मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. अपना इंदौर
  3. इतिहास-संस्कृति
  4. Social reformer and efficient administrator Maharaja Tukojirao II

समाज सुधारक एवं कुशल प्रशासक : महाराजा तुकोजीराव द्वितीय (1844-86)

समाज सुधारक एवं कुशल प्रशासक : महाराजा तुकोजीराव द्वितीय (1844-86) - Social reformer and efficient administrator Maharaja Tukojirao II
खंडेराव का देहांत होने पर ब्रिटिश सरकार ने महाराजा यशवंतराव होलकर की विधवा (मां साहिबा) की सहमति से तुकोजीराव द्वितीय को उनका उत्तराधिकारी मनोनीत किया था। 3 मई 1835 को जन्मे तुकोजीराव द्वितीय की आयु कम होने की वजह से राज्य का शासन इंदौर के तत्कालीन रेसीडेंट सर रॉबर्ट हेमिल्टन की देखरेख में चलाया जाने लगा। नए महाराजा की शिक्षा का जिम्मा मुंशी उमेदसिंह को सौंपा गया। कुशाग्र बुद्धि तथा वाणिज्य के हिसाब-किताब के मामले में महाराजा की नैसर्गिक प्रतिभा शीघ्र ही जाहिर हो गई।
 
18वें वर्ष में प्रवेश करते-करते तुकोजीराव द्वितीय अंगरेजी, फारसी व संस्कृत में पारंगत हो चुके थे तथा भारतभर की यात्रा कर काफी अनुभव भी प्राप्त कर चुके थे। तब उन्हें शासन की बागडोर संभालने योग्य मानते हुए वर्ष 1852 में गद्दी पर आसीन किया गया। पूरे राज्य में शांति व्यवस्था बहाल होने लगी। सती प्रथा, शिशु-हत्या तथा गुलामी-प्रथा पर प्रतिबंध को कड़ाई से अमल में लाया गया। तुकोजीराव द्वितीय ने हजारों कुओं, बावड़ियों आदि का निर्माण करवाया। उन्होंने कृषि व उद्योग को भरपूर प्रोत्साहन दिया। लगभग 10 लाख रुपए की लागत से उन्होंने एक कपड़ा मिल की स्थापना भी करवाई।
 
वर्ष 1857 की क्रांति के दौरान महाराजा तुकोजीराव द्वितीय अंगरेजों के प्रति वफादार रहे। बंबई प्रेसीडेंसी के अहमदनगर तथा अन्य जिलों में स्थित होलकर वंश की संपत्ति के बदले उन्होंने सतवास, नेमावर, बड़वानी, धारगांव, कसरावद तथा मंडलेश्वर हासिल किए। वर्ष 1862 में उन्हें बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया गया।
 
वर्ष 1865 में खंडवा से इंदौर तक होलकर स्टेट रेलवे के निर्माण हेतु उन्होंने ब्रिटिश सरकार को 1 करोड़ रुपए का ऋण दिया। उन्होंने भूमि सुधार की दिशा में भी पहल की। वर्ष 1875 में उन्होंने कलकत्ता जाकर प्रिंस ऑफ वेल्स से भेंट की। वर्ष 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स की मालवा यात्रा के दौरान महाराजा तुकोजीराव द्वितीय ने उनकी मेजबानी की। वर्ष 1877 के शाही दरबार में उन्हें महारानी के कौंसिलर की पदवी प्रदान की गई। होलकर राज्य के विकास और उसमें सुधार का बहुत कुछ श्रेय महाराजा तुकोजीराव द्वितीय को जाता है।
 
होलकरों के इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए बख्शी खुमानसिंह का नाम अपरिचित नहीं। आधुनिक इंदौर की कल्पना संजोने वाले तुकोजीराव द्वितीय की गद्दीनशीनी का उल्लेख बख्शी खुमानसिंह के रोजनामचे में ही मिलता है। कब, कहां, कितनी बजे यह समारोह हुआ, कौन उसमें उपस्थित थे, इन सबका विवरण इसमें है। रोजनामचे के उस पृष्ठ का चित्र साक्षी है राजबाड़े में हुए उस समारोह का। इसकी भाषा आज अटपटी लग सकती है, पर तब का विवरण तो इसी में है।
ये भी पढ़ें
बड़ी खबर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कोरोना संक्रमित