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Written By ND

मानव जीवन में वेदों का महत्व

पं लेखराम आर्य
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वेद मानव जीवन को सुखपूर्वक व्यतीत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण साधन है। जैसे कोई इंजीनियर किसी यंत्र को बनाता है तो वह किस उपयोग के लिए बना है और उसको उपयोग में लेने की क्या रीति है उसे दूसरा कोई मनुष्य नहीं बता सकता इसी प्रकार इस संसार को किस लिए बनाया गया है इस बात की पूर्ण जानकारी ईश्वर ने हमें वेद के रूप में प्रदान की है।

पं. लेखराम आर्य ने वेदों का महत्व बताते हुए कहा कि जैसे बिना पढ़ाए कोई बालक विद्वान होकर दूसरों को सही रास्ता नहीं बना सकता उसी प्रकार वेद बढ़े बिना कोई भी मनुष्य इस संसार में स्वयं को और दूसरों को आनन्द में नहीं रख सकता। वेदों में व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक व्यवस्था परस्पर संबंध आदि विषयों का विस्तृत ज्ञान भरा हुआ है।

वेद की उत्पत्ति सृष्टि के आदि में मानव की प्रथम पीढ़ी को 'श्रुति के रूप में चार ऋषियों के द्वारा ईश्वर ने प्रदान की तभी से यह श्रवण परंपरा से चलती रही साथ ही ताम्र पत्रों, भोजपत्र आदि के बाद कागज के पत्रों में पुस्तक रूप में मानव समाज को उपलब्ध हुई है। वस्तुतः वेद समस्त सत्य विद्याओं का ग्रंथ या क्षेत्र के लोगों के लिए सीमित नहीं है। अपितु यह ज्ञान सूर्य के प्रकाश के समान समस्त सृष्टि का पोषण एवं कल्याण के लिए है।'

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वेद मंत्रों के तत्व को समझने के लिए हमें उपनिषद् एवं आरण्यकों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए क्योंकि प्रज्ञा शक्ति के द्वारा उपनिषद् आदि को हमें उनके भाष्य, कथा प्रसंग एवं उद्धरणों को समझने के लिए प्रदान किया है। अतः स्वाध्याय के बिना वेदों की ऋचाओं को समझना कठिन हो जाता है।

आज समाज में भ्रांति का मुख्य कारण यह है कि अधूरे अध्ययन एवं सीमित ज्ञान के कारण समाज वेदों के रहस्य से अछूता हो रहा है, अतः हमें तप स्वाध्याय एवं जिज्ञासा के साथ वेद मंत्रों को पढ़ना, पढ़ाना, समझना और समझाना होगा।