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Last Modified: वॉशिंगटन , शनिवार, 3 जून 2017 (18:08 IST)

ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में बगावत

ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में बगावत - Donald Trump America Paris Agreement
वॉशिंगटन। पैरिस समझौते से अमेरिका को बाहर करने के ट्रंप के फैसले का देश में जमकर विरोध हो रहा है। अमेरिका के कई राज्य, शहर, कॉर्पोरेशन्स और जानी-मानी हस्तियों ने ट्रंप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बड़ी तादाद में लोगों ने पैरिस समझौते का समर्थन करते हुए कहा कि वह चाहते हैं अमेरिका इस संधि को लेकर प्रतिबद्ध बना रहे। 
 
न्यूयॉर्क से लेकर कैलिफॉर्निया, जनरल इलेक्ट्रिक से लेकर फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां, बुद्धिजीवियों से लेकर आम अमेरिकी नागरिक सभी इस मुद्दे पर ट्रंप के विरोध में नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने भले ही इस संधि को 'अमेरिका विरोधी' बताते हुए इससे पैर पीछे खींचने का ऐलान किया हो, लेकिन अमेरिका में बहुसंख्यक लोग ट्रंप के इस विचार से सहमत नहीं दिख रहे हैं। 
 
ट्रंप के इस फैसले का सर्वाधिक मुखर विरोध न्यूयॉर्क और कैलिफॉर्निया में सबसे ज्यादा है। पेरिस समझौते के प्रति समर्थन जताते हुए न्यूयॉर्क के गर्वनर ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर सहित शहर की प्रमुख जगहों को हरे रंग की रोशनी से भरने का आदेश दिया। उधर कैलिफॉर्निया के गर्वनर जेरी ब्राउन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि अगर अमेरिका पैरिस समझौते से पीछे हटता है, तो कैलिफॉर्निया खुद चीन के साथ जलवायु परिवर्तन पर एक संधि करेगा। विदित हो कि कैलिफॉर्निया को अमेरिका का 'गोल्डन स्टेट' माना जाता है। इसकी अर्थव्यवस्था अमेरिकी अर्थव्यवस्था का एक-तिहाई मानी जाती है। 
 
राष्ट्रपति ट्रंप की सबसे ज्यादा फजीहत वैसे पिट्सबर्ग ने की। ट्रंप ने अपने भाषण में कहा था कि वह पिट्सबर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए राष्ट्रपति बने हैं, न कि पेरिस का प्रतिनिधित्व करने के लिए। पेरिस जलवायु समझौते पर उनके फैसले की आलोचना करते हुए पिट्सबर्ग के मेयर ने कहा कि उनके राज्य में 80 फीसद से ज्यादा लोगों ने डेमोक्रैटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलरी क्लिंटन के लिए मतदान किया था, न कि ट्रंप के लिए। मेयर ने यह भी कहा कि उनका स्टेट पेरिस समझौते के साथ खड़ा रहेगा। बड़ी संख्या में कारोबारियों और औद्योगिक घरानों ने भी ट्रंप के फैसले का विरोध किया है। 
 
कारोबारी और उद्योगपति भी ट्रंप के इस फैसले से नाराज हैं, तो डिज्नी के प्रमुख बॉब आइगर ने भी डॉनल्ड ट्रंप की सलाहकार समिति से इस्तीफा दे दिया है। पेरिस जलवायु समझौता) से अमेरिका को अलग करने की ट्रंप की घोषणा का विरोध करते हुए आइगर ने यह कदम उठाया। अपने इस्तीफे की जानकारी देते हुए एक ट्वीट में बॉब आइगर ने लिखा कि यह आदर्शों का सवाल है। मैंने पैरिस समझौते से अमेरिका को अलग किए जाने का विरोध करते हुए डॉनल्ड ट्रंप की बिजनेस सलाहकार परिषद से इस्तीफा दे दिया है।
 
ट्रंप के इस फैसले का अमेरिका में ही जमकर विरोध हो रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, जिनके समय में यह समझौता हुआ था, ने भी ट्रंप के इस निर्णय की आलोचना की है। ओबामा ने कहा कि पेरिस समझौते में बने रहने वाले देश रोजगार और उद्योगों के नए मौकों का फायदा उठाएंगे। मेरा यकीन है कि अमेरिका को इस पंक्ति में सबसे आगे खड़ा होना चाहिए।
 
एक बयान जारी कर ओबामा ने कहा कि ट्रंप प्रशासन उन मुट्ठीभर देशों में शामिल है जो कि आने वाले भविष्य को नकार रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि अमेरिका के स्टेट्स, शहर और कारोबारी-उद्योगपति आगे आएंगे और अपने देश को आगे ले जाने की और ज्यादा कोशिश करेंगे। ऐसा करना बेहद जरूरी है, ताकि हमारे पास जो इकलौता ग्रह है उसे हम आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकें।'
 
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और फ्रांस के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों ने भी ट्रंप के इस कदम की निंदा की। मैक्रों ने पैरिस जलवायु समझौते पर बोलते हुए कहा, 'जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कोई बी प्लान नहीं है। ऐसा इसलिए कि हमारे पास केवल धरती ही है, कोई दूसरा ग्रह नहीं।' ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे, जो कि ट्रंप अमेरिका के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से हैं, ने भी ट्रंप के इस निर्णय पर अफसोस जताया है। 
 
खबरों में बताया गया कि टरीजा ने निजी तौर पर ट्रंप को फोन कर बताया कि वह इस नए घटनाक्रम से संतुष्ट नहीं हैं। इससे पहले टेस्ला के चीफ एग्जिक्युटिव इलोन मस्क ने भी राष्ट्रपति ट्रंप की काउंसिल से इस्तीफा दे दिया था। मस्क ने ट्वीट किया कि मैं राष्ट्रपति परिषद से बाहर निकल रहा हूं। जलवायु परिवर्तन एक सच्चाई है। पैरिस समझौते से बाहर निकलना न तो अमेरिका के लिए सही है और ना ही बाकी दुनिया के लिए। 
 
ट्रंप की विवादित नीतियों का विरोध करने में टेक्नोलॉजी क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां काफी आगे रही हैं। इससे पहले फरवरी में जब ट्रंप प्रशासन ने 7 मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था, उस समय भी ऊबर के CEO ने काउंसिल से इस्तीफा दे दिया था। इस परिषद का गठन ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद दिसंबर 2016 में किया था। बताया गया था कि अहम नीतियों से जुड़े फैसले लेने में यह काउंसिल ट्रंप प्रशासन की मदद करेगी। 
 
गौरतलब है कि गुरुवार को ट्रंप ने पेरिस समझौते से अमेरिका को अलग करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए पेरिस समझौते के रूप में बाकी देशों ने एक साजिश रची। ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका दोबारा इस समझौते में शामिल होने की कोशिश कर सकता है, लेकिन इसके लिए वह अपनी नई शर्तें खुद तय करेगा। अपने चुनाव अभियान के दौरान भी ट्रंप ने इस समझौते को लेकर ओबामा प्रशासन की काफी आलोचना की थी और उन्होंने पेरिस क्लाइमेट डील को अमेरिका के हितों के खिलाफ बताया था।