शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Slaughter house up
Written By
Last Modified: गुरुवार, 23 मार्च 2017 (16:33 IST)

'...तो क्या हम बकरीद नहीं मनाएं?'

'...तो क्या हम बकरीद नहीं मनाएं?' | Slaughter house up
उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में प्रशासन मीट कारोबारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रहा है। गाज़ियाबाद के केला भट्टा इलाक़े में न सिर्फ़ मीट बेचने वाली लगभग 100 दुकाने बंद कराई गई हैं बल्कि बिरयानी और कोरमा बेचने वाले छोटे-छोटे होटल भी बंद हैं। बीबीसी संवाददाता विनीत खरे ने गाज़ियाबाद के केला भट्टा इलाक़े में उन लोगों से बात की जिनका कारोबार प्रशासन की कार्रवाई से प्रभावित हुआ है।
 
स्थानीय निवासी यासीन ने बताया, "हमारी भैंस कटी हुई पड़ी थी। अचानक पुलिस आई और हमारा गोश्त ज़ब्त कर लिया। पुलिस ने पहले से कोई जानकारी नहीं दी थी। यही नहीं हमारा गोश्त वाल्मीकि समाज के लोगों को दे दिया।"
 
यासीन सवाल करते हैं, "जब सामने ही भैंस कटी हुई है तो उसका सैंपल भरने की क्या ज़रूरत है?" यासीन का कहना है कि गाज़ियाबाद के इस इलाक़े में मीट कारोबारियों की करीब सौ दुकाने हैं। सिर्फ़ बड़े के मांस की ही नहीं, बल्कि मुर्गा बेचने वालों की भी दुकाने बंद करवा दी गई हैं।"
 
यासीन का कहना था, "हम लोग पुश्तों से ये कारोबार करते आ रहे हैं। हमारे बच्चे भी इसी कारोबार में हैं, इससे हमारे सामने रोज़ी रोटी का संकट पैदा हो गया है।"
 
यासीन सवाल करते हैं, "सरकार हमें लाइसेंस दे, जगह दे काटने के लिए। ये बताए कि ये पाबंदी क्यों लगाई जा रही है?"
मुख़्तार अहमद इसी इलाक़े में खाने का होटल चलाते हैं। वो कहते हैं, "पुलिस आई और कहा कि अब खाने की दुकानें भी बंद की जाएंगी। मेरी दुकान में आठ मज़दूर काम करते थे जो बाहर से आकर यहां रोज़गार कर रहे थे। हमारी रोज़ी बंद हो गई है।"
 
केला भट्टा इलाक़े में ही बिरयानी की दुकान चलाने वाले मोहम्मद आज़म ने बताया, "पुलिस ने कहा अब ये दुकानें नहीं चलेंगी, सरकार बदल गई है। अब गोश्त वगैरह सब बंद करो। अब गोश्त की बिरयानी नहीं बिकेगी।"
 
अज़ीम इसी इलाक़े में पच्चीस साल से हलीम बिरयानी की दुकान चला रहे थे। वो कहते हैं, "अब हम बेकार हैं, कोई काम नहीं हैं तो यूं ही टहल रहे हैं।" वो सवाल करते हैं, "हम रोज़ कमाकर खाने वाले लोग हैं। अब हमारे बीवी बच्चे क्या करेंगे?"
 
बीडीएस की पढ़ाई कर रहे स्थानीय युवा शमीम अहमद कहते हैं, "हम सुबह यहीं नाश्ता करते थे, बहुत परेशानी हो रही है।" शमीम सवाल करते हैं, "अभी वो कह रहे हैं कि हम मीट की दुकाने बंद कर रहे हैं। कुछ दिनों बाद बकरीद आएगी तब हम क्या करेंगे? क्या हम बकरीद भी नहीं मनाएं?"
 
यासीन सवाल करते हैं, "अब हम लोगों के सामने खाने पीने का संकट है, भुखमरी होगी तो शोले नहीं भड़केंगे लोगों में? बताएं मरता क्या न करता?"
 
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें किसी भी तरह का विकल्प नहीं दिया। लोगों का कहना है कि यदि पहले जानकारी दी गई होती तो वो कोई वैकल्पिक व्यवस्था करते। इलाही मेहर कहते हैं, "सिर्फ़ मुसलमानों की ही दुकानें बंद क्यों हैं, वाल्मीकि समुदाय की दुकाने बंद क्यों नहीं हैं?"
 
वो कहते हैं, "हमारा कारोबार इसलिए बंद है क्योंकि हम मुसलमान हैं। क़ानून हो तो सबके लिए बराबर हो।" मोहम्मद ताहिर ने सवाल किया, "जो लाखों करोड़ लोग बेरोज़गार हो रहे हैं उनका क्या होगा? सरकार उन्हें रोज़गार देने के लिए क्या कर रही है?"
 
गाज़ियाबाद पुलिस का कहना है कि दुकाने बंद करने की कार्रवाई ज़िला नगर निगम की है। जब बीबीसी ने गाज़ियाबाद के एसडीएम सदर अतुल कुमार से इस बारे में पूछा तो उनका कहना था- "ये रेड ज़िलाधिकारी को सूचना मिलने के बाद किए गए हैं। जानकारी मिली थी कि अवैध तरीके से एक घर में भैंस काटी जा रही है। ये ग़ैर क़ानूनी है। इस काम के लिए उक्त जगह होती है जिसकी इजाज़त दी होती है।"
 
लोग मानते हैं कि इनमें से कई दुकानें अनिवार्य लाइसेंस के बिना चल रही थीं। लेकिन कई प्रभावित लोगों का कहना है कि वो पिछले कई साल में लाइसेंस लेने के प्रयास कर चुके हैं लेकिन सफलता नहीं मिली।
ये भी पढ़ें
बदलाव के दौर से गुजर रही है पत्रकारिता