शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
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Written By मनीष शर्मा

जॉन की बात मानोगे तो नहीं जाएगी जान

जॉन की बात मानोगे तो नहीं जाएगी जान -
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गाँव की चौपाल पर ग्राम प्रधान अपने कुछ साथियों के साथ हुक्का पी रहे थे। उनके साथ उनका पोता भी बैठा हुआ था। उनको हुक्का गुड़गुड़ाते देख उसे अच्छा नहीं लग रहा था, क्योंकि उसे स्कूल में सिखाया गया था कि तंबाकू खाना और पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इससे शरीर में कई तरह की घातक बीमारियाँ लग जाती हैं।

उसने दादाजी को भी इस बारे में कई बार बताया, लेकिन वे ध्यान नहीं देते थे। इस बीच उनके खेत में एक गधा घुस आया। पोता बोला- दादाजी, वो गधा सारी फसल खा जाएगा। मैं उसे भगा आऊँ? दादा- नहीं बेटा, वह कुछ नहीं खाएगा। पोता- ऐसा कैसे हो सकता है? दादा- इसलिए कि वह तंबाकू के खेत में घुसा है और गधे तंबाकू नहीं खाते। समझे कि नहीं? पोता- जी दादाजी, मैं तो समझ गया, लेकिन आप यह बात समझकर भी नहीं समझ पाए।
दादाजी, वो गधा सारी फसल खा जाएगा। मैं उसे भगा आऊँ? दादा- नहीं बेटा, वह कुछ नहीं खाएगा। पोता- ऐसा कैसे हो सकता है? दादा- इसलिए कि वह तंबाकू के खेत में घुसा है और गधे तंबाकू नहीं खाते। समझे कि नहीं?


दादा- क्या मतलब है तेरा? पोता- यही कि गधा भी यह समझता है कि तंबाकू नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर को नुकसान होता है। यानी गधा अपना अच्छा-बुरा हम इनसानों से ज्यादा अच्छी तरह समझता है। सही समय पर की गई चोट ने दादा पर असर किया और वे हुक्का पीना भूल गए।

दोस्तो, हम जानते हैं कि सिगरेट, बीड़ी, सिगार, चिलम, हुक्का ये सभी हमारे दुश्मन हैं, लेकिन फिर भी हम इनकी लत से पीछा नहीं छुड़ा पाते। इसके दो ही कारण हो सकते हैं। एक तो यह कि हमारी इच्छाशक्ति कमजोर है या फिर हम इतने लापरवाह हैं कि क्षणिक सुख के लिए अपने स्वास्थ्य को खतरे में डालने से भी नहीं चूकते।

यह मूर्खता की पराकाष्ठा नहीं तो क्या है। हम तो गधों से भी गए बीते हैं। कहते हैं कि सिगरेट के एक और आग होती है और दूसरी ओर मूर्ख का मुँह। ऐसे मूर्खों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। इनमें युवा भी शामिल हैं जिनके चेहरे से इस धूम्रपान की लत के कारण भरी जवानी में ही ग्लो या चमक चली जाती है और शरीर में बल यानी ताकत भी नहीं रहती। हम धूम्रपान से होने वाले नुकसान को जानते हुए भी इस ओर ध्यान नहीं देते। और जब देते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
आजकल इंदौर में ग्लोबल मीट की बड़ी चर्चा है। ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि इस शहर का नाम दुनिया के बड़े शहरों में शामिल हो। दुनिया के तमाम बड़े शहरों में एक खास बात यह है कि वे 'स्मोकिंग फ्री' हैं यानी वहाँ सार्वजनिक रूप से धूम्रपान नहीं किया जाता।
आखिर क्यों करते हैं आप धूम्रपान? क्या शान के लिए- यह जानते हुए भी कि यह बाद में आपको परेशान कर देगी। क्या चिंता या फिक्र को दूर करने के लिए- यानी थोड़ी देर की चिंता मुक्ति के लिए आप अपनी चिता खुद सजा सकते हैं! क्या लत के कारण- जो बाद में आपकी हालत ही बिगाड़ दे।

क्या गम भुलाने के लिए- तो भैया, गम तब तक ही रहेगा, जब तक दम रहेगा। यानी हर तरह से देखें तो आप अपने हाथों अपना नाश करने पर तुले हैं। वो गाना है न कि 'हर फिक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया...।' लेकिन हकीकत यह है कि फिक्र तो धुएँ में नहीं उड़ती, आप जरूर उड़ जाते हैं। क्योंकि आप उसे नहीं, वह आपको पी रहा था और जला भी रहा था। और जब धुएँ को पियोगे तो समय से पहले ही धुआँ बनकर उड़ जाओगे ना?

कुछ लोग चाहकर भी इस लत से पीछा नहीं छुड़ा पाते, क्योंकि वे इसे एकदम छोड़ना चाहते हैं। इससे यह लत छूटती नहीं। यदि आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं तो बेहतर यह है कि इसे धीरे-धीरे कम करो। अपने ऑफिस को 'नॉन स्मोकिंग जोन' घोषित कर दो। इससे ज्यादा सिगरेट नहीं पी पाओगे। घर में मत पियो। इसका बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। उन्हें अकारण ही 'पैसिव स्मोकिंग' करनी पड़ती है। यदि तनाव है तो उसे दूर करने के लिए ध्यान करो, लंबी-लंबी साँसें लो और धीरे-धीरे छोड़ो। इससे धूम्रपान की इच्छा में कमी आएगी।

और अंत में, आजकल इंदौर में ग्लोबल मीट की बड़ी चर्चा है। ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि इस शहर का नाम दुनिया के बड़े शहरों में शामिल हो। दुनिया के तमाम बड़े शहरों में एक खास बात यह है कि वे 'स्मोकिंग फ्री' हैं यानी वहाँ सार्वजनिक रूप से धूम्रपान नहीं किया जाता, क्योंकि वहाँ के नागरिकों को अपने शहर से प्यार है और वे उसका वातावरण प्रदूषित नहीं करना चाहते।

इंदौर के लोग भी यही चाहते हैं कि उनका शहर भी ग्लोबल बने, तभी तो वे लाखों की संख्या में, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, नईदुनिया की पहल पर इसे 'नो स्मोकिंग सिटी' बनाने की शपथ लेने जा रहे हैं। शपथ दिलवाएँगे प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता जॉन अब्राहम। जिन्होंने खुद सबक लेकर स्मोकिंग करना छोड़ दिया है। यदि आप समय रहते जॉन की बात मानेंगे तो आपको जान से नहीं जाना पड़ेगा। इसलिए आज आप भी शपथ लें कि आप भी अपने शहर को धूम्रपान रहित बनाने में अपना हरसंभव योगदान देंगे। तभी आपका शहर 'ग्लो' करेगा, क्योंकि इसके पीछे आपका 'बल' जो होगा।