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Last Updated : रविवार, 14 फ़रवरी 2021 (21:32 IST)

आंदोलन को लेकर नहीं बन पा रही कोई बात, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने कहा- सरकार का अड़ियल रवैया कायम

आंदोलन को लेकर नहीं बन पा रही कोई बात, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने कहा- सरकार का अड़ियल रवैया कायम - Farmer leader Shiv Kumar Sharma's statement about the movement
इंदौर। नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति के सदस्य शिव कुमार शर्मा ने रविवार को दावा किया कि केंद्र सरकार के 'अड़ियल रवैए' के कारण इन प्रावधानों पर गतिरोध बरकरार है।

'कक्काजी' के नाम से मशहूर शर्मा संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष हैं। उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि नए कृषि कानूनों पर गतिरोध बने रहने की सबसे बड़ी वजह सरकार का अड़ियल रवैया है।

उन्होंने कहा कि सरकार के साथ हमारी 12 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन वह किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान करने की कानूनी गारंटी देने को अब तक तैयार नहीं है। कक्काजी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद में लगातार बोलते रहे हैं कि किसानों से बातचीत के लिए सरकार का दरवाजा हमेशा खुला है, लेकिन इस दरवाजे में प्रवेश के लिए हमें सरकार की ओर से न तो कोई तारीख नहीं बताई गई है, न ही अगले दौर की वार्ता का न्योता दिया गया है।

उन्होंने नए कृषि कानूनों को किसानों के लिए 'डेथ वॉरंट' (मौत का फरमान) बताते हुए कहा कि अगर सरकार अन्नदाताओं के हितों की वाकई चिंता करती है, तो उसे इन कानूनों को वापस लिए जाने की हमारी मांग मान लेनी चाहिए।

गौरतलब है कि अमेरिकी गायिका रिहाना और स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में कुछ दिन पहले ट्वीट किए थे। इसके बाद भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और गायिका लता मंगेशकर ने केंद्र सरकार के समर्थन वाले हैशटेग के साथ जवाबी ट्वीट किए थे।

ट्विटर के इस घटनाक्रम पर कक्काजी ने कहा कि सबसे पहले हम राष्ट्रवादी हैं। हम नए कृषि कानूनों का मसला अपने देश में सरकार के साथ मिल-बैठकर सुलझा लेंगे। हमें इस मसले में बाहरी शक्तियों की दखलंदाजी कतई बर्दाश्त नहीं है।
किसान नेता ने तेंदुलकर पर तंज कसते हुए पूछा कि उन्होंने कौन-सी खेती की है और वह किसानों के बारे में आखिर जानते ही क्या हैं? कक्काजी ने यह घोषणा भी की कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ मध्य प्रदेश के हर जिले में किसान महापंचायतों का सिलसिला शुरू किया जाएगा और इसका आगाज सोमवार को खरगोन में आयोजित महापंचायत से होगा।

उन्होंने कहा कि हम राज्य में एक ग्राम, 20 किसान अभियान की शुरुआत भी करेंगे। इसके तहत हर गांव से 20 किसानों को जोड़ा जाएगा जो दिल्ली की सरहदों पर चल रहे आंदोलन में शामिल होंगे।

टिकैत बोले- सरकार को चैन नहीं बैठने देंगे : उधर करनाल में सरकार के खिलाफ रुख और कड़ा करते हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि जब तक किसानों की मांगें नहीं मान ली जाती हैं तब तक सरकार को चैन से बैठने नहीं देंगे।
 
करनाल जिले की इंद्री अनाज मंडी में किसानों की ‘महापंचायत’ को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे 40 नेता पूरे देश में घूम-घूमकर समर्थन मांगेंगे।
 
टिकैत ने कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि जब तक सरकार हमारे पक्ष में फैसला नहीं करती, समिति (प्रदर्शनकारी नेताओं) से बात नहीं करती और हमारी मांगों पर सहमत नहीं होती, तब तक हम उसे चैन से बैठने नहीं देंगे। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि केंद्र के कृषि कानूनों से ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली खत्म हो जाएगी।’
 
टिकैत ने कहा कि कानून न केवल किसानों को बल्कि छोटे किसानों, दिहाड़ी मजदूरों और अन्य वर्गों को भी प्रभावित करेगा। इन कानूनों को लाने की सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए टिकैत ने कहा कि गोदाम पहले बन गए और कानून बाद में आया। क्या किसान नहीं जानते कि ये कानून बड़े कॉरपोरेट के पक्ष में है? इस देश में भूख का कारोबार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। भाकियू नेता ने दोहराया, ‘पंच और मंच वहीं रहेंगे।’
 
उन्होंने कहा कि समिति द्वारा जो भी फैसला लिया जाएगा वह सभी को स्वीकार्य होगा। देश के किसान उसके साथ खड़ा है।

टिकैत के अलावा इस ‘महापंचायत’ में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल और भाकियू हरियाणा शाखा के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी भी मौजूद रहे। राजेवाल ने कहा कि किसान महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांग नहीं सुन रही है। पाल ने कहा कि 200 से अधिक किसानों ने प्रदर्शन में अपना बलिदान दिया है और उनकी कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी। (भाषा)
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