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Written By भाषा

सफल फिल्मकार थे एल. वी. प्रसाद

पुण्यतिथि 22 जून पर विशेष

सफल फिल्मकार थे एल. वी. प्रसाद -
एन. टी. रामाराव सहित कई कलाकारों के करियर को चार चाँद लगाने में अहम भूमिका निभाने वाले सफल फिल्मकार एल. वी. प्रसाद दक्षिण भारत की विभिन्न भाषाओं के अलावा हिंदी फिल्मों में भी सफल रहे। प्रसाद ने सामाजिक उद्देश्यों के साथ मनोरंजक फिल्में बनाईं।

आंध्र प्रदेश में दूरदराज के एक गाँव में 17 जनवरी 1908 को किसान परिवार में पैदा हुए एल. वी. प्रसाद का मूल नाम अक्कीनेनी लक्ष्मी वारा प्रसाद राव था और वे अभिनेता के अलावा निर्माता और निर्देशक भी थे।

बचपन से ही प्रसाद कुशाग्र बुद्धि के थे, हालाँकि पढ़ाई में उनकी विशेष रूचि नहीं थी। कम उम्र में ही वे नाटकों और नृत्य मंडलियों की ओर आकर्षित हो गए। इन्हीं सपनों को लेकर वे एक दिन घर छोड़कर मुंबई चले गए। लेकिन उनका सफर आसान नहीं रहा और उन्हें तमाम तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा। दृढ़ निश्चयी प्रसाद ने हार नहीं मानी और अंतत: सफलता उनके कदम छू रही थी।

प्रसाद ने देश की तीन भाषाओं की पहली बोलती फिल्मों में काम किया। उन्होंने 1931 में प्रदर्शित आर्देशिर ईरानी की आलम आरा के अलावा कालिदास और भक्त प्रह्लाद में काम किया। आलम आरा जहाँ हिंदी की पहली बोलती फिल्म थी, वहीं कालिदास पहली तमिल बोलती फिल्म थी। भक्त प्रह्लाद पहली तेलुगु बोलती फिल्म थी।

एल वी प्रसाद ने हिंदी में कई चर्चित फिल्में बनाई। इन फिल्मों में शारदा, छोटी बहन, बेटी बेटे, दादी माँ, शादी के बाद, हमराही, मिलन, राजा और रंक, खिलौना, एक दूजे के लिए आदि शामिल हैं। उनकी फिल्में सामाजिक उद्देश्यों के साथ स्वस्थ मनोरंजन पर केंद्रित थीं।

उन्होंने राज कपूर, मीना कुमारी, संजीव कुमार, कमल हासन, राजेंद्र कुमार, सुनील दत्त, अशोक कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, शशि कपूर, प्राण, मुमताज, राखी जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया।

प्रसाद ऐसे फिल्मकार थे जो एक ही साथ विभिन्न भाषाओं में फिल्म बनाते रहे। उनकी फिल्मों में जहाँ कहानी और संवाद पर विशेष तौर पर काम किया जाता था, वहीं संगीत पक्ष पर भी काफी जोर दिया जाता था। उनकी फिल्मों के कई गीत अब भी काफी लोकप्रिय हैं।

प्रसाद का 22 जून 1994 को निधन हो गया। जीवन के अंतिम दौर तक सार्वजनिक रूप से सक्रिय प्रसाद को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया जिनमें फिल्मों में योगदान के लिए दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार शामिल है।

(भाषा)