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Written By नेहा रेड्डी

Health Tips : अनुलोम-विलोम क्या है, कैसे करें इसे घर पर, जानिए Expert Advice

Health Tips : अनुलोम-विलोम क्या है, कैसे करें इसे घर पर, जानिए Expert Advice - Health Tips
स्वस्थ, सेहतमंद रहने के लिए योग का नियमित अभ्यास करने की सलाह दी जाती है। अगर आप तंदुरुस्त रहना चाहते हैं तो अपनी दिनचर्या में एक्सरसाइज के साथ ही अनुलोम-विलोम को भी शामिल करें, यह आपने अधिकतर सुना ही होगा। लेकिन अनुलोम-विलोम होता क्या है, इसे आप घर पर कैसे कर सकते हैं, इसका अभ्यास करने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, इन तमाम सवालों के बारे में हमने बात की योग प्रशिक्षक संगीता विश्वकर्मा से। आइए जानते हैं एक्सपर्ट एड्वाइस।

 
शरीर की तंत्रिका प्रणाली में अवरोध उत्पन्न होने से कई प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोग होते हैं। इन्हीं तंत्रिका प्रणाली की शुद्धिकरण हेतु प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है। वैसे तो प्राणायाम की पूरी क्रिया की सफलता का श्रेय आपकी एकाग्रता और सजगता को जाता है। लेकिन अनुलोम-विलोम का अभ्यास सही प्रकार से करने पर अन्य प्राणायामों से भी अधिक लाभ होता है।
 
प्राणायाम विधि
 
सुखासन, अर्द्धपद्मासन, पद्मासन या सिद्धासन जिसमें कुछ देर आराम से बैठ सकें, बैठ जाएं।
 
कमर, गर्दन एवं सिर को एक सीध में रखें।
 
बाएं हाथ को बाएं घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रखें। दाहिने हाथ की मध्यमा एवं तर्जनी अंगुलियों को दोनों भौंहों के बीच रखें।
 
अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करते हए बाईं नासिका से मध्यम गति में श्वास लें।
 
अब बाईं नासिका को अनामिका एवं कनिष्ठा अंगुलियों से बंद कर लें। इसके पश्चात अंगूठे को दाईं नासिका से हटाते हुए धीमी गति में दोगुने समय में श्वास बाहर निकालें।
 
पुन: दाईं नासिका को अंगूठे से बंद करते हुए एवं बाईं नासिका को अंगुलियों से मुक्त करते हुए धीमी गति में दोगुने समय में श्वास बाहर निकालें। इस प्रकार कम से कम 10 से 15 चक्र नियमित अभ्यास करें।
 
सावधानियां
 
श्वास क्रिया ध्वनिरहित होनी चाहिए।
 
श्वास-प्रश्वास लयबद्ध होना चाहिए।
 
सीने को कम-ज्यादा अत्यधिक न फैलाएं।
 
थकान महसूस होने पर अभ्यास रोक दें।
 
जरूरत पड़ने पर कुछ समय के लिए शवासन कर लें।
 
प्राणायाम के लाभ
 
मस्तिष्क को चुस्त, क्रियात्मक और संवेदनशील बनाता है।
 
शारारिक और मानसिक संतुलन स्थापित करते हुए रोगों को समाप्त करता है।
 
मन शांत एवं प्रसन्न रहता है।
 
अस्थमा, हृदयरोग, माइग्रेन एवं साइनस जैसे रोगों में लाभ देता है।
 
विशेष
 
कोरोना जैसी महामारी में इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास प्रत्येक आयु वर्ग को करना चाहिए।