शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Poem On Hindi

कविता : हिन्दी का जो मान हुआ

कविता : हिन्दी का जो मान हुआ - Poem On Hindi
हिन्दी का जो मान हुआ है 
हर मुख से जब गान हुआ है
 
विश्व गुरू यह कहलाती है
बालक भाषा भान हुआ है
 
हिन्दी में गूंजी किलकारी 
घर नन्हा मेहमान हुआ है
 
संस्कृत जननी है कहलाती 
जन बोली का प्रान हुआ है
 
अम्मा पप्पा बोले बच्चा
नादां पर सबके कान हुआ
 
जीवन दायिनी रही हिन्दी
इसमें मां उर पान हुआ है
 
हिन्दुस्तान की माटी पलता
खेल कूद शैतान हुआ है
 
अजान अबोध औ चंचल 
बालरूप भगवान हुआ है
 
हिन्दुस्तान की माटी पलता
खेल कूद शैतान हुआ है
 
जीवन बीता हिन्दी मे ही 
संविधान न सम्मान हुआ है
 
हिन्दी हूं माथे बिन्दी हूं 
देश तभी कप्तान हुआ है
ये भी पढ़ें
क्यों नही समझा जाता - बहू को बेटी !