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बेटियां अंधेरा दूर करती हैं

बेटियां अंधेरा दूर करती हैं - Poem On Daughter's
सुनीता काम्बोज 
यही बेरंग जीवन में हमेशा रंग भरती हैं
सदा ही बेटियां घर के अंधेरे दूर करती हैं
 
है इनकी वीरता को ये जमाना जानता सारा
ये शीतल सी नदी भी हैं, ये बन जाती हैं अंगारा
ये तूफानों से लड़ती हैं नहीं लहरों डरती हैं
दा ही बेटियां घर के अंधेरे दूर करती हैं
 
हमेशा खून से ये सींचती सारी ही फुलवारी
छुपा लेती हैं ये मन में ही अपनी वेदना सारी
ये सौ-सौ बार जीती हैं ये सौ-सौ बार मरती हैं
सदा ही बेटियां घर के अंधेरे दूर करती हैं
 
हवाएं राह में इनके सदा कांटे बिछाती हैं
मगर जो ठान लेती ये वही करके दिखातीं हैं
ये मोती खोज लाती हैं जो सागर में उतरती हैं
सदा ही बेटियां घर के अंधेरे दूर करती हैं
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