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Last Updated :काठमांडू , रविवार, 3 मई 2015 (20:13 IST)

नेपाल में भूकंप : चमत्कारिक रूप से तीन और जीवित निकले

नेपाल में भूकंप : चमत्कारिक रूप से तीन और जीवित निकले - earthquake in Nepal
काठमांडू। नेपाल में भारी तबाही लेकर आए भूकंप के आठ दिनों बाद रविवार को चमत्कारिक रूप से दो पुरुषों और एक महिला को उनके घरों के मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला गया।  भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 7056 हो गई, जिसमें 38 भारतीय शामिल हैं।  मृतकों की संख्या में और इजाफा होने की आशंका है।  इस बीच, आज भूकंप के कई झटके महसूस किए गए जिससे लोगों में घबराहट नजर आई। 
रिक्टर पैमाने पर 4.3 तीव्रता के एक झटके ने उन लोगों में फिर से खौफ पैदा कर दिया जो खराब मौसम के कारण खुले आसमान तले रहने को मजबूर हैं और जिन्हें भोजन-पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। 
 
बीते 25 अप्रैल को आए भूकंप में अब तक कम से कम 7056 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि घायलों की संख्या 14227 हो गई है।  पिछले हफ्ते आए भूकंप को बीते 80 सालों में आया सबसे भयानक भूकंप बताया जा रहा है। 
 
बहरहाल, वित्तमंत्री रामशरण महत ने कहा कि मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है। बाकू में एशियाई विकास बैंक की एक बैठक के इतर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महत ने कहा, भूकंप के झटकों में कमी नहीं आई है और हमें लगता है कि मरने वालों की संख्या बहुत बढ़ सकती है।

उन्होंने कहा, बड़े दुख और निराशा के साथ कहना पड़ रहा है कि मैं तबाह हो चुके अपने देश नेपाल का पक्ष आपके सामने रखने के लिए खड़ा हूं। उन्होंने कहा कि भूकंप में बड़े पैमाने पर जानमाल की क्षति हुई है और लाखों लोग बेघर हो चुके हैं।
 
अधिकारियों ने कहा कि हिमस्खलन से एक समूचा गांव उसकी चपेट में आकर खत्म हो गया और माना जा रहा है कि कई अन्य लोग मारे गए।  इस बीच, जीवित बचे और लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की उम्मीदें उस वक्त फिर जिंदा हो गईं जब भूकंप के आठ दिनों बाद आज दो पुरुषों एवं एक महिला को मलबे से जिंदा निकाला गया।  तीन दिन पहले एक किशोर और एक महिला को जीवित बाहर निकाला गया था। 
 
उन्हें पर्वतीय स्याउली गांव के पास बाहर निकाला गया और इलाज के लिए पास ही के एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यहां से पश्चिम में करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जिला रिक्टर पैमाने पर आए 7.9 तीव्रता के भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। 
 
नेपाल ने कहा था कि मलबे से लोगों के जीवित निकलने की उम्मीद काफी कम है।  गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी ढकाल ने कहा था, यदि किसी को जीवित बाहर निकाला जाता है तो यह चमत्कार ही होगा। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि प्रशासन ने उम्मीदें छोड़ दी हैं।  उन्होंने कहा कि बचाव टीमें लगातार जीवित बचे लोगों की तलाश कर रही हैं।  भूकंप में अब तक 54 विदेशी मारे गए हैं जिसमें कम से कम 38 भारतीय हैं।  भूकंप से नेपाल में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है। 
 
पुलिस ने कहा कि 10 भारतीय सहित 48 विदेशी जख्मी हुए हैं और 82 विदेशी नागरिक लापता बताए जा रहे हैं।  एक रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस ने लोकप्रिय ट्रेकिंग क्षेत्र लांगटांग में छह विदेशियों सहित 51 लोगों के शव बरामद किए हैं।  रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि करीब 100 विदेशी अब भी इलाके में लापता हैं। 
 
आज पूर्वी नेपाल में मकालू बेस कैंप से एक भारतीय समेत 12 पर्वतारोहियों को निकाला गया जो फंस गए थे।  उन्हें काठमांडू ले जाया गया।  नेपाल के राजनीतिक दल इस बात पर सहमत हुए हैं कि देश में राहत कार्य चलाने के इच्छुक पक्ष अपने स्तर पर यह काम शुरू कर सकते हैं, इसके लिए उन्हें सरकारी प्रक्रिया से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा। 
 
संयुक्त राष्ट्र की मानवतावादी एजेंसी (मानवीय मामलों के समन्वय के लिए कार्यालय) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में 160000 से ज्यादा घर तबाह हो गए। उधर संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के प्रमुख वेलेरी आमोस ने कहा कि नेपाल की जिम्मेदारी है कि राहत सामग्री की आपूर्ति के लिए जल्दी से जल्दी सीमा शुल्क संबंधी मंजूरी दे। 
 
आमोस और यूरोपीय संघ के मानवीय सहायता और संकट प्रबंधन आयुक्त क्रिस्टस स्टाइलियानाइड्स ने प्रधानमंत्री सुशील कोइराला से मुलाकात की और इस संकट की घड़ी में नेपाल को अंतरराष्ट्रीय समर्थन की प्रतिबद्धता जताई। 
 
क्रिस्टस ने कहा, इतनी भयावह आपदा दुनिया में किसी भी सरकार की क्षमता की परीक्षा लेती है। इस बीच, आज रिक्टर स्केल पर 4.3 तीव्रता के एक झटके सहित नए सिरे से भूकंप के बाद के झटके महसूस किए गए।  जिसके बाद लोग दहशत में खुले स्थानों की ओर दौड़े। 
 
अधिकारियों ने कहा कि पहाड़ से बर्फ की चट्टान दरकने से एक पूरा गांव बह गया और कई लोगों के मारे जाने की आशंका है। देश का एकमात्र मुख्य हवाईअड्डा त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय विमानपत्तन का रनवे क्षतिग्रस्त होने के कारण इसे बड़े विमानों के लिए बंद कर दिया गया है। उधर तबाही के बीच देश में अंतरराष्ट्रीय मदद का स्तर बढ़ गया है।  घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आपात एजेंसियां तेजी से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को मेडिकल आदि सहायता पहुंचाने का प्रयास कर रहीं हैं। 
 
नेपाल ने तिरपाल और तंबुओं पर से शुक्रवार को आयात कर हटा दिया लेकिन गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी प्रसाद ढाकल ने कहा कि विदेशों से आने वाली सभी वस्तुओं की जांच करनी होगी। सहायता एजेंसियों ने आगाह किया है कि देश में सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों को शक्तिशाली भूकंप से बहुत नुकसान हुआ है। 
 
अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों ने राहत प्रयासों में व्यापक स्तर पर तेजी का आह्वान किया है। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस के मुताबिक अनुमान है कि अकेले सिंधुपाल चौक में ही 40000 मकान ध्वस्त हो गए हैं। (भाषा)