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Last Updated : सोमवार, 23 नवंबर 2015 (17:22 IST)

कर्नाटक : आईएस के खिलाफ मौलवियों की मुहिम

कर्नाटक : आईएस के खिलाफ मौलवियों की मुहिम - maulvis in karnataka denounce islamic state
इमरान क़ुरैशी
बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

कर्नाटक में युवाओं को इस्लामिक स्टेट से दूर रखने के लिए मौलवियों ने एक मुहिम शुरू की है। इसके तहत जुमे की नमाज़ के दौरान दिए जाने वाले ख़ुतबे या ईमाम के सार्वजनिक संबोधन में इस्लामिक स्टेट की आलोचना की जा रही है।

 
साथ ही युवाओं को बताया जा रहा है कि इस्लाम शांति का मज़हब है। इस्लामिक स्टेट कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है जिसने इराक और सीरिया के खासे इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया है और उसने हाल में पेरिस हमलों की ज़िम्मेदारी भी ली है। इन हमलों में 130 लोग मारे गए थे। 
 
बेंगलुरु की जामिया मस्जिद उम्मु्स्लिम ट्रस्ट की ओर से जारी एक सर्कुलर में कर्नाटक की सभी 6000 मस्जिदों के क़ाज़ियों से कहा गया है कि वे जुमे की नमाज़ के दौरान इस्लामिक स्टेट की आलोचना करें।
 
सर्कुलर में कहा गया है कि क़ाज़ी यह बताएं कि इस्लाम विरोधी ताक़तें तथाकथित इस्लामिक स्टेट का इस्तेमाल इस्लाम को बदनाम करने और अपनी विचारधाराओं को फैलाने के लिए कर रहे हैं। 
 
जामिया मस्जिद ट्रस्ट के मौलाना मोहम्मद मक़सूद इमरान रशादी ने बीबीसी से कहा, "इन विचारधाराओं का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। इस्लामिक स्टेट जैसे संगठन युवा, मासूम और पढ़े लिखे मुसलमानों को ग़लत रास्ते पर चलने के लिए बरगलाने के लिए हर ताक़त का इस्तेमाल कर रहे हैं।"
 
सर्कुलर में कहा गया, "समाज का हिस्सा होते हुए आज यह बहुत ज़रूरी हो गया है कि युवाओं की गतिविधियों और संगत पर नज़र रखी जाए। यह वक़्त की ज़रूरत है। यदि अभी ये नहीं किया गया तो कहीं ख़ून के आंसू ना रोना पड़ें।"
 
मौलाना कहते हैं, "अल्लाह की मेहरबानी से हमारे सर्कुलर को समूचे राज्य में बहुत अच्छी तरह से लिया जा रहा है. ये हमारे देश को बचाने का सवाल भी है।"
 
ज़ाकिर हुसैन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इस्लामिक स्टडीज़ के पूर्व निदेशक प्रोफ़ेसर अख़्तरुल वासे कहते हैं, "मैं कर्नाटक के मौलवियों के इस प्रयास के लिए बधाई देता हूं। उन्होंने बहुत सही वक़्त पर ये मुद्दा उठाया है। जो लोग चरमपंथ या हिंसा में शामिल हैं उनका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है।"
 
लेकिन मूल सवाल ये है कि क्या हिंसक या कट्टरपंथी संगठनों की ओर आकर्षित होने वाले युवक मौलवियों की सुनेंगे?
 
उन्होंने कहा, "मुस्लिम समाज में आज भी उलेमाओं की बातें बहुत गंभीरता से ली जाती हैं। मुसलमानों की ज़रूरत है कि वो इस्लाम को बदनाम करने वाली इस्लामिक स्टेट और अन्य चरमपंथी संगठनों की विचारधारा को नकारें।"
 
आंध्र प्रदेश और केरल से आ रही रिपोर्टों के मुताबिक़ वहां भी मस्जिदों में अभिभावकों से युवा बच्चों पर नज़र रखने की अपील की जा रही है ताक़ि वो इस रास्ते पर न चले जाएं।