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Last Modified: शुक्रवार, 17 नवंबर 2017 (17:54 IST)

चीन से अमेरिका तक केवल 14 मिनटों में

चीन से अमेरिका तक केवल 14 मिनटों में - china's hypersonic aircraft
पेइचिंग। भविष्य में चीन से कोई विमान 14 मिनट में ही अमेरिका पहुंच सकता है। एक रिपोर्ट में यह खुलासा करते हुए कहा गया है कि चीन एक ऐसा एयरक्राफ़्ट बना रहा है जो परमाणु हथियारों के साथ महज 14 मिनट में अमेरिका के तट पर पहुंच जाएगा। 
 
यह विमान 27 हजार मील प्रति घंटे (43,200 किमी/प्रति घंटा) की हाइपरसॉनिक स्पीड से उड़ान भर सकेगा, जो साउंड की स्पीड से 35 गुना ज्यादा होती है। विशेषज्ञों का दावा है, '2020 तक दुनिया की सबसे तेज हाइपरसॉनिक फैसिलटी (चीन का विंड टनल) का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इसका परीक्षण किया जाएगा।' 
 
मौजूदा समय में दुनिया की सबसे शक्तिशाली विंड टनल न्यू यॉर्क की LENX-X फसिलटी है, जो 22 हजार मील प्रति घंटे (36,000 किमी/घंटे) की स्पीड पर काम करती है। गौरतलब है कि हाइपरसॉनिक एयरक्राफ्ट बनाने के लिए इन टनल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जहां साउंड की स्पीड से पांच गुना ज्यादा रफ्तार पर काम किया जा सकता है। 
 
अगर यह प्रयोग सफल रहा तो इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कर चीन से कुछ ही मिनटों में दुनिया के किसी भी हिस्से में हमला किया जा सकेगा। इसमें मिसाइल और परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। 
 
चीन के इस नए और गोपनीय टनल पर काम कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. झाओ वी ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया कि 2020 तक इसका काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि टनल बनने से चीन के हाइपरसॉनिक वेपंस के विकास कार्यक्रम की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा क्योंकि लैबरेटरी में प्रयोग के दौरान प्लेन उड़ नहीं सकते। 
 
ऐसे में रिसर्चर्स को एक विंड टनल की जरूरत होती है, जो एयरक्राफ्ट की स्पीड जितनी तेज हवा पैदा कर सके। इससे उड़ान का वातावरण तैयार हो जाता है। पेइचिंग में बेहांग यूनिवर्सिटी के एक रिसर्चर प्रोफेसर वू डाफांग ने कहा कि चीन और अमेरिका में हाइपरसॉनिक रेस शुरू हुई है। चीन में कई विंड टनल्स होने से यहां की सेना ने सफलतापूर्वक हाइपरसॉनिक विमानों का टेस्ट किया है।
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