शनिवार, 28 दिसंबर 2024
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वर्तमान परिस्थितियों पर कविता : राजनीति के रंग-मंच से

वर्तमान परिस्थितियों पर कविता : राजनीति के रंग-मंच से - poem on politics
कोई तो है जो है तैयार, होने को जिम्मेदार। 
खोजता/ परखता रहा है देश, निराशा हाथ लगी हर बार।।
विशाल देश की विशाल समस्याओं में छुपे हैं अनगिनत खतरे,
मुश्किल से मिला इस देश को एक धाकड़ पहरेदार ।।1।।
 
राजनीति हो गया अब सचमुच हद तक मैला धंधा है। 
ऊपर भी मैला, अंदर तो हद दर्जे दुर्गँधा है ।।
ज्यों-ज्यों चुनाव का दिन आता-जाता है नजदीक, मित्रों !
वैसे-वैसे शऊर खोता-जाता हर पार्टी का बंदा है ।।2।।
 
माहिर हैं गठबंधन के सभी खिलाड़ी, न कोई कम, न कोई कच्चे। 
एक हाथ से गलबहियां आपस में, दूसरे हाथ में कटार पीछे ।।
जब-तक कॉमन दुश्मन से लड़ना है, सब एक स्वर में बोलेंगे।
फिर देखेंगे किसकी बलि होगी और होगी किसकी जै-जै ।।3 ।।
 
और अंत में...
 
सेटेलाइट पर यों सटीक निशाना, एक और उपलब्धि हमारी।
श्रेष्ठता की ओर यों कदम बढ़ाती देश की सुरक्षा की तैयारी ।।
महाशक्तियों की सूची में शामिल हो रहा देश का नाम। 
साहसी शासन, सुयोग्य वैज्ञानिक, निडर निर्णयों की स्वर्णिम परिणति है सारी ।।4 ।।