शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. वेबदुनिया सिटी
  3. इंदौर
  4. Green Corridor
Written By
Last Updated :इंदौर , बुधवार, 10 मई 2017 (23:02 IST)

मौत के बाद 5 लोगों को नई जिंदगी दे गया बिजली लाइनमैन

मौत के बाद 5 लोगों को नई जिंदगी दे गया बिजली लाइनमैन - Green Corridor
इंदौर। काम के दौरान दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बाद दिमागी रूप से मृत घोषित 27 वर्षीय बिजली लाइनमैन के परिजन ने उसका लिवर, दोनों किडनी, दोनों आंखें और त्वचा दान कर बुधवार को यहां प्रेरक मिसाल पेश की। चिकित्सकों के मुताबिक इन अंगों से 5 मरीजों को नई जिंदगी मिल सकेगी।
 
अंगदान को बढ़ावा देने वाले गैरसरकारी संगठन 'मुस्कान' के कार्यकर्ता संदीपन आर्य ने बताया कि संजय कुकड़ेश्वर (27) बिजली के खंभे पर सुधार कार्य करते वक्त 8 मई की रात नीचे गिर पड़े थे। शहर के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने उनकी हालत पर सतत निगरानी के बाद उन्हें मंगलवार को 9 मई को दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया।
 
उन्होंने बताया कि कुकड़ेश्वर की मौत के बाद उनके परिजन जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन देने के लिए बिजली लाइनमैन के अंगदान के लिए राजी हो गए। इसके बाद उनके मृत शरीर से लिवर, दोनों किडनी, दोनों आंखें और त्वचा निकाल ली गई।
 
आर्य ने बताया कि कुकड़ेश्वर के लिवर और किडनी को अलग-अलग ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 2 अन्य अस्पतालों तक पहुंचाया गया। इन अंगों को 2 मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया। कुकड़ेश्वर की एक किडनी को उसी अस्पताल में भर्ती एक मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया, जहां इलाज के दौरान बिजली लाइनमैन को मृत घोषित किया गया था।
 
उन्होंने बताया कि मृत्यु उपरांत कुकड़़ेश्वर के अंगदान से मिली आंखों और त्चचा को 2 अलग-अलग संस्थाओं ने प्रत्यारोपण के लिए हासिल कर सुरक्षित रख लिया है। आर्य ने यह भी बताया कि मस्तिष्क का दौरा पड़ने के बाद शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती तारा देवी नेभवानी (68) को बुधवार को शाम दिमागी रूप से मृत घोषित किया गया। मूलत: खंडवा निवासी महिला के परिजन भी उसके अंगदान के लिए राजी हो गए हैं।
 
इंदौर में दिमागी रूप से मृत मरीजों के अंगदान से मिले अंगों को प्रत्यारोपण के लिए जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाने के लिए 7 अक्टूबर 2015 से लेकर अब तक 17 बार ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा चुके हैं।
 
ग्रीन कॉरिडोर बनाने से तात्पर्य सड़कों पर यातायात को इस तरह व्यवस्थित करने से है कि अंगदान से मिले अंगों को एम्बुलेंस के जरिए कम से कम समय में जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाया जा सके।
ये भी पढ़ें
भारतीय छात्रों को 500 मेडिकल सीटें देंगे रूसी विश्वविद्यालय