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Written By शम्भू नाथ

वसंत पंचमी पर कविता : आयो बसंत, बदल गई ऋतुएं

वसंत पंचमी पर कविता : आयो बसंत, बदल गई ऋतुएं - Vasant Panchami Poem
उड़-उड़कर अम्बर से।  
जब धरती पर आता है।  
देख के कंचन बाग को।  
अब भ्रमरा मुस्काता है।


 
 
 
फूलों की सुगंधित।  
कलियों पर जा के।  
प्रेम का गीत सुनाता है।
 
अपने दिल की बात कहने में।  
बिलकुल नहीं लजाता है।
कभी-कभी कलियों में छुपकर।  
संग में सो रात बिताता है। 
 
गेंदा गमके महक बिखेरे।  
उपवन को आभास दिलाए।  
बहे बयारिया मधुरम्-मधुरम्।  
प्यारी कोयल गीत जो गाए।  
ऐसी बेला में उत्सव होता जब।  
वाग देवी भी तान लगाए। 
 
आयो बसंत बदल गई ऋतुएं।  
हंस यौवन श्रृंगार सजाए।  
 
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