अव्यवस्थाओं के नाम रहा जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल
हर बार की तुलना में फीका-फीका रहा जेएलएफ
गुलाबी नगरी में गुलाबी ठंड के बीच साहित्य का विराट महोत्सव मिलेजुले अनुभव दे गया। शहर की ऐतिहासिक खूबसूरती में जहां बेमौसम बारिश ने पानी फेर दिया वहीं साहित्य के विशाल समारोह की गरिमा को आयोजकों की पीआर कंपनी एडलमैन ने मटियामेट कर दिया। 17
जनवरी से 21 जनवरी 2014 के बीच आयोजित शब्दों के इस महासागर में विचारों का प्रवाहमयी आलोड़न-विलोड़न हुआ लेकिन मंथन के बाद जो मिला वह अपेक्षा से बहुत कम था। दुख तब होता है जब इतने शुभ उद्देश्य से आरंभ ऐसा नाजुक सा आयोजन विशाल रूप धारण करते-करते अपने अस्तित्व के लिए राजनीति के सहारे तलाश करने लगे। आइए एक नजर डालते हैं कुछ खास पहलूओं पर-
मीडियाकर्मी वही जिसने 'जुगाड़' से पास जुटा लिया पीआर कंपनी ने प्रोड्युसर कंपनी 'टीम वर्क' की टीशर्ट पहने जिन सजी-धजी लड़कियों को मेहमान-नवाजी की जिम्मेदारी सौंपी थी काश, उनका सामान्य ज्ञान भी परख लिया होता ताकि वे जानती कि देश-विदेश के मीडिया हाउस के नाम क्या है,उनका महत्व क्या है और उनसे कैसे व्यवहार किया जाना चाहिए।