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Last Updated : सोमवार, 17 अगस्त 2015 (14:13 IST)

आपकी ज़िंदगी का 'प्राइम टाइम' क्या है?

आपकी ज़िंदगी का 'प्राइम टाइम' क्या है? - vert fut prime of life
डेविड रॉबसन, बीबीसी फ़्यूचर
 
क्या आपके दिमाग़ में ऐसा विचार आता है कि जीवन का सबसे बेहतरीन दौर बीत चुका है? ऐसी कई कहावतें बन गई हैं कि जीवन 40 साल के बाद शुरू होता है, अब 60 साल पहले के 50 के बराबर ही है... लेकिन सच्चाई क्या है? जीवन जीने की बेहतरीन उम्र क्या है?
बीबीसी फ़्यूचर की टीम ने मेडिकल लिटरेचर का अध्ययन करके, ज़िंदगी के अलग-अलग दौर में आपकी याददाश्त से लेकर सेक्स की चाहत तक कई पहलुओं को समझने, आंकने की कोशिश की है। इस अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले हैं।
 
शारीरिक फ़िटनेस का पैमाना :  शारीरिक फ़िटनेस की बात करें तो 100 मीटर स्प्रिंट दौड़, शॉट पट फेंकना, जेवलिन थ्रो जैसी स्पोर्ट्स में आप 20-30 साल की उम्र में सबसे फ़िट होते हैं। इसके बाद आपकी क्षमता में तेज़ी से गिरावट आती है। फुटबॉल के खिलाड़ियों की क्षमता में भी तेज़ी से गिरावट होती है।
 
हालांकि कुछ खेल बढ़ती उम्र के एथलीटों को भी रास आते हैं। ज़्यादा उम्र के एथलीट मैराथन दौड़, 100 किलोमीटर की दौड़ में बेहतर करते हैं। आपके 30-40 और 40-50 के दशक की उम्र में भी मैराथन दौड़ने की क्षमता धीरे-धीरे ही कम होती है।
 
सन्नी मैकी 61वां साल पूरा करने के बाद अपने करियर का पहला आयरनमैन ट्रायथलन रेस जीतने में कामयाब रहीं थीं। इसमें उन्होंने 180 किलोमीटर की साइकलिंग, फिर मैराथन और उसके बाद 4 किलोमीटर की तैराकी की थी। कई एथलीट तो 70 साल की उम्र में भी पूरी तरह से फिट होते हैं।
 
दिमागी क्षमता का पैमाना : 20 साल की उम्र के बाद नए तथ्यों को याद रखने की आपकी क्षमता कम होने लगती है। आपकी याददाश्त की यह क्षमता तो आपके स्कूल से बाहर निकलने के बाद ही कम होने लगती है। कामकाजी सूचनाओं को याद रखने की हमारी क्षमता भी 40 साल के बाद कम होने लगती है। 
 
आप युवावस्था में रचानात्मक तौर पर सबसे बेहतर स्थिति में होते हैं। ज़्यादातर नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले खोज वैज्ञानिकों ने 40 साल की उम्र के आसपास कर ली थीं। उम्र बढ़ने के साथ हमारा दिमाग़ धीमा पड़ने लगता है।
 
उम्र बढ़ने के साथ तथ्य याद रखने भले मुश्किल हों लेकिन हमारी कुशलता बढ़ती है। पढ़ने की आदत हो या अंकगणित की समस्या हो, उसमें आप बेहतर करने लगते हैं। मिडल एज में आपकी तर्क करने की क्षमता बढ़ती है। मुश्किल परिस्थितियों का हल निकालने की क्षमता भी उम्र बढ़ने के साथ बेहतर होती है। ये शोध करने वाले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जोश हारटशोर्न कहते हैं कि ऐसी कोई उम्र नहीं है जिसमें हम हर चीज़ में बेहतर हों - या ज़्यादातर चीज़ों में बेहतर हों। अगले पन्ने पर,  बढ़ती उम्र और सेक्स...

सेक्स की चाहत :  बहरहाल, बढ़ती उम्र और सेक्स की चाहत के विषय पर मिली जानकारी लोगों को ख़ुश करने वाली ही है। 65 से 74 साल की उम्र के स्वस्थ लोगों में 30 फ़ीसदी लोग सप्ताह में एक बार सेक्स करते हैं। अगर हम मौजूदा जानकारी का इस्तेमाल करें तो 20 से 40 की उम्र में तो सेक्स की चाहत अपने चरम पर होती ही है। सेक्स करने की चाहत और सेक्स करने की क्षमता में 50 साल की उम्र तक कोई ख़ास कमी नहीं आती है।
 
'सेक्सुअली एक्टिव लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी' से जुड़े एक शोध पत्र के मुताबिक 55 साल की उम्र वाले पुरुषों में अगले 15 साल तक सेक्स करने की चाहत पाई जाती है। 55 साल की महिला अगले दस साल तक यह चाहत रखती है। यौन संबंधों का बनना कम हो जाता है लेकिन 65 से 74 साल की उम्र के स्वस्थ्य लोगों में 30 फ़ीसदी सप्ताह में एक बार सेक्स जरूर करते हैं। वैसे सेक्स की चाहत घटने के फ़ायदे भी हैं। सेक्स की चाहत कम होने पर जीवन के प्रति उत्साह बढ़ जाता है। 
 
सबसे बेहतरीन समय :  ऐसे में सवाल उठता है कि इन नतीजों से हमें क्या हासिल हुआ? मोटे तौर पर मानें तो हम कह सकते हैं कि 20 से 30 साल की उम्र में सेक्स करने की चाहत सबसे ज़्यादा होती है जबकि 30 से 40 साल की उम्र के दौरान आप शारीरिक तौर पर सबसे ज़्यादा सक्षम होते हैं।
 
 मानसिक तौर पर आप 40 से 60 साल के बीच सबसे बेहतर स्थिति में होते हैं। 60-70 साल के दौरान आप सबसे ज़्यादा ख़ुश होते हैं। ज़ाहिर है जीवन के तमाम पड़ाव में आपके लिए हालात बदलते रहते हैं, लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि जीवन जीने की कोई एक बेहतरीन उम्र नहीं है। 
 
हालांकि थोड़ी कोशिश करके हम पृथ्वी पर अपने समय को बेहतर जरूर बना सकते हैं। शारीरिक अभ्यास करने से ना केवल शारीरिक फ़िटनेस बढ़ती है बल्कि उम्र संबंधी डायबेटीज़ और कैंसर जैसी बीमारियों का ख़तरा कम हो जाता है।
 
इससे याददाश्त को भी मज़बूती मिलती है। स्वस्थ लोग अपने जीवन में पांच साल ज़्यादा सेक्सुअली एक्टिव रहते हैं। यानी शारीरिक अभ्यास तो अमृत की तरह है। मनोवैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि हमारा मानसिक नज़रिया भी हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाता है। कई लोग अपनी उम्र से भी कमतर नजर आते हैं, ज्यादा एक्टिव और ज़्यादा लंबा जीवन जीते हैं। यह भी साफ है कि बढ़ती उम्र पर किसी भी तरह से अंकुश नहीं पाया जा सकता। हां, यह ज़रूर है कि अपनी सीमाओं को जानते हुए आप अपने जीवन को बेहतर और आनंददायक बना सकते हैं।