• Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. टोक्यो ओलंपिक 2020
  3. टोक्यो ओलंपिक: भारतीय खिलाड़ी
  4. CA Bhavani Devi is the first indian fencer to play in olympics
Written By
Last Modified: बुधवार, 14 जुलाई 2021 (21:30 IST)

पिता हैं पुजारी, मां ने ट्रेनिंग के लिए गहने रखे गिरवी, बेटी C.A भवानी देवी बनी ओलंपिक खेलने वाली पहली भारतीय तलवारबाज

पिता हैं पुजारी, मां ने ट्रेनिंग के लिए गहने रखे गिरवी, बेटी C.A भवानी देवी बनी ओलंपिक खेलने वाली पहली भारतीय तलवारबाज - CA Bhavani Devi is the first indian fencer to play in olympics
तमिलनाडू की एक चार्टेड अकाउंटेंट भवानी देवी ओलंपिक में क्वालिफाय करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज बन चुकी है। टोक्यो में होने वाले आगामी ओलंपिक खेलों में उनका चयन मार्च महीने में हुआ था।
 
प्रारंभिक जीवन 
27 अगस्त 1993 को तमिलनाडू की राजधानी चेन्नई में जन्मी भवानी देवी के पिता एक पुजारी हैं और माताजी गृहणी है। उन्होंने मुर्गा धनुषकोड़ी कन्या विद्यालय में अपनी शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद चेन्नई के सेंट जोसेफ इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया और बाद में केरला के सरकारी कॉलेज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री हासिल की। 
 
करियर
भवानी का फैंसिंग में करियर स्कूल से ही शुरु हो गया था। लेकिन उनकी ट्रेनिंग काफी महंगी थी। कहा तो यह भी जाता है कि ट्रेनिंग जारी रखने के लिए उनकी मां ने गहने तक गिरवी रख दिए थे। साल 2009 की कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीता था और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।2014 की एशियन चैंपियन में रजत पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय बनी। फिलहाल 37 अंको के साथ उनकी विश्व रैंकिंग 42 है।
 
तलवारबाजी में 8 बार की राष्ट्रीय चैंपियन भवानी देवी पिछली बार ब्राजील में हुए रियो ओलंपिक्स में क्वालिफाय करने से चूक गई थी। उन्होंने क्वालिफिकेशन के लिए काफी मेहनत की। इटली के लिवोर्नो में कोच निकोलो जनौटी भवानी को कोचिंग दे रहे हैं।
 
ओलंपिक का टिकट पाने के बाद एक साक्षात्कार में भवानी ने हंसते हुए कहा, "जब मैंने खेलों में हिस्सा लेने के लिए दाखिला लिया, तो हम सभी को समूहों में विभाजित किया गया और पांच अलग-अलग खेलों में से एक को चुनने का विकल्प दिया गया। जब तक मेरी बारी आई, तब तक केवल तलवारबाजी में ही स्लॉट बचा था।"(वेबदुनिया डेस्क)
ये भी पढ़ें
ओलंपिक हुआ करता था महिला विरोधी, खेल देखने पर सुना दी जाती थी मौत की सजा