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विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता : धरती माता की रक्षा में....

विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता : धरती माता की रक्षा में.... - poem on environment in Hindi
-डॉ.ओ.पी.बिल्लौरे
 
बड़ से गहराई सीखो, पीपल से सीखो ज्ञान 
नीम खड़ा वह सदा कह रहा, मत सहना अपमान 
 
कहे आंवला सभी रसों को, जीवन में अपना लेना  
है बबूल की सीख न शत्रु, कभी निकट आने देना 
 
जीवन को सुरभित करलो और सारे जग को महकाना 
इस विद्या को चंदन से, ज्यादा कब किसने पहचाना  
 
लता विटप और कंद मूल फल फूल सभी का है कहना 
मत कमतर आंको हमको, हम हर प्राणी का है गहना 
 
प्राणों की रक्षा हम करते, रोगों को भी हर लेते 
बल बुद्धि यौवन हम देते, कंचन सी काया करते 
 
फिर क्यों हम पर दानव बन कर टूट पड़ा है यह मानव 
बुद्धि विपर्यय विनाशकाले, सिद्ध कर रहा यह मानव 
 
अब भी समय शेष है, मौसम में ठंडक भी बाकी है 
हिमखंडों के पिघलन की परिणति क्या तुमने आंकी है 
 
इससे पहले कि पानी ऊपर हो जाए सिर से 
विश्व ऊष्मा कम करने को वृक्ष लगाओ फिरसे 
 
हे आर्यपुत्र अब शपथ उठा वनदेवी की प्रकृति मां की 
धरती माता की रक्षा में अब वानप्रस्थ बीते बाकी 
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