सोमवार, 23 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Female Foeticide poem
Written By

हिन्दी कविता : अजन्मी का जन्म

हिन्दी कविता : अजन्मी का जन्म - Female Foeticide poem
Poem on Ajanmi Kanya
- ©® तृप्ति मिश्रा

रोजगार ढूंढता पति
वो ससुराल में है पड़ी
कैसे चले घर का खर्च
ये आफत भी आन पड़ी
शर्म नहीं आई ऐसे में
हो गई गर्भवती तू
क्या गलती सिर्फ उसकी
सोचने वह लग पड़ी 
 
पेट में बच्चा, बेरोजगार पति
हुई बड़ी जग हंसाई
पर फिर उसकी सास को
अजन्मे पर कुछ दया आई
आखिर अपने नवासे के लिए
दादी ने 
भ्रूण परीक्षण की
शर्त रखाई
 
घंटे बीते, दिन बीते 
और बीते महीने तीन
उल्टी कर सुबह रोज वो भी
दिखने लगी थी दीन हीन
सोचती रहती हे भगवान
बेटा ही देना मुझे
गर जो हुई बेटी तो 
ये लोग उसे लेंगे छीन
 
भारत है ये हर चीज के
बनते हैं कानून यहां
पर हैं सिर्फ किताबों में
असल में दिखते कहां
पहुंची अल्ट्रासाउंड सेंटर
ऐसे ही वो एक
सोनोग्राफी के बहाने
भ्रूण जांच होती जहां
 
डर था जिस बात का
आखिरकार वही हुआ
मशीन के छोर के ठंडे जैल ने
अंदर की कन्या को छुआ
कोई नहीं बचा सकता इसे
अब ना कोई पूजा
ना ही कोई दुआ
 
लड़की कैसे पालेगी
खुद तो ठप्पे खा रही है
मत कर रोने की नौटंकी
आवाज पड़ोस तक जा रही है
मां ने दी आज्ञा बेटे को 
बेरोजगार पति के साथ
अजन्मी को जन्म देकर 
वो वापिस आ रही है
 
आधे रस्ते चलती कहानी
खत्म अभी नहीं हुई
अपने लहू की हत्या भी
दुष्टों के दिल को नहीं छुई
छोड़ रहे हैं चार दिन
रोकर ये नाटक करती है
कौन करेगा इसकी सेवा
लड़की तुम्हारी छुई मुई
 
इसके बीमार चेहरे के साथ
क्या ये बात छुपा पाएगी
बहुत इज्जत है हमारी
सब धूल में मिल जाएगी
हट जाएंगी दुःख की झाई
जब इसके चहरे से
तब ही भेजना इसे
ये ससुराल वापिस आएगी।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
ये भी पढ़ें
नींबू पानी पीने के 15 फायदे, जरूर जानना चाहिए