• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. selfie
Written By
Last Modified: सोमवार, 29 जनवरी 2018 (11:11 IST)

सेल्फ़ी के कारण कहां होती हैं सबसे अधिक मौतें?

सेल्फ़ी के कारण कहां होती हैं सबसे अधिक मौतें? | selfie
- पद्मा मीनाक्षी (न्यूज़ तेलुगू)
 
सेल्फ़ी लेते हुए मौत की घटनाओं में हाल के समय में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है। कुछ दिनों पहले आंध्र प्रदेश के वारंगल में एक जिम ट्रेनर ने पटरी पर आती ट्रेन के साथ सेल्फ़ी लेने की कोशिश की और ट्रेन की टक्कर लगने से वे घायल हो गए।
 
फ़ेसबुक पर 21 सेकंड का वीडियो हज़ारों बार शेयर किया गया है जिसमें 25 वर्षीय टी। शिवा पटरी के पास खड़े हैं और पीछे से ट्रेन आती दिखाई दे रही है। उन्हीं के क़रीब खड़े एक शख़्स द्वारा दी जा रही चेतावनी और बार-बार बज रहा ट्रेन का सायरन साफ़ सुनाई दे रहा है।
 
शिवा वहां से हटते नहीं हैं और वीडियो बनाते रहते हैं और कहते हैं, "वन मिनट।" दाईं ओर से ट्रेन उनके सिर से टकराती है जिसके बाद फ़ोन गिर जाता है। दक्षिण मध्य रेलवे के पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने बीबीसी न्यूज़ तेलुगू को बताया कि शिवा इसके ज़रिए सनसनी फैलाना चाहते थे और ख़ुद की 'वीरता' दर्शाना चाहते थे। अशोक कुमार युवाओं को चेतावनी देते हुए कहते हैं कि वह ज़िंदगी दांव पर लगाकर ऐसी हरकतें न करें।
 
सेल्फ़ी का ट्रेंड और भारत में मौतें
पीट्सबर्ग के कार्नेज मेलन विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र हेमंक लांबा और उनके दोस्तों की टीम ने 2014 से 2016 के दौरान सेल्फ़ी से संबंधित मौतों का अध्ययन किया। उनके अध्ययन के अनुसार, तेज़ रफ़्तार से आती ट्रेन के आगे वीडियो बनाना भारत में घातक प्रवृत्ति बना है।
 
अक्तूबर 2017 में रेलवे ट्रैक पर सेल्फ़ी लेते हुए कर्नाटक में तीन और दिल्ली में दो किशोरों की मौत हो गई थी। अक्तूबर 2017 में ही ओडिशा के रायगढ़ ज़िले में सेल्फ़ी लेने के दौरान आंध्र प्रदेश की 27 और 23 वर्षीय दो युवतियां नदी में डूब गई थीं। जुलाई 2017 में आंध्र प्रदेश के ही विशाखापट्टनम ज़िले के बोर्रा केव्स जंक्शन पर एक चलती ट्रेन के आगे सेल्फ़ी लेने के कारण एक फ़ार्मेसी के छात्र की मौत हो गई थी।
 
आंध्र प्रदेश में ही एक ट्रेन के डिब्बे पर चढ़कर सेल्फ़ी लेने के दौरान हाई-वॉल्टेज वायर के संपर्क में आने से एक इंजीनियरिंग छात्र की करंट लगने से मौत हो गई थी। कार्नेज के शोध छात्रों और दिल्ली के इंद्रप्रस्थ इंस्टट्यूट ऑफ़ इन्फॉर्मेशन द्वारा दुनिया की 127 सेल्फ़ी के दौरान हुई मौतों का जब अध्ययन किया गया तो पता चला कि इसमें से 76 मौतें सिर्फ़ भारत में हुई थीं। जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक आंकड़ा था।
कैसे रुकेगा यह सिलसिला?
सेल्फ़ी के कारण मौतों में हो रही बढ़ोतरी के कारण मुंबई पुलिस ने उन 15 जगहों को चिन्हित किया है जहां पर सेल्फ़ी लेना "ख़तरनाक हो सकता है।"
 
दक्षिण मध्य रेलवे के प्रवक्ता शकील अहमद ने बीबीसी न्यूज़ तेलुगू को बताया कि इस बात को ध्यान मे रखना आवश्यक है कि रेलवे एक्ट, 1989 की धारा 145 और 147 के तहत रेलवे ट्रैक पर चढ़कर या उसके इर्द-गिर्द खड़े होकर सेल्फ़ी या फ़ोटो लेना कानूनन अपराध है।
 
2017 में सैमसंग कंपनी ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें मोबाइल उपयोगकर्ताओं से आग्रह किया गया था कि सेल्फ़ी लेते वक्त सावधान रहें। यहां तक कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी इस अभियान के सदस्य थे। सेल्फ़ी के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर शोध करने वाले समूह ने एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया है जिसमें दुनिया भर की ख़तरनाक जगहें चिन्हित हैं।
 
विजयवाड़ा के सिद्धार्थ इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर और दो बेटों की मां प्रसूना बलंतरापू हालिया पीढ़ी को 'सेल्फ़ी वाली पीढ़ी' बताते हुए कहती हैं कि सेल्फ़ी ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है और युवाओं के बीच इस ट्रेंड को कोई रोक नहीं सकता है, यहां तक की उम्रदराज़ लोग भी काफ़ी सेल्फ़ी लेते हैं।
 
अतीत में हुई मौतों का ज़िक्र करते हुए वह कहती हैं कि युवा सेल्फ़ी से मोह कैसे छोड़ सकते हैं जब इस संस्कृति को देश के प्रधानमंत्री से लेकर फ़िल्म स्टार तक बढ़ावा दे रहे हैं। वह कहती हैं, "समाज भावनाओं की ग़रीबी से पीड़ित है। पूरा समाज एक किशोरावस्था में है जो अच्छे और बुरे में भेद नहीं कर सकता है।"
 
हैदराबाद के एक मनोचिकित्सक सी। वीरेंदर कहते हैं कि बहुत से युवा ऐसे सेल्फ़ी लेते हैं जैसे वे अटेंशन डेफ़िसिट हाइपर एक्टिव डिसॉर्डर (एडीएचडी) से पीड़ित हैं। वीरेंदर बताते हैं कि उनसे दो किशोरियों ने संपर्क किया था कि वे किसी भी विषय पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती हैं। उन्होंने पाया कि पढ़ाई के ख़राब होते प्रदर्शन के पीछे सेल्फ़ी लेने का जुनून भी था।
 
अबू धाबी के हड्डी रोग चिकित्सक डॉक्टर किरण कुमार मानते हैं कि सेल्फ़ी के कारण हो रही मौतों को रोकने के लिए टेक्नॉलजी के बाहर मौजूद जीवन को महत्व देने की ज़रूरत है। उन्होंने फ़ोन पर बताया कि आज असल जीवन में जिनको भावनात्मक समर्थन नहीं मिल रहा है वह उन्हें सोशल मीडिया से ढूंढने की कोशिश करते हैं।
ये भी पढ़ें
इसराइल के जीवाश्म कहते मानवीय अस्तित्व की नई कहानी