर से इसमें सऊदी अरब शामिल है। यू‍रेशिया की ओर से रूस और तुर्की तथा यूरोप की ओर से यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली और संयुक्त राजशाही शामिल हैं। ओशनिया की ओर से इसमें ऑस्ट्रेलिया शामिल होता है।

ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (जी-20) वैश्विक आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए विश्व की प्रमुख विकसित तथा उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एकसाथ लाने का मंच है। जी-20 के नेता वर्ष में एक बार तथा जी-20 के वित्तमंत्री तथा केंद्रीय बैंकों के गवर्नर्स वर्ष में कई बार बैठकें करते हैं, जैसा कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के प्रति जी-20 के प्रतिसाद से जाहिर है, यह लोगों का जीवन संवारने के लिए निर्णायक कार्य कर सकता है।

जी-20 की शुरुआत 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के पश्चात वित्तमंत्रियों तथा केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक से हुई थी। इसकी स्थापना प्रमुख आर्थिक एवं वित्तीय नीतिगत मुद्दों पर अधिक विस्तृत चर्चा तथा सभी के फायदे के लिए स्थिर एवं संधारणीय वैश्विक आर्थिक विकास प्राप्त करने हेतु सहयोग सुनिश्चित करने के लिए हुई थी।

वैश्विक वित्तीय संकट का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहमति एवं निर्णायक कार्रवाई के लिए नेताओं की राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता के मद्देनजर जी-20 की पहली नेतृत्व शिखर वार्ता 2008 में आयोजित की गई थी। इस शिखर वार्ता में नेताओं ने विश्वास प्रकट किया कि बाजार तत्व, मुक्त व्यापार तथा निवेश प्रणालियां और प्रभावी रूप से विनियमित वित्तीय बाजार गतिशीलता, नवाचार तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देते हैं, जो आर्थिक विकास, रोजगार में बढ़ोतरी तथा गरीबी हटाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

जी-20 के नेता 2008 से अब तक 8 बार बैठक कर चुके हैं। जी-20 के सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के करीब 85 प्रतिशत का, 75 प्रतिशत से अधिक वैश्विक व्यापार का तथा दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। सेंट पीटर्सबर्ग में 5वी वर्षगांठ के अवसर पर घोषित नेतृत्व विजन डॉक्यूमेंट के जरिए नेताओं ने अपने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए जी-20 की प्रमुख मंच के रूप में पुष्टि की थी।

जी-20 कार्यसूची में वैश्विक अर्थव्यवस्था का सशक्तीकरण, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार लाना और व्यापक आर्थिक सुधारों की निगरानी करना शामिल हैं। यह नई नौकरियों और खुले व्यापार सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास पर भी ध्यान दे रहा है। इस संगठन की कार्यसूची को अंजाम देने के लिए वरिष्ठ अधिकारी तथा कार्य समूह विशिष्ट मुद्दों की नीतिगत प्रगति के समन्वयन एवं प्रगति पर निगाह रखते हैं ताकि वह नेताओं तथा वित्त मंत्रियों के विचार-विमर्श हेतु तैयार हो।

जी-20 कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों, जैसे वित्तीय स्थिरता बोर्ड, अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन, संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक तथा विश्व व्यापार संगठन आदि से नीति-विश्लेषण तथा सलाह लेता है। इन संगठनों के प्रतिनिधि जी-20 की प्रमुख बैठकों में आमंत्रित किए जाते हैं। वर्ष 2014 का नेतृत्व शिखर सम्मेलन ब्रिस्बेन के ब्रिस्बेन कन्वेंशन एंड एग्जीबिशन सेंटर में 15-16 नवंबर को आयोजित किया गया है। यह विश्व नेताओं की ऑस्ट्रेलिया में आयोजित की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण बैठक होगी।

व्यापार तथा रोजगार की स्थिति में सुधार के जरिए आर्थिक विकास में मजबूती लाना और वैश्विक अर्थव्यवस्था को लचीला बनाकर उसे भविष्य में जोखिमों से बचाना 2014 में ऑस्ट्रेलिया की जी-20 कार्यसूची में प्रमुखता से शामिल हैं। ब्रिस्बेन शिखर सम्मेलन में एक घोषणा (विज्ञप्ति) जारी की जाएगी जिसमें जी-20 की नीतिगत प्रतिबद्धता तथा उसे लागू करने की कार्यपद्धति उजागर की जाएगी। जी-20 द्वारा एक व्यापक श्रेणी के देशों के हितों पर विचार किया जाना सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक वर्ष जी-20 के अध्यक्ष मेहमान देशों को उस वर्ष के शिखर सम्मेलन सहित अन्य बैठकों में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।

वर्ष 2014 में ऑस्ट्रेलिया स्पेन (स्थायी मेहमान के रूप में), मॉरीटैनिया (अफ्रीकन यूनियन के 2014 के अध्यक्ष के तौर पर), म्यांमार (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन के 2014 के अध्यक्ष के तौर पर), सेनेगल (न्यू पार्टनरशिप फॉर अफ्रीकाज डेवलपमेंट के प्रतिनिधि के रूप में), सिंगापुर और न्यूजीलैंड की मेजबानी करेगा।

जी-20 की कार्यसूची में निरंतरता बनाए रखने के लिए वर्तमान जी-20 मेजबान अपने पूर्ववर्ती तथा उत्तरवर्ती जी-20 मेजबानों (3 सदस्यीय जी-20 नेतृत्व समूह) के साथ काम करता है। 3  सदस्यीय जी-20 नेतृत्व समूह के वर्तमान सदस्य हैं ऑस्ट्रेलिया, रूस (2013 का मेजबान) और तुर्की (2015 का मेजबान)।

वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी वरिष्ठ अधिकारियों के जिम्मे होती है जिन्हें 'शेरपा' कहा जाता है और जो जी-20 के नेताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। जी-20 नेतृत्व शिखर सम्मेलन की तैयारी में ऑस्ट्रेलिया कई बैठकें आयोजित कर रहा है जिनमें वित्तमंत्रियों, व्यापार मंत्रियों, रोजगार मंत्रियों, शेरपाओं, वित्तीय उपाध्यक्षों तथा विषय-विशिष्ट कार्य दलों की बैठकें शामिल हैं।

जी-20 के संचालन में गैरसरकारी समूहों का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। नेताओं के विमर्श में योगदान देने के लिए संबद्धता समूह स्थापित किए गए हैं। ये समूह हैं- व्यापार समुदाय के लिए बिजनेस-20 (बी-20), नागरिक समाज के लिए सिविल 20 (सी-20), मजदूर संगठनों के लिए लेबर 20 (एल-20), विचार मंचों एवं शिक्षाविदों के लिए थिंक-20 (टी-20) और युवाओं के लिए यूथ-20 (वाई-20) आदि शामिल हैं।

ऑस्ट्रेलिया की जी-20 अध्यक्षता के पहले माह में 2014 कार्यसूची पर चर्चा के लिए संबद्धता समूहों के प्रतिनि‍धियों ने शेरपाओं के साथ बैठक की। मई माह में संबद्धता समूहों के प्रतिनि‍धियों ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के संसदीय सचिव को अपनी प्रगति और आरंभिक नीतिगत चर्चाओं से अवगत कराया। जून माह से प्रत्येक संबद्धता समूह 2014 के लिए अपनी प्रमुख बैठक स्वतः आयोजित करेगा और ब्रिस्बेन शिखर सम्मेलन में नेताओं के विमर्श हेतु अपने विचार प्रस्तुत करेगा।

मजबूत, संधारणीय एवं संतुलित वृद्धि तथा सभी के लिए एक सशक्त एवं लचीली अर्थव्यवस्था के जी-20 के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विकास का सशक्तीकरण अत्यंत महत्व रखता है और जी-20 की कार्यसूची के सभी क्षेत्रों में यह प्रमुखता से शामिल है।