बुधवार, 9 अप्रैल 2025
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Written By WD

जरूरी है... बीमारी के पहले पैथोलॉजी लैब की जांच...

पैथोलॉजी
आजकल देखा जा रहा है कि डॉक्टर किसी भी बीमारी के निदान के लिए कुछ जांच जरूर करवाते हैं जो बीमार की सही स्थिति जानने के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जांच-पड़ताल करवाते समय जिस पेथालॉजी लैब में आप जा रहे हैं वो विश्वसनीय है या नहीं ? 

 

 
दरअसल आजकल पैथालॉजी सेन्टरों में मरीजों से पैसे ऐंठने के लिए हर तरकीब अपनाई जा रही है। वन टाइम इंवेस्टमेंट और अनलिमिटेड रिटर्न के इस धंधे में मरीज की जिंदगी तक दांव पर लग जाती है। पिछले कुछ सालों में उपभोक्ता फोरम से लेकर अन्य सरकारी शिकायत केन्द्रों पर पैथोलॉजी लैब्स की लगातार शिकायतें आ रही हैं। एक ही जांच की रिपोर्ट हर पैथालॉजी लैब अलग आने के मामले इनमे सबसे आम हैं। 

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इसका सबसे बड़ा कारण है कि यहां काम करने वाले टैक्निशियन ही पूर्णत: योग्य नहीं है। सूत्र बताते हैं कि वैध और अवैध रूप से संचालित कई पैथालॉजी सेन्टरों में नौसिखिए लैब टेक्नीशियन जांच करते हैं, जिन्हें पर्याप्त ज्ञान नहीं होता। कई पैथालॉजी लैब पर प्रशासन द्वारा जांच करने पर सामने आया कि यहां ऐसे लोग काम करते दिखते हैं, जिनके पास लैब टेक्नीशियन की कोई डिग्री, या डिप्लोमा नहीं है।



संचालक पैसे बचाने के फेर में कम सैलेरी वाले काम चलाऊ लोग रखते हैं, जो रिसेप्शन पर रसीद काटने से लेकर पीएफआर, मलेरिया, टायफाइड, यूरिन, पीलिया, एड्स सहित अन्य बीमारियों की जांच कर रहे होते हैं।
 
पिछले साल मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में एक इंजीनियर प्रवीण मनवारे द्वारा अपनी पत्नी और दो मासूम बेटियों की हत्या के मामले में जांच में सामने आया, कि आरोपी ने अपनी पत्नी और बेटियों को सिर्फ इस वजह से मार डाला क्योंकि एक लैब ने उसे एचआईवी से पॉजिटिव बताया था। दरअसल हत्या के आरोपी इंजीनियर प्रवीण मनवारे ने जिस लैब से एचआईवी टेस्ट कराया था, वह है छतरपुर की अवस्थी पैथालॉजी लैब।

आरोपी का दावा है कि इस लैब ने उसे एचआईवी पॉजिटिव बताया था, जिसके बाद उसने इस सनसनीखेज घटना को अंजाम दिया था। इसके बाद से ही छतरपुर की यह लैब बंद है और संचालक लैब का ताला लगाकर गायब हो गया। बाद में पता चला कि इंजीनियर को एचआईवी था ही नहीं।

इसी तरह मप्र की राजधानी भोपाल में एक परिवार को एक पैथालॉजी लैब ने टाइफाइड की झूठी रिपोर्ट देकर गुमराह किया, जिसके बाद उस परिवार ने पैथालॉजी लैब के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में पैथालॉजी लैब के संचालक पर झूठी रिपोर्ट देने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की गई है।

 
इस पैथालॉजी लैब से ब्लड टेस्ट और अन्य टेस्ट कराने पर जांच में उन्हें हमेशा टाइफाइड पॉजीटिव बताया गया। परिवार में दो बेटी और भतीजी को भी टाइफाइड पॉजीटिव बताया गया। बार-बार पॉजीटिव बताने पर दूसरी पैथालॉजी में जांच कराई, जिसमें रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बाद उन्होंने पैथालॉजी लैब पर कार्रवाई की मांग की। 
 
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हर पैथालाॅजी की रिपोर्ट ही गलत होती है। ऐसी कई पैथा लाॅजी लैब हैं जहां सटीक और आधुनिक तरीकों से पर्याप्त योग्य तकनिशियनों द्वारा जांच की जाती है। तो अगली बार यदि आप किसी भी प्रकार की जांच के लिए जा रहे हैं, तो एक बार पैथालॉजी लैब के बारे में थोड़ी जांच जरूर करें।