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Last Updated : मंगलवार, 18 अप्रैल 2017 (11:38 IST)

'कोई काट न दे, इस डर से काम पर नहीं जाता'

'कोई काट न दे, इस डर से काम पर नहीं जाता' - Rohingya Muslim
- रियाज़ मसरूर (बीबीसी संवाददाता)
भारत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों में से लगभग छह हज़ार ने भारत प्रशासित कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में पनाह ले रखी है। ये लोग कई सालों से यहां रह रहे हैं और झुग्गी झोपड़ियों में रहते हुए छोटे मोटे काम करके अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं। 
 
ज़िंदगी का बोझ तो था ही अब उन्हें मौत का डर भी सता रहा है। जम्मू के नरवाल इलाके में दो और भगवती नगर में एक रिफ्यूज़ी कैंप में रह रहे ये रोहिंग्या मुसलमान ना काम पर जा सकते हैं और ना ही परिवार की महिलाएं रोज़मर्रा की ज़रूरत के लिए ख़रीददारी के लिए बाहर जा सकती हैं। 
 
दरअसल जम्मू में कुछ हिंदुत्ववादी राजनीतिक और व्यापारिक संगठनों ने उन्हें जम्मू से बेदखल करने की मुहिम छेड़ दी है। उनका दावा है कि रोहिंग्या मुसलमान जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों और सुविधाओं का फ़ायदा उठा रहे हैं। कुछ दिन पहले कुछ लोगों ने रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों के बाहर त्रिशूल और तलवार से लैस होकर प्रदर्शन किया और उन्हें जम्मू छोड़ने के लिए धमकाया।
 
झोपड़ियों को जलाने की घटना : पिछले साल नवंबर से शुरू हुई रोहिंग्या भगाओ की इस मुहिम के दौरान अब तक रिफ्यूज़ी बस्तियों में आग लगने की चार संदेहास्पद घटनाएं हुई हैं, जिनमें पांच रोहिंग्या मुसलमान मारे गए और दर्जनों झोपड़ियां जलकर ख़ाक हो गईं।
 
ताज़ा घटनाक्रम में शुक्रवार को भगवती नगर कैंप में आग लगी और कुल 10 में सात झुग्गियां जलकर राख हो गईं। इस कैंप में 19 रोहिंग्या मुसलमान परिवार रहते हैं। कैंप में रहने वाले नूर इस्लाम ने बीबीसी को बताया, "गुरुवार को हमलोगों ने झुग्गी के आसपास कुछ अनजाने लोगों की गतिविधिओं को देखा लेकिन हमने उसे गंभीरता से नहीं लिया। अब क्या पता कौन लोग थे। लेकिन अब बहुत डर लगता है। ये पहली घटना नहीं है। हम कहां जाएं।"
थोड़ी दूरी पर स्थित नरवाल कैंप में 71 परिवार रहते हैं। कैंप में रहने वाले मोहम्मद यासीन ने बताया, "हम सब लोग दिहाड़ी मज़दूर हैं। काम के लिए तो दूर जाना ही पड़ता है। लेकिन पिछले कई दिनों से कोई काम पर नहीं गया है। जाएंगे कैसे? अगर किसी ने मार काट दिया तो? लगता है किसी ने हमें अपने ही घर में क़ैद कर लिया है।"
 
इसी कैंप में रहने वाले अब्दुल शकूर और उनकी बेटी बहुत डरे हुए हैं। वे कहते हैं, "हम कौन सा यहाँ हमेशा के लिए रहने आए हैं। हमने तो पनाह ली है। हमारे देश में हमें मारा जा रहा है, हालात ठीक हो जाएं तो हम चले जाएंगे।"
 
राज्य-केंद्र के बीच बातचीत : उधर राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी और पीडीपी गठबंधन सरकार की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती का कहना है कि वे रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार के संपर्क में हैं।
 
हालांकि बीजेपी के स्थानीय नेता और विधानसभा स्पीकर कविंदर गुप्ता कहते हैं, "कई दशक पहले पश्चिमी पाकिस्तान से यहां आकर बसने वाले हिंदुओं को अभी तक नागरिकता नहीं मिली है। लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों का यहां राशन कॉर्ड बन गया है, सरकारी दस्तावेज़ बन गया है और इस वजह से कुछ लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। लेकिन फिर भी हम चाहते हैं कि मानवीय आधार पर इस समस्या का समाधान किया जाए।"
 
रोहिंग्या मुसलमान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा रिफ्यूज़ी आईडी कार्ड दिए गए हैं। लेकिन उनके ख़िलाफ़ जम्मू में रोहिंग्या भगाओ अभियान ने उन्हें इस कदर भयभीत कर दिया है कि उन्हें अब जान के लाले पड़ गए हैं। पिछले दिनों रिपोर्टें आई थीं कि र्जम्मू व्यापारिक संगठन जम्मू चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने संवाददाता सम्मेलन में कहा है कि अब समय आ गया है कि रोहिंग्या मुसलमानों को चुन चुन कर मार डाला जाए।"
 
इस बयान के संबंध राकेश गुप्ता ने बीबीसी को बताया, "ये मीडिया की ग़लती है। मैंने तो कहा था कि इन समस्याओं को चुन चुन कर मार दिया जाएगा, मैंने किसी इंसान को मारने की बात नहीं की थी।" लेकिन उनका ये स्पष्टीकरण जम्मू की मीडिया को देखने को नहीं मिला है।
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