जायफल यानी नटमेग। क्या आप जानते हैं कि यह स्वाद और सेहत के लिए कितना फायदेमंद है? अगर आप तरह-तरह के व्यंजन पसंद करती हैं और मानती हैं कि विविधता ही खाने का असली जायका होता है। तब तो आपके लिए नटमेग यानी जायफल एक बेहतर जरिया हो सकता है, जायका बढ़ाने का। आयुर्वेद में इसे ही दिव्य औषधियों में से एक माना गया है। इसे खीर में मिलाकर सेवन किया जाता है।
चाहे कुछ भी बनाइए पुडिंग, कचोरी, कस्टर्ड डाल दीजिए थोड़ा सा जायफल और यह आपकी कुकीज और केक को भी टेस्टी बनाता है। जायफल मिलाइए और चीज़ स्लाइसेस और अण्डे के साथ बनाइए जायकेदार व्यंजन।
यह तो हुई खुशबूदार मसाले के स्वाद की बात आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ मजेदार बातें। आप यह जानकर आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि एक ही पेड़ पर दो तरह के मसाले उगते हैं। जी हां ! जायफल और जावित्री। जिनकी खुशबू लम्बे समय तक आपके दिलो-दिमाग पर छाई रहती है।
इतिहास भी अनोखा
पौधे की तरह ही इसका इतिहास भी उतना ही मनोरंजक है। ऐसा माना जाता है कि पहली शताब्दी के आस-पास इसका पौधा पहली बार रोम में देखा गया था। लेकिन छठी शताब्दी में अरब व्यापारी इसे कान्सटेन्टीनोपॉल ले आए। लेकिन इस दौरान 'डच युद्ध' छिड़ गया और काफी संख्या में लोग मारे गए। इसी बीच ब्रिटिश ईस्ट डंडिया कम्पनी जायफल के पौधे भारत ले आई और यहां से पिनांग, सिंगापुर और वेस्ट-इन्डीज जैसे देशों इसे भेजा गया।'ग्रीन गोल्ड' कहलाने वाला इसका पौधा मूल रूप से मसालों की धरती 'इन्डोनेशिया' की पैदाईश है। जब इसके पेड़ पर पीले रंग के फूल खिलने लगते हैं, तो इसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। अण्डों के आकार के ये नन्हे से जायफल ज्वालामुखी वाले क्षेत्रों यानी गर्म इलाकों में फलते- फूलते हैं। इसकी सबसे अनोखी बात है कि इसके मेल और फीमेल दोनों पौधे अलग-अलग उगते हैं।
जायफल
इसके पेड़ पर पांच सालों में फूल आते हैं। और पूरी तरह से पेड़ को तैयार होने में 15 साल का वक्त लग जाता है। लेकिन जब यह पूरी तरह बड़ा हो जाता है, तो पचास सालों तक इस पर फल लगते हैं! इसके एक पेड़ से पूरे सालभर में 2 हजार से भी ज्यादा जायफल मिल जाते हैं। जब इसका फल कच्चा होता है तो वह पीले रंग का होता है। पूरी तरह पकने के बाद इसका बाहरी हिस्सा रूखड़ा सा हो जाता है। फल पकने के दौरान इसके ऊपर लाल रंग की झिल्ली होती है जो इसके बीज को चारों ओर से घेर लेता है इसे 'एरिल' कहते हैं, और इसी से जावित्री तैयार होती है। इसके फल को सू्खने में पूरे दो महीने लग जाते हैं।
जायफल से तेल भी निकाला जाता है, जिसका इस्तेमाल परफ्यूम्स तैयार करने भी किया जाता है। लेकिन इसका पाउडर बनाकर रखना ठीक नहीं क्योंकि ऐसा करने से इसकी महक में कमी जो आ जाती है। यूं तो जायफल आपके खाने के स्वाद को दुगुना कर देता है। लेकिन ज्यादा खाने पर यह नुकसानदायक भी हो सकता है। सही मात्रा में लेने पर पाचन, डायरिया और वमन जैसी बीमारियों से भी आपको बचाता है। देखने में नन्हा सा यह फल बड़े काम की चीज है।
जायफल का चूर्ण तैयार किया जाए और करीब 2 ग्राम चूर्ण में इतनी ही मात्रा की मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम फ़ांकी मार ली जाए तो हर्बल जानकारों का मानना है कि यह शरीर को पुष्ट बनाता है।
जिन पुरुषों के शरीर में शुक्राणुओं के बनने का सिलसिला कम हो जाए अथवा वीर्य पतला होने की शिकायत हो, उन्हें इस फार्मूले को आजमाकर देखना चाहिए। शोध में यह जानकारी मिलती है कि नटमेग यानी जायफल क्लिनिकल तौर पर सेक्सुअल एक्टिविटी को सकारात्मक तौर से बढ़ाता है।
अफ्रीका में भी एक पारंपरिक खाद्य पदार्थ "पोरेज" तैयार किया जाता हैं जो कि सेक्स में अरुचि होने पर महिलाओं को दिया जाता है, इस खाद्य पदार्थ में जायफल का समावेश सिर्फ इसलिए किया जाता है कि यह एक उद्दीपक की तरह कार्य करता है।
1 ब्रेन टॉनिक : रोमन और ग्रीक सभ्यताओं में जायफल को एक ब्रेनटॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। जायफल थकान और तनाव दूर करने के लिए भी जाना जाता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है जिससे बच्चे स्कूल में अधिक एकाग्र हो कर पढ़ाई कर सकते हैं।
2 दर्द निवारक : जायफल दर्द की पीड़ा को शांत करने में अग्रणी है। प्राचीन चीनी औषधियों में जायफल शीर्ष पर रहता आया है। जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों के दर्द ऑर्थ्रराइटिस के दर्द के छुटकारा पाने के लिए आज भी जायफल के तेल को उम्दा माना जाता है।
3 अपच की पीड़ा : जायफल अपच दूर करने के लिए हमारे देश में सदियों से इस्तेमाल किया जाता है। डायरिया, कब्ज, उबकाई आने की समस्या का निवारण जायफल से किया जाता है। अपानवायु के निस्तारण के लिए भी जायफल का प्रयोग होता है।
4 मुंह की बदबू : मुंह की बदबू को जायफल के पावडर के प्रयोग से दूर किया जा सकता है। जायफल में एंटिबैक्टेरियल प्रॉपर्टी होती है जिससे मुंह में मौजूद कीटाणुओं का सफाया हो जाता है। यही वजह है कि जायफल कई ब्रांड के टूथपेस्टों में जम कर इस्तेमाल किया जाता है।
5 लीवर और किडनी शुद्ध होगी जायफल से : शरीर से विषैले पदार्थ हटते ही मरीज फिर पटरी पर लौट आता है। कई तरह के विषैले पदार्थ भोजन के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। दूषित जलवायु, तनाव, तंबाकू सेवन, शराबखोरी से भी जटिल विषैले पदार्थ शरीर में रह जाते हैं। इससे छुटकारा पाने में मदद करता है जायफल। इससे लीवर और किडनी दोनों की शुद्धि होती है।
लीवर के रोगियों के लिए जायफल एक औषधि के तौर पर प्रयोग की जाती है। किडनी स्टोन्स से भी जायफल छुटकारा दिला सकता है। मरीज का लीवर और किडनी स्वच्छ हो तो उसका स्वास्थ्य भी उत्तम होता है।