आहा, डिजिटल इंडिया... सुनने में कुछ-कुछ शाइनिंग इंडिया जैसा प्रतीत होता है। लेकिन जाने क्यों इस पूरे आयोजन से उम्मीद की कलियां खिल गई है... अपनी पूरी सकारात्मकता के साथ इस कार्यक्रम को समझने और समझाने की आवश्यकता है। सोच के स्तर पर यह एक सुंदर आकार लेती तस्वीर है। विशेषकर भारत की आधी आबादी का पसीने से भरा चेहरा इस आयोजन से गुलाबी आभा में दमक सकता है।
आइए पहले जानते हैं डिजिटल इंडिया क्या है? क्या इससे भारत का दसों दिशाओं से विकास वाकई संभव है? अगर कार्य निष्पादन के स्तर पर ईमानदार कोशिश की जाए, हर वर्ग की समुचित भागीदारिता दर्ज की जाए तो हां यह संभव है। और अगर यह निर्बाध रूप से अग्रसर हुआ तो यकीनन सबसे ज्यादा फायदा भारत की हर वर्ग की महिलाओं को ही होगा।
20 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की एक बैठक में महत्वाकांक्षी ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम को मंजूरी दी गई। सरकार के अनुसार यह कार्यक्रम भारत को डिजिटल सशक्त समाज में बदलने के लिए निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम से सुनिश्चित होगा कि समस्त सरकारी सेवाएं नागरिकों को डिजिटल यानी इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध हों।
वास्तव में यह कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स एवं प्रौद्योगिकी विभाग की परिकल्पना है। यह कार्यक्रम 2018 तक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। इसके तहत सरकारी व प्रशासनिक सेवाओं को आम लोगों तक पहुंचाने के साथ सार्वजनिक जवाबदेही भी सुनिश्चित की जाएगी। महिलाओं के लिए कैसे यह लाभकारी सिद्ध हो सकता है, इसे समझने से पूर्व डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के 9 उद्देश्यों पर संक्षेप में प्रकाश डालना जरूरी है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के 9 प्रमुख उद्देश्य हैं
1. ब्रॉडबैंड हाइवेज : ब्रॉडबैंड का मतलब दूरसंचार से है, जिसमें सूचना के संचार के लिए आवृत्तियों (फ्रीक्वेंसीज) के व्यापक बैंड उपलब्ध होते हैं। इस कारण सूचना को कई गुणा तक बढ़ाया जा सकता है और जुड़े हुए तमाम बैंड की विभिन्न फ्रीक्वेंसीज या चैनलों के माध्यम से भेजा जा सकता है।
2 . मोबाइल कनेक्टिविटी : देश के 55,000 गांवों में अगले 5 वर्षो के भीतर मोबाइल संपर्क की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए 20,000 करोड़ के यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) का गठन किया जा रहा है। इससे ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल में आसानी होगी।
3. पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम : (सभी सरकारी विभागों तक आम आदमी की पहुंच)
4. ई-गवर्नेस: प्रौद्योगिकी के जरिये सरकार की कार्यप्रणाली में सुधार
5. ई-क्रांति : सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी। ई-एजुकेशन के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने, सभी स्कूलों (लगभग ढाई लाख) को मुफ्त वाइ-फाइ की सुविधा मुहैया कराने और डिजिटल लिट्रेसी कार्यक्रम की योजना है। किसानों के लिए रीयल टाइम कीमत की सूचना, नकदी, कर्ज, राहत भुगतान, मोबाइल बैंकिंग आदि की ऑनलाइन सेवा प्रदान करना।
6. सबके लिए सूचना, सबके लिए जानकारी : इस कार्यक्रम के तहत सूचना और दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच कायम की जाएगी। इसके लिए ओपेन डाटा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया जायेगा, जिसके माध्यम से नागरिक सूचना तक आसानी से पहुंच सकेंगे। नागरिकों तक सूचनाएं मुहैया कराने के लिए सरकार सोशल मीडिया और वेब आधारित मंचों पर सक्रिय रहेगी। साथ ही, नागरिकों और सरकार के बीच दोतरफा संवाद की व्यवस्था कायम की जाएगी।
7. इलेक्ट्रॉनिक्स में आत्मनिर्भरता :इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़ी तमाम चीजों का निर्माण देश में ही किया जाएगा।
8. रोजगारमूलक सूचना प्रौद्योगिकी : गांवों व छोटे शहरों में लोगों को आइटी से जुड़े जॉब्स के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। आइटी सेवाओं से जुड़े कारोबार के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए दूरसंचार विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
9. अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स : डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू करने से पहले ठोस बुनियादी ढांचा बनाया जाएगा।
अब इन कार्यक्रमों को महिलाओं की नजर से देखें कि कैसे उनके लिए यह उम्मीद की किरण जगाता है।
पहली बात तो हर क्षेत्र में इसकी अनिवार्यता में ही महिलाओं की स्थिति में सुधार को देखा जा सकता है। यानी जैसे-जैसे यह क्रांति आगे बढ़ेगी, देश के हर हिस्से में पहूंचेगी। आज शहरी महिलाएं डिजिटल बदलाव को लेकर अनभिज्ञ नहीं है। छोटे-बड़े शहर की हर लड़की और महिला किसी न किसी रूप में तकनीक से जुड़ी हैं। देश भर में हो रही घटनाओं से वह किसी न किसी माध्यम से अवगत हो रहीं है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में स्थिति अभी उतनी तेजी से नहीं बदली है।
यही वजह है कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का चेहरा खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में तकनीक का इस्तेमाल करने वाली महिलाएं बनेंगी। गांव के स्तर पर सरकारी योजनाओं के तहत विभिन्न प्रकार की सेवाएं देने वाली महिलाओं को सरकार अपने इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की पहचान बनाना चाह रही है। सरकार का मानना है कि इससे गांवों में ब्रॉडबैंड पहुंचाने से लेकर उसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने तक में मदद मिलेगी।
सरकार का संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के नाम से एक अनूठी स्कीम का संचालन करता है। यह स्कीम राष्ट्रीय ई-गवर्नेस प्लान के तहत चलाई जा रही है। इसका इस्तेमाल गांवों के स्तर पर सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार द्वारा चलाई जा रही वित्तीय व सामाजिक क्षेत्र की स्कीमों को अमल में लाने के लिए किया जाता है। निजी क्षेत्र द्वारा कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन आदि क्षेत्रों में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को भी इसी योजना के जरिये अमल में लाया जाता है।
सरकार अब इसी स्कीम के तहत काम कर रही महिलाओं को आगे कर डिजिटल इंडिया के चमकते चेहरे के तौर पर पेश करने पर विचार कर रही है। इसकी पहल करते हुए सरकार ने करीब 200 महिला उद्यमियों को सम्मानित किया है। यह वे महिलाएं हैं जो सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए अपने-अपने गांवों में विभिन्न प्रकार की सेवाएं मुहैया करा रही हैं।
सरकार ने ऐसे ही उद्यमियों में से खासतौर पर महिला उद्यमियों को चुना है। आदिवासी इलाकों में कॉमन सर्विस सेंटर चला रही महिला उद्यमियों की भी पहचान की गई है। संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का मानना है कि महिलाओं को तकनीक का इस्तेमाल करते देख ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक का इस्तेमाल करने को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार प्रत्येक गांव की पंचायत तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के जरिये इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराने का डिजिटल इंडिया अभियान चला रही है। इसलिए इससे सरकार के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में भी मदद मिलेगी।
अब जबकि देश डिजिटलीकरण की नई और प्रगतिशील परिभाषा गढ़ रहा है। महिलाओं में इसे लेकर विशेष स्फूर्ति का माहौल बनना लगभग तय है। इस कार्यक्रम ने यह आशा इसलिए भी जगाई है कि इसी बहाने वे महिलाएं जो तकनीक से झिझकती है, डरती हैं उनमें तकनीक के प्रति आकुल उत्कंठा या कहें कि एक खास किस्म की उत्सुकता जागेगी।
कंप्यूटर और इंटरनेट के क्षेत्र में हम पिछड़े हुए तो हरगिज नहीं है। जब यह विलक्षण सूचना क्रांति इंटरनेट के रूप में अमेरिका से बाहर आना आरंभ हुई थी, भारत ने उसी समय इन नई तकनीकों को हाथों हाथ झेल कर सहेजा था। आज भारत सूचना क्रांति के अग्रणी देशों में शुमार है। लेकिन जो इसके साथ नहीं चल सके वे पिछड़ते गए। इनमें महिलाएं विशेष रूप से चाहे-अनचाहे शामिल न हो सकी। लेकिन आज तस्वीर एकदम उलट है शहरों में महिलाओं ने इस क्षेत्र में अपना मजबूत वर्चस्व स्थापित किया है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से उनके परों में तो उड़ान की ताकत आएगी ही, सबसे अच्छी बात जो दिखाई दे रही है वह है ग्रामीण महिलाओं का कौतुहूल से भरा मासूम चेहरा.. रोशनी से चमकती आंखें.. जो इसी बहाने मुख्य धारा से जुड़ने का शुभ स्वप्न देख सकेंगी....वे सब उस तरह से कर सकेंगी जो शहर की महिलाएं कर रही हैं...उनका यह अधिकार भी है... डिजिटल इंडिया के नाम पर ही सही... सार्थकता की कहीं कोई एक बूंद तो झोली में आई.. समंदर इसी से बनेगा...