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मार्च से बदलेगा मौसम, जानें अलग -अलग मौसम में कैसे बरतें सावधानियां

मार्च से बदलेगा मौसम, जानें अलग -अलग मौसम में कैसे बरतें सावधानियां - how to take care of health in different weather
बसंत पंचमी के साथ ही बसंत ऋतु का आगमन होने लगता है। सर्दी का महीना धीरे-धीरे कम होने लगता है और धीरे-धीरे गर्मी शुरू होने लगती है। इस तरह बदलते मौसम में स्‍वास्‍थ्‍य का ख्‍याल रखना बेहद जरूरी होता है। क्‍योंकि सुबह मौसम ठंडा रहता है और दिन में मौसम गर्म होता है। ऐसे में बीमारियां आपको तेजी से जकड़ लेती है तेजी से सर्दी-खांसी होने लगती है। 
 
भारत में छह प्रकार की ऋतुएं होती है। शिशिर (Autumn),बसंत (Spring),ग्रीष्‍म (summer), वर्षा (Rain), शरद
(winter) और हेमंत (Hemant)। आयुर्वेद के अनुसार इन 6 ऋतुओं के अनुसार लाइफस्‍टाइल होना चाहिए। आइए जानते हैं कौन सी ऋतु में कौन सी बीमारी का खतरा होता है, बीमारी से निपटने के लिए कैसा खान-पान होना चाहिए। आइए जानते हैं -

बसंत ऋतु - (फरवरी -मार्च) - सर्दी का मौसम धीरे -धीरे कम होने लगता है। और सूरज का ताप बढ़ने लगता है। ऐसे में शरीर में जमा कफ पिघलने लगता है। जिससे रोग पैदा होने लगते हैं। कफ को खत्म करने के लिए शहद, गेहूं, जौ का सेवन करना चाहिए। बसंत ऋतु में  कड़वी चीजों का सेवन करना चाहिए। बॉडी का तापमान सामान्‍य रहे इसलिए आईस्‍क्रीम या अन्‍य ठंडी चीजों का सेवन दिन में ही करें।  

ग्रीष्म ऋतु - (अप्रैल-मई) - इस मौसम में गर्मी अधिक होती है। सूर्य पृथ्वी के अधिक करीब होती है इसलिए तापमान अधिक बढ़ जाता है। शरीर में कमजोरी महसूस होने लगती है। ग्रीष्म ऋतु में पेट अधिक खराब रहता है, इसलिए गन्ने के जूस, झोलिया, कैरी पणा, दही और छाछ का अधिक से अधिक सेव करें।  

वर्षा ऋतु - (जुलाई-अगस्‍त) - इस मौसम में बारिश गिरने से वात डिस्टर्ब हो जाता है। पानी भी गंदा हो जाता है, ऐसे में पानी में फिटकरी डालकर ही प्रयोग करें। जहां गंदगी हो वहां नहीं जाएं। चाहे तो पानी को उबालकर भी पी सकते हैं। दही का सेवन करें जिससे पाचन शक्ति अच्छी होगी और भूख भी लगेगी।  

शरद ऋतु - (सितंबर-अक्टूबर) - इस मौसम में गर्मी ज्यादा होती है। ऐसे में तला भुना कम खाना चाहिए। दही का सेवन करें। रूखा खाना खाएं, इस ऋतु में शहद का सेवन करें। शीत ऋतु हेमंत और शिशिर को मिलाकर बनती है। इन दिनों ठंडा खाना खाएं।  

हेमंत ऋतु (नवंबर-दिसंबर) - इस मौसम में जठराग्नि तेजी हो जाती है। रात लंबी होती है इसलिए सुबह के समय भूख लगने लगती है।  सर्दी से बचने के लिए मीठे का सेवन करना चाहिए। गुनगुना पानी पिएं और गर्म कपड़े पहनें।  
शिशिर ऋतु - (दिसंबर-जनवरी) - इस मौसम में और अधिक सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। हेमंत ऋतु में जो सावधानियां बरतते हैं वहीं सावधानियां भी इस ऋतु में भी ध्‍यान रखने की जरूरत है। क्योंकि शिशिर ऋतु में हेमंत ऋतु के मुकाबले और अधिक ठंड होती है। 
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