शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
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क्यों है पुरुषोत्तम मास का इतना अधिक महत्व? जानिए मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की रोचक कथा

क्यों है पुरुषोत्तम मास का इतना अधिक महत्व? जानिए मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की रोचक कथा - Story Of Purshottam Mas
जैसा कि आप जानते हैं कि हिन्दू धर्म, ज्योतिष एवं शास्त्रों के अनुसार खरमास यानि मलमास को निकृष्ट मानकर इस मास में किसी भी प्रकार के शुभकार्य को वर्जित माना जाता है। मास कि दृष्टि से देखें तो नियचित ही यह अपमानजनक है, परंतु यहीं से प्रारंभ होती है इस मास के भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय अधिकमास बनने की रोचक कथा। 
 
इस कथा के अनुसार, खरमास को जब देवताओं एवं मनुष्यों के द्वारा नकारा गया और इसकी निंदा की गई, तब खरमास इस निंदा और अपमान से दुखी होकर भगवान विष्णु के पास पहुंचा और अपनी व्यथा सुनाई। मास ने कहा कि उसकी हर जगह निंदा होती है और वह किसी के लिए भी स्वीकार्य नहीं है। अत: उसका कोई स्वामी नहीं है।
 
मास की बात सुन भगवान विष्णु उसे अपने साथ गौलो‍क में भगवान श्रीकृष्ण के पास लेकर गए। रत्नरड़ि‍त सिंहासन पर वैजयंती माला धारण कर विराजित श्रीकृष्ण को जब यह व्यथा सुनाई गई कि खरमास में कोई मांगलिक कार्य नहीं होता और हर जगह उसका अनादर होता है, तो श्री कृष्ण ने उसकी व्यथा सुनकर कहा - कि इस संसार में अब मैं तुम्हारा स्वामी हूं। मैं तुम्हें स्वीकार करता हूं। अब कोई तुम्हारी निंदा नहीं करेगा। 
 
भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास को स्वीकार कर उसे अपना नाम दिया, अर्थात पुरुषोत्तम मास। भगवान ने कहा कि अब तुम्हें पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाएगा।
 
जो तप गोलोक धाम में पद को पाने के लिए मुनि, ज्ञानी कठोर करते हैं, वह इस माह में अनुष्ठान, पूजन और पवित्र स्नान से प्राप्त होगा। यही कारण है कि पुरुषोत्तम  मास में किया जाने वाला स्नान, ध्यान, अनुष्ठान हमें ईश्वर के निकट ले जाता है।