'ॐ शुक्ला महाशुक्ले निवासे श्रीमहालक्ष्मी नमो नम:'
मनुष्य हमेशा सुख-शांति, यश-वैभव एवं लक्ष्मी प्राप्ति के लिए प्रयास करता रहता है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए सरलतम मार्ग हैं- अथिति का सम्मान, सज्जनों की सेवा, माता-पिता की सेवा, गौमाता की सेवा एवं नि:स्वार्थ भाव से भगवान की पूजा-आराधना करते हुए धर्म के कार्य को करना। यह सब अगर आप करेंगे तो मां लक्ष्मी स्वयं आपके यहां निवास करने लगेंगी।
मां लक्ष्मी स्वयं कहती हैं-
यत्राभ्यागवदानमान चर प्रक्षालनं भोजनं।
सत्सेवा पितृदेवार्चन विधि: सत्यंगवां पालनम्।।
धान्या नामपि सग्रहो न कलहश्चित्त्ता तृरूपा प्रिया।
दृष्टा प्रहा हरि वसामि कमला तस्मिन् गृहे निष्फला।।
अर्थात जहां मेहमान की आव-भगत करने में आती है तथा उनको भोजन कराया जाता है, जहां सज्जनों की सेवा की जाती है, जहां निरंतर भाव से भगवान की पूजा और अन्य धर्मकार्य किए जाते हैं, जहां सत्य का पालन किया जाता है, जहां दान देने के लिए धान्य का संग्रह किया जाता है, जहां गलत कार्य नहीं होते, जहां गायों की रक्षा की जाती है, जहां क्लेश नहीं होता, जहां पत्नी संतोषी और विनयी होती है, ऐसी जगह पर मैं सदा निवास करती रहती हूं। जहां ये सब नहीं होता, उस जगह पर मैं कभी-कभी ही दृष्टि डालती हूं।
अपने जीवन में यह सब कार्य करते हुए दीपावली के दिन अपने लग्न अनुसार मां की आराधना करें।
मेष लग्न : 'ॐ वसुप्रदा नम:।'
वृषभ लग्न : 'ॐ धन्या नम:।'
मिथुन लग्न : 'ॐ भुवनेश्वरी नम:।'
कर्क लग्न : 'ॐ हिरण्यमयी नम:।'
सिंह लग्न : 'ॐ अदिति नम:।'
कन्या लग्न : 'ॐ वसुधारिणी नम:।'
तुला लग्न : 'ॐ पधा नम:।'
वृश्चिक लग्न : 'ॐ नित्यपुष्टा नम:।'
धनु लग्न : 'ॐ हिरण्यप्रका नम:।'
मकर लग्न : 'ॐ बिल्वनिलया नम:।'
कुंभ लग्न : 'ॐ शुभप्रभा नम:।'
मीन लग्न : 'ॐ चन्द्रराहोदरी नम:।'