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Written By BBC Hindi
Last Modified: सोमवार, 24 जनवरी 2022 (15:13 IST)

आवाज़ उठाने के बाद घर से उठा ली गई अफ़ग़ान महिलाएं

आवाज़ उठाने के बाद घर से उठा ली गई अफ़ग़ान महिलाएं - Status of women in Afghanistan after Taliban protests
- क्वेंटिन सोमरविल

तालिबान बहुत ख़ामोशी से धमका सकते हैं। बीस साल के हिंसक संघर्ष और ददियों हज़ार नागरिकों की मौत के बाद, तालिबान ने बलपूर्वक अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया है। लेकिन बावजूद इसके अफ़ग़ानिस्तान की कुछ महिलाओं ने डरने से इनकार कर दिया है।

तमन्ना ज़रयाबी परयानी ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं। हथियार लिए उन लोगों के सामने डटकर खड़ा होना साहस की बात है जिन्होंने आपकी ज़िंदगी और हर चीज़ जो आपने हासिल की हो, उस पर ख़तरा पैदा कर दिया हो।

पिछले सप्ताहांत तमन्ना ज़रयाबी उन दर्जनों महिलाओं में शामिल थीं जिन्होंने काम करने और शिक्षा हासिल करने के अधिकार के लिए तालिबान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों पर तालिबान लड़ाकों ने मिर्ची पाउडर छिड़क दिया था। इनमें से कई का कहना है कि उन्हें बिजली का झटका भी दिया गया।

तमन्ना के साथ क्या हुआ था
बुधवार रात क़रीब दस बजे, तमन्ना ज़रयाबी के काबुल के परवान-2 इलाक़े में स्थित फ्लैट में हथियारबंद लड़ाके पहुंचे। उस समय वो घर में अपनी बहनों के साथ थीं। इन लड़ाकों ने उनके दरवाज़े को पीटना शुरू कर दिया।

सोशल मीडिया पर पोस्ट एक वीडियो में तमन्ना ने गुहार लगाई, मदद कीजिए, मैं घर पर अपनी बहनों के साथ हूं, तालिबान यहां आ गए हैं। गुहार लगाते हुए वो चिल्लाईं, हम नहीं चाहते कि अभी आप यहां आओ, कल आना हम तब बात करेंगे।

वीडियो ख़त्म होने से पहले उन्होंने कहा, आप रात के इस वक़्त इन लड़कियों से नहीं मिल सकते हैं, मदद कीजिए, तालिबान हमारे घर पहुंच गए हैं।

बीते साल 15 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान ने नियंत्रण कायम कर लिया था। महिलाओं का कहना है कि तालिबान के शासन में वो अपने ही घरों में क़ैद होकर रह गई हैं और अपने घरों में भी वो सुरक्षित नहीं है। अफ़ग़ानिस्तान की संस्कृति में उस घर में नहीं घुसा जाता है जिसमें सिर्फ़ महिलाएं मौजूद हों। ऐसे घर में घुसना अफ़ग़ानिस्तान की परंपरा का उल्लंघन है।

लेकिन तालिबान ने महिला पुलिसकर्मियों को नौकरी से निकाल दिया है और अब महिलाओं से पूछताछ के लिए महिलाकर्मी मौजूद नहीं हैं। तमन्ना ज़रयाबी का दो दिनों से पता नहीं है। मैं उनके घर गया और उनके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की।

पड़ोसियों का कहना है कि तमन्ना और उनकी दो बहनों को ले जाया गया था और तब से किसी ने उन्हें नहीं देखा है। वो सिर्फ़ इतना ही कहते हैं, हथियारबंद लोगों का समूह उन्हें ले गया था। उस प्रदर्शन में शामिल अन्य महिलाएं भी लापता हैं। परवाना इब्राहिमखेल का भी कोई पता नहीं है। तालिबान का कहना है कि उन्होंने इन महिलाओं को हिरासत में नहीं लिया है।

तालिबान का पक्ष
संयुक्त राष्ट्र में तालिबान का प्रतिनिधि बनने की उम्मीद रखने वाले तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा, अगर तालिबान ने उन्हें हिरासत में लिया है तो वो स्वीकार करेंगे कि उन्होंने ऐसा किया है। अगर ये आरोप है तो वो अदालत जाएंगे और अपना बचाव करेंगे।

ऐसा करना क़ानूनी है। लेकिन अगर उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया है तो इसका मतलब है कि वो फ़र्ज़ी नाटक कर रही हैं ताकि उन्हें विदेश में शरण मिल सके। वहीं तमन्ना ज़रयाबी की एक दोस्त ने बीबीसी को अलग ही कहानी बताई है।

एक सुरक्षित ठिकाने से बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, मैंने उससे कहा था कि जितना जल्दी हो सके, अपना घर छोड़ दें और इस बात को गंभीरता से लें कि वो ख़तरे में हैं। जब मैं घर पहुंची तो मेरी एक दोस्त, जो प्रदर्शन में शामिल थी और जिसका नाम मैं नहीं लेना चाहती, ने मुझे बताया कि तमन्ना को तालिबान ने गिरफ़्तार कर लिया है और उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है। अभी ये स्पष्ट नहीं है कि तालिबान प्रशासन इन महिलाओं को खोजने का प्रयास कर रहा है या नहीं।

अफ़ग़ानिस्तान के हालात
दुनिया के अधिकतर लोगों ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के शासन को मान्यता नहीं दी है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से अफ़ग़ानिस्तान की आधी से अधिक आबादी भुखमरी का सामना कर रही है। तालिबान के शासन में अफ़ग़ानिस्तान दुनिया का ऐसा एकमात्र देश है जिसने महिलाओं की शिक्षा पर रोक लगा दी है।

पश्चिमी देश तालिबान से महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करने की मांग कर रहे हैं और तालिबान पर प्रतिबंधों की प्रमुख वजह भी यही है। तालिबान के शासन के दौरान भी महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं और इसकी वजह से इस समूह को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। तमन्ना ज़रयाबी, उनकी बहनें और साथी प्रदर्शनकारी किसके पास हैं, इससे इतर, तालिबान सामूहिक तौर पर अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं को दंडित कर रहे हैं।

बीते बीस सालों में पारंपरिक और पारिवारिक बंदिशों को दरकिनार कर अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं ने अधिक स्वतंत्रता से जीवन जीना शुरू किया था। जो प्रगति महिलाओं ने बीते दशकों में हासिल की थी, तालिबान के शासन में वो नष्ट होने जा रही है।
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