• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. किसान आंदोलन
  4. Can the Supreme Court ban the new agricultural laws and also repeal the laws?
Written By Author विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 12 जनवरी 2021 (13:04 IST)

एक्सप्लेनर: सुप्रीम कोर्ट नए कृषि कानूनों पर रोक लगाने के साथ क्या कृषि कानूनों को रद्द भी कर सकता है?

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से खास बातचीत

एक्सप्लेनर: सुप्रीम कोर्ट नए कृषि कानूनों पर रोक लगाने के साथ क्या कृषि कानूनों को रद्द भी कर सकता है? - Can the Supreme Court ban the new agricultural laws and also repeal the laws?
नए कृषि कानून को लेकर आज पूरे देश की नजर सुप्रीम कोर्ट पर लगी हुई है। कृषि कानून और किसान आंदोलन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहा सुप्रीम कोर्ट आज इस पूरे मुद्दे पर अहम फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान पूरे मामले पर अहम टिप्पणी करते हुए नए कृषि कानूनों पर रोक लगाने जैसी बात भी कही। कोर्ट ने सरकार से कृषि कानूनों को होल्ड करने की बात भी कही। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूरे मामले पर कमेटी बनाने की बात भी कही। 

वहीं सुप्रीम कोर्ट के पूरे मुद्दें पर कमेटी बनाए जाने के बात को संयुक्त किसान मोर्चा ने खारिज कर दिया है। किसान संगठन ने कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हुए साफ किया कि वह कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे है और इस पूरे मुद्दे पर किसी कमेटी के पक्ष में नहीं है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद देश में इस बात पर बहस तेज हो गई है कि क्या सुप्रीमकोर्ट नए कृषि कानून पर रोक लगा सकता या रद्द कर सकता है। 

ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले 'वेबदुनिया' ने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों पर हो रही सुनवाई को लेकर खास बातचीत की। बातचीत में सुभाष कश्यप कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट तीन स्थिति में संसद के द्वारा बनाए गए कानूनों को रद्द कर सकती है। 
1-पहला संसद का बनाया गया कानून संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता हो। 
2-संसद के द्धारा बनाया गया कानून संसद के अधिकार क्षेत्र के बाहर की बात हो। ऐसा कानून जिसे संसद ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर बनाया हो। 
3-तीसरा स्थिति जब संसद के द्धारा बनाया गया कानून पर केंद्र और राज्य के बीच कोई विवाद हो। 
'वेबदुनिया' से बातचीत में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि कृषि कानूनों को बनाने में न किसी के मौलिक अधिकार का हनन हुआ,न संसद ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर कानून बनाया है और न ही इस कानून पर राज्य और केंद्र के भी कोई विवाद है। अगर नए कृषि कानून को देखा जाए तो इसमें ना तो किसी के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है ना ही संसद के अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर के कानून बनाया गया है और ना ही राज्य और कानून केंद्र के बीच का मामला है जबकि यहां तो प्रदर्शन को लेकर खुद दूसरों के मौलिक अधिकार के हनन का मुद्दा उठाया गया है। 

सुभाष कश्यप कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट कृषि कानूनों को न तो रद्द नहीं कर सकती है औऱ न ही इस पर रोक लगा सकती है। इसके आगे वह कहते हैं कि यह पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर है लेकिन जहां तक संविधान का सवाल है तो मैंने जो तीन बातें बताई है उस स्थिति में कोर्ट कानून को अवैध घोषित कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पर सुभाष कश्यप कहते हैं कि वैसे तो यह सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है लेकिन पब्लिक इंटरेस्ट से जुड़ा होने के चलते सुप्रीम कोर्ट अहम फैसला सुना सकता है।

 
ये भी पढ़ें
काम की बात : क्यों ठगाते हैं हम उपभोक्ता के रूप में ?