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Last Updated : सोमवार, 11 जनवरी 2021 (15:50 IST)

सुप्रीम कोर्ट की सरकार को दोटूक, कृषि कानूनों पर आप रोक लगा रहे हैं या हम लगाएं

सुप्रीम कोर्ट की सरकार को दोटूक, कृषि कानूनों पर आप रोक लगा रहे हैं या हम लगाएं - Supreme Court asked- Will the government ban agricultural laws?
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केन्द्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह ‘बेहद निराश’ है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं।
 
उसने कहा कि हम बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं। पीठ ने कहा कि हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं। पीठ में न्यायमूर्ति एसएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. सुब्रमण्यम भी शामिल थे।
 
शीर्ष अदालत प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर रही थी। उसने कहा कि यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति है।
 
...तो कानून के क्रियान्वयन पर लगा देंगे रोक : पीठ ने कहा कि हमारे समक्ष एक भी ऐसी याचिका दायर नहीं की गई, जिसमें कहा गया हो कि ये तीन कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं। उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की आवश्यकता को दोहराया और कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा देगा।
उसने केन्द्र से कहा कि हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं, आप बताएं कि सरकार कृषि कानूनों पर रोक लगाएगी या हम लगाएं? हालांकि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत से कहा कि किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक वह मौलिक अधिकारों या संवैधानिक योजनाओं का उल्लंघन ना करे। वहीं, न्यायालय ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से कहा कि आपको भरोसा हो या नहीं, हम भारत की शीर्ष अदालत हैं, हम अपना काम करेंगे।
 
केन्द्र और किसान संगठनों के बीच सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इंकार कर दिया था, जबकि किसान नेताओं ने कहा था कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी 'घर वापसी' सिर्फ 'कानून वापसी' के बाद होगी। केन्द्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक प्रस्तावित है। 
 
कांग्रेस ने भी साधा सरकार पर निशाना : कांग्रेस ने कृषि कानूनों को लेकर चल रही बातचीत पर उच्चतम न्यायालय की ओर से निराशा जताए जाने के बाद सोमवार को कहा कि तीनों को कानून रद्द करने की जरूरत है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि उच्चतम न्यायालय राजनीतिक मुद्दों का निर्णय करता है, राजनीतिक बेईमानी से खेती को पूंजीपतियों के दरवाजे पर बेचने की साज़िश का नहीं।
 
उन्होंने कहा कि सवाल 3 कृषि विरोधी कानूनों में एमएसपी व अनाजमंडियों को ख़त्म करने का है, किसान को अपने ही खेत में ग़ुलाम बनाने का है। इसलिए क़ानून रद्द करने होंगे।
 
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