कविता : रंगों से भरा है यह देश
हर रंग दिखता है यहां
बिखरा हुआ निखरा हुआ
रंगों से भरा है यह देश
हर बोली, भाषा, और वेश
हर जात, धर्म का समावेश
हर गीत,कविता,कव्वाली
हर क्रिसमस ईद दीवाली ..
बिखर जाते हैं रंग सुहाने
रंगों से भरा है यह देश
हर सांझा दीया और बाती
हर सांझ है होती अजान
हर कर्म यहां पर सजदा है
अपना सा है हर नाम
उमड़ते हैं रंगों के सैलाब
रंगों से भरा है यह देश