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Written By ND
Last Modified: इंदौर , शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010 (13:07 IST)

तंबू में कौन ठहरा-कौन नहीं, बनेगी रिपोर्ट

तंबू में कौन ठहरा-कौन नहीं, बनेगी रिपोर्ट -
कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में लगे तंबुओं में कौन ठहरा और कौन नहीं, इसे लेकर जमकर राजनीति हुई। भाजपा सांसद मेनका गाँधी, वरुण गाँधी, शत्रुघ्न सिन्हा जहाँ निजी कारणों से दिल्ली लौट गए और एक दिन भी तंबू में नहीं रहे वहीं अधिकांश वरिष्ठ नेता ऐसे थे जो तंबुओं में ही डेरा डाले रहे।

वरिष्ठ भाजपा नेता और संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली और पूर्व भाजपा अध्यक्ष वेंकैया नायडू खुद तो तंबुओं में टिके ही दूसरों को भी तंबू की राजनीति का मर्म समझाते रहे।

पार्टी के तीसरी और चौथी पंक्ति के नेता इस भय से तंबुओं के आस-पास ही डटे रहे कि कहीं यदि आडवाणीजी और पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को पता चल गया तो लेने के देने पड़ जाएँगे। इनमें से कई ऐसे भी थे जो टीम गडकरी में शामिल होने की आस लगाए बैठे हैं इसलिए जोर-शोर से तंबू से राजनीति कर रहे थे।

पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूढ़ी ने तो यहाँ तक दावा किया कि 99 फीसद लोग अधिवेशन स्थल पर ही ठहरे और जो तंबू में नहीं ठहरे, वे बीमार थे। बहरहाल, कौन तंबू में ठहरा और कौन नहीं, इसकी भी रिपोर्ट बन रही है।

गडकरी की पुरस्कार योजना: सांसदों, विधायकों, मंत्रियों को भाजपा सम्मानित करेगी। पार्टी संगठन में काम करने वाले पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को भी पुरस्कार मिलेंगे, लेकिन यह पुरस्कार तब मिलेंगे जब वे अच्छा काम करेंगे। भाजपा में जल्द इस संबंध में एक योजना बनेगी। इसके तहत अच्छा काम करने वाले को उत्तम, उससे अच्छा काम करने वाले को सर्वोत्तम और बेहतरीन काम करने वाले को अनंत पुरस्कार दिया जाएगा। यह पुरस्कार पाने वालों को संगठन में अलग से महत्व मिलेगा।

नए चेहरे, नया पहनावा : बदलाव के दौर से गुजर रही भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा कितना बदला और कितना नहीं यह समय बताएगा लेकिन इतना तय है कि भाजपा के इस अधिवेशन में धोती वाले नेता पीछे नजर आए। पार्टी का नेतृत्व ऐसे नेताओं के हाथ में आ गया जो या तो पैंट-शर्ट पहनते हैं या फिर कुर्ता पैजामा। मसलन, गडकरी भाजपा के अध्यक्ष बने हैं जिनका आम तौर पर यही पहनावा रहा है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली सहित अधिकांश दूसरी पंक्ति के नेता इसी श्रेणी में आते हैं। पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथसिंह धोती पहनते थे।

पूर्व भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और वेंकैया नायडू भी धोती पहनते हैं। लेकिन अब यह तीनों ही नेता पीछे की पंक्ति में चले गए। मंच पर पहली पंक्ति में जितने भी नेता बैठे, उनमें सभी पेंट-सूट वाले नेता शामिल थे। पार्टी में एक समय खादी की टोपी पहनने वाले संघप्रिय गौतम हुआ करते थे जो खुद को भाजपा में गाँधीवादी कहा करते थे लेकिन अब भाजपा से बाहर हैं। जाहिर है पार्टी की चाल बदल रही है। (नईदुनिया)