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Last Modified: बुधवार, 6 मई 2015 (12:12 IST)

नेपालः मुर्दाघरों में शवों की बढ़ती संख्या

नेपालः मुर्दाघरों में शवों की बढ़ती संख्या - nepal_kathmandu_morgue
- नितिन श्रीवास्तव (नेपाल से)
 
काठमांडू के बीचो-बीच बने त्रिभुवन यूनिवर्सिटी टीचिंग अस्पताल का एक हिस्सा भूकंप में खासा क्षतिग्रस्त हुआ है। नुकसान से बच गए इस हिस्से में देश का सबसे बड़ा शवगृह है।
यहां शवों को बचा कर रखने में काफी दिक्कत आ रही है, क्योंकि उनकी तादाद बढ़ रही है और गुजरते समय के साथ उनके रख रखाव में ज्यादा संसाधन लग रहे हैं। इमारत के बाहर एक मेज पर शवों से बरामद की गईं चीजें छोटे प्लास्टिक पैकेटों में रखी गई हैं और शवों पर डाले गए नंबर से इन्हें पहचाना जा सकता है।
 
दूर दराज से आने लगे शव : बगल में एक बड़ा बोर्ड लगा है, जिस पर अंदर के शवों की तस्वीरें लगीं हैं। इसमें बच्चे, बूढ़े और जवान सभी शामिल हैं।
 
शवगृह का संचालन कर रहे अधिकारियों में से एक प्रकाश ने बताया कि अब शव दूर-दराज के इलाकों से भी आने शुरू हो गए हैं। उन्होंने बताया, 'यहां वही शव लाए जा रहे हैं जिनकी शिनाख्त नहीं हो सकी है। लांगतांग से सुबह ही छह शव आए हैं, जिसमें चार विदेशी हैं और दो नेपाली। इस समय 46 शव अंदर हैं और मेरा अंदेशा है कि संख्या बढ़ती जाएगी।'
मुश्किल होती शवों की पहचान : इस शवगृह में सुबह से लेकर शाम तक विदेशी दूतावासों के अधिकारी शवों की शिनाख्त करने आते रहते हैं। मंगलवार को अमेरिकी, ऑस्ट्रेलियाई, फ्रांस और जर्मनी दूतावासों के अधिकारी अपने उन नागरिकों की तस्वीरें लेकर अंदर जा रहे थे जो गुमशुदा हैं।
 
ज्यादातर को निराशा ही हाथ लगी। कुछ ऐसे भी मिले जो अपने मित्रों-रिश्तेदारों की तलाश में एक-एक कर सभी शवगृहों के चक्कर लगा रहे थे।
 
इंडोनेशिया के बेंजामिन सेतियाबुदी अपने तीन मित्रों की तलाश में एक हेलिकॉप्टर किराए पर लेकर लांगतांग तक हो आए हैं।
उन्होंने कहा, 'मुझे पूरी आशंका है कि यह तीनों जिंदा नहीं बचे हैं। लेकिन मुझे यह भी डर है कि हमें उनके शव कभी भी न मिलें। लांगतांग में मैंने जो देखा है उसे बयान ही नहीं किया जा सकता।'

अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यही है कि जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पा रही है उनका दाह-संस्कार कब किया जाए।