मेरा, तेरा, अपना, सबका;
यह है इंदौर, जय जय इंदौर!
1) सुहानी जलवायु औ मालव माटी में,
बो धीरज, आशा, सहनशीलता या संतोष;
सदियों से हरियाला भाई-चारा उपजाता इंदौर!
2 ) मेहमाननवाजी औ खान-पान में,
हो जलेबी-पोहा, दाल-बाफले या लाडू-चूरमा;
चहुँ ओर नमकीन स्वाद का जादू चलाता इंदौर!
3) ललित कलाओं औ रचनात्मक सृजन में,
हो साहित्य, संगीत, क्रीड़ा, नृत्य या चित्रांकन;
सब छोर बहुआयामी प्रतिभा दर्शाता इंदौर!
4) दिवस औ उत्सव प्रियता में,
हो गणेश, ताजिया, ओणम, छठ या दुर्गा पूजा;
जन-जन में एक-सी उमंग थिरकाता इंदौर!
5)मां देवी अहिल्या की नगरी में,
हो संग मराठी, बंगाली, मलयाली, पंजाबी या गुजराती;
सब अंचल से हिल-मिल लघु भारत झलकाता इंदौर!
मेरा, तेरा, अपना, सबका;
यह है इंदौर, जय जय इंदौर!