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डॉ. मनीष श्रीवास्तव को 'निराला' साहित्य सम्मान पुरस्कार एवं उनकी पुस्तक 'क्रांतिदूत' के चौथे और पांचवें भाग का विमोचन

डॉ. मनीष श्रीवास्तव को 'निराला' साहित्य सम्मान पुरस्कार एवं उनकी पुस्तक 'क्रांतिदूत' के चौथे और पांचवें भाग का विमोचन - book krantidoot 4-5 part released and author dr manish srivastava honored by nirala sahitya samman award
- डॉ. मनीष श्रीवास्तव

12 नवंबर 2022 को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, दिल्ली में प्रोफेसर कपिल कपूर द्वारा लेखक डॉ. मनीष श्रीवास्तव की पुस्तक श्रृंखला क्रांतिदूत के चौथे और पांचवें भाग का विमोचन किया गया। उत्तरप्रदेश, झांसी के मूल निवासी डॉ. मनीष श्रीवास्तव पिछले पंद्रह वर्षों से इंडोनेशिया में कार्यरत हैं।

इस कार्यक्रम में लेखक डॉ. मनीष श्रीवास्तव को सर्वभाषा ट्रस्ट की और से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला साहित्य सम्मान पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर देश के अनेक भागों से आए पाठकगण, सुधिजन, उद्यमी और समाज के कई वर्गों के लोग उपस्थित थे। 

आजादी के अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर इंडिका के सौजन्य से क्रांतिदूत श्रृंखला के अंतर्गत 10 किताबों का संकलन प्रकाशित किया गया है। इस श्रृंखला में भारत की सशस्त्र क्रांति को एक उपन्यास्मृति या उपन्यास्मरण के रूप में तैयार किया गया है।

भगवती चरण, खुदीराम, कन्हाई लाल दत्त, लाला हरदयाल, भाई परमानन्द, गणेश शंकर, आजाद, सुखदेव, राजगुरु, भगवती, माहौर, सदाशिव, विश्वनाथ जैसे सभी साथी क्रांतिदूत होने के साथ एक आम इंसान भी थे। वो हंसते भी थे, मजाक भी करते थे, आपस में लड़ते-झगड़ते भी थे। उन्हीं सब भूली-बिसरी यादों को एक क्रम में सजाने की कोशिश मात्र है यह श्रृंखला। 
 
झांसी फाइल्स की कहानी शुरू होती है 1926 के आसपास, जिसमें आजाद के अज्ञातवास के झांसीवास के बारे में बताया गया है, जिसके बारे में आमजन को ज्यादा खबर नहीं है। इसी दौरान जिक्र आता है आजाद साहब के कुछ और साथियों भगवान दास माहौर, सदाशिव मल्कापुरकर और विश्वनाथ वैशय्म्पायन जी का, जो आजाद से अंतिम समय तक जुड़े रहे थे। यह कहानी झांसी और ओरछा के आसपास घूमती रहती है।
 
काशी में आजाद के काशी प्रवास के बारे में वर्णन है। यहीं आपकी मुलाकात सचिन्द्र नाथ सान्याल साहब से होने वाली है, जहां वो लाहिड़ी, बिस्मिल, प्रणवेश, मन्मथ साहब से आजादी के आंदोलन के लिए चर्चा करते दिखने वाले हैं। शेखर के आजाद बनने की कहानी भी आपको इसी अंक में मिलने वाली है। बिस्मिल के पहले गुरु पंडित गेंदा लाल जी के दुखभरे अंत का जिक्र यहीं आने वाला है। 
 
मित्रमेला की कहानी शुरू होती है नेशनल कॉलेज लाहौर से जहां भगत सिंह, सुखदेव और उनके साथी भाई परमानंद जी, जयचंद्र जी और जुगलकिशोर जी जैसे नामी अध्यापकों और शिक्षाविदों से शिक्षा ले रहे हैं। सावरकर साहब के जीवन से शुरू हुई कहानी उनके साथियों से मिलाती हुई आप को लंदन ले जाएगी।
 
उपरोक्त तीनों अंक प्रकशित हो चुके हैं और आने वाले दो अंकों 'गदर' तथा 'बसंती चोला' का लोकार्पण प्रोफेसर कपिल कपूर द्वारा किया गया,जिनकी संक्षिप्त समीक्षाएं संलग्न हैं। 
 
क्रांतिदूत श्रृंखला के भाग-4 गदर में कहानी है उस काल की जब भारत के अप्रवासी सिखों ने कनाडा और अमेरिका में युद्ध घोष किया था। कोमागाटा मारू, बाबा करतार सिंह साराभा, बाबा वतन सिंह, मदनलाल धींगरा आदि क्रांतिकारी इसी भाग में दिखाई देंगे।
 
क्रांतिदूत श्रृंखला के भाग-5 बसंती चोला में भगत सिंह के साथ अजीत सिंह, रास बिहारी बोस, अवध बिहारी, हनुमंत सहाय, मास्टर अमीर चंद जैसे नाम भी सामने आएंगे। 
 
इस श्रृंखला की अन्य पुस्तकों का प्रकाशन वर्ष 2023 होगा, उन पुस्तकों का नाम इस प्रकार है-
 
क्रांतिदूत श्रृंखला भाग- 6- घर वापिसी
 
क्रांतिदूत श्रृंखला भाग-7- यारियां
 
क्रांतिदूत श्रृंखला भाग-8- विद्रोह
 
क्रांतिदूत श्रृंखला भाग-9- संघर्ष
 
क्रांतिदूत श्रृंखला भाग-10- विसर्जन
 
पुस्तक के प्रकाशक सर्व भाषा ट्रस्ट हैं और बिक्री के लिए अब सभी पुस्तकें उपलब्ध हैं। 
 
प्रोफेसर कपूर के बारे में जानिए- प्रधानमंत्री के 75वें वर्ष अमृत महोत्‍सव कमेटी के सदस्य होने के साथ-साथ संपादकीय समिति, भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख समिति, राष्ट्रीय अभिलेखागार के अध्यक्ष भी हैं। पूर्व में जेएनयू में अंग्रेजी के प्रोफेसर और वाईस चांसलर रहे कपूर ने जेएनयू में संस्कृत अध्ययन केंद्र की भी स्थापना की है। वह हिंदू धर्म के विश्वकोश के अद्वितीय 11 खंडों के मुख्य संपादक हैं। 

Suryakant Tripathi Nirala Sahitya Samman Award
 


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