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Last Updated : बुधवार, 17 जनवरी 2018 (21:30 IST)

डीपीएस बस हादसा : स्पीड गवर्नर फर्जीवाड़े में दो और गिरफ्तार

डीपीएस बस हादसा : स्पीड गवर्नर फर्जीवाड़े में दो और गिरफ्तार - DPS Bus Accident, Speed Governor, Transport Agent
इंदौर। दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) की दुर्घटनाग्रस्त बस में गति नियंत्रक उपकरण (स्पीड गवर्नर) के सही काम करने का फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के मामले में पुलिस के साइबर दस्ते ने नीमच के परिवहन एजेंट समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
 
 
राज्य साइबर दस्ते की इंदौर इकाई के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह ने बुधवार को बताया कि परिवहन विभाग के एक आला अधिकारी की शिकायत पर जांच के बाद गिरफ्तार आरोपियों की पहचान नीमच निवासी एजेंट श्यामलाल प्रजापत और उसके साथी कुलदीप सिंह झाला के रूप में हुई है।
 
उन्होंने बताया कि हादसे की शिकार स्कूल बस में स्पीड गवर्नर के सही काम करने का फर्जी प्रमाण पत्र प्रजापत की नीमच स्थित फर्म के कम्प्यूटर से परिवहन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, जबकि यह प्रमाण पत्र इंदौर की एक निजी फर्म ने जाली तरीके से तैयार किया था।
 
 
सिंह ने बताया, जब हमने प्रजापत और झाला को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तो पता चला कि नीमच में रखे उनके कम्प्यूटर का इंदौर की फर्म ने एक रिमोट डेस्कटॉप एक्सेस सॉफ्टवेयर के जरिए इस्तेमाल किया था और परिवहन विभाग की वेबसाइट पर इस आशय का फर्जी प्रमाण पत्र अपलोड कर दिया था कि डीपीएस की बस में लगा स्पीड गवर्नर सही काम कर रहा है।
 
सिंह ने कहा कि इस फर्जीवाड़े में प्रजापत और झाला की मिलीभगत थी और डीपीएस बस हादसे के मामले के तूल पकड़ने पर उन्होंने संबंधित कम्प्यूटर को फॉर्मेट कराने के बाद नीमच के एक चाय वाले को महज 5000 रुपए में बेच दिया था, ताकि गड़बड़ी के सबूत मिटाए जा सकें।
 
डीपीएस की दुर्घटनाग्रस्त बस में लगे स्पीड गवर्नर में गड़बड़ी के खुलासे के बाद पुलिस इंदौर की निजी फर्म के संचालक और इस फर्म के कर्मचारी के साथ डीपीएस के एक परिवहन अधिकारी को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
 
आरोप है कि इस फर्म को कुछ रकम देकर उससे इस बात का फर्जी प्रमाण पत्र ले लिया गया कि डीपीएस की स्कूल बस में लगा स्पीड गवर्नर सही काम कर रहा है, जबकि वाहनों की गति सीमित करने वाले इस उपकरण को तकनीकी छेड़छाड़ के जरिए जानबूझकर खराब कर दिया गया था।
 
 
पुलिस को मामले की जांच में पता चला कि​ हादसे के वक्त स्कूल बस 60 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा की रफ्तार से दौड़ रही थी, जबकि परिवहन विभाग के नियमों के मुताबिक, इस वाहन में स्पीड गवर्नर लगने के बाद उसकी गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए थी।
 
 
डीपीएस की यह तेज रफ्तार बस कनाड़िया क्षेत्र के बायपास रोड पर पांच जनवरी की शाम इस कदर अनियंत्रित हो गई कि वह डिवाइडर फांदकर समानांतर लेन में जा घुसी और सामने से आ रहे ट्रक से भिड़ गई थी। इस हादसे में छह से लेकर 13 वर्ष की आयु वाले चार स्कूली बच्चों के साथ बस ड्राइवर की मौत हो गई थी।